सच तो यह है वो प्यार करते ही नहीं।
सच्चे प्यार को दिलों में जगाते ही नहीं।। प्यार आंखों से होता है दिल में उतरता है।
प्यार बिन बंधन के ही हमेशा निखरता है।।
दिनों के बंधनों में तो दुनियां के रिश्ते बांधते हैं।
प्यार के फूल तो बिन मौसम में भी दिलों में खिलते हैं।।
सच्चे प्यार के दिन नहीं होते हैं।
लोग प्यार को दिनों में बांधते हैं।।
जिस्मों की जरूरत बन जाए वो प्यार सच्चा नहीं होता।
जो बात बात पर मरता हैं वो प्यार सच्चा नहीं होता।।
जरूरत के हिसाब से जो प्यार पलता है।
जरूरत खत्म होने पर वही प्यार खलता है।। सच्चे प्यार के दिन नहीं होते हैं। लोग प्यार को दिनों में बांधते हैं।।
क्या बतलाए तुमको संजय यारों। प्यार की कोई परिभाषा नहीं होती।
प्यार दिल से बोलता है यारों। इसकी कोई भाषा नहीं होती।। फूल तोड़ने पर उसका अस्तित्व खत्म हो जाता है। दिनों से शुरू प्यार कुछ दिनों में ही खत्म हो जाता है।। सच्चे प्यार के दिन नहीं होते हैं।
लोग प्यार को दिनों में बांधते हैं।।