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प्यार के दिन नहीं होते

14 फरवरी 2024

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सच्चे प्यार के दिन नहीं होते हैं।                                       लोग प्यार को दिनों में बांधते हैं।।
सच तो यह है वो प्यार करते ही नहीं।
सच्चे प्यार को दिलों में जगाते ही नहीं।।                              प्यार आंखों से होता है दिल में उतरता है।
प्यार बिन बंधन के ही हमेशा निखरता है।।
दिनों के बंधनों में तो दुनियां के रिश्ते बांधते हैं।
प्यार के फूल तो बिन मौसम में भी दिलों में खिलते हैं।।
सच्चे प्यार के दिन नहीं होते हैं।
लोग प्यार को दिनों में बांधते हैं।।
जिस्मों की जरूरत बन जाए वो प्यार सच्चा नहीं होता।
जो बात बात पर मरता हैं वो प्यार सच्चा नहीं होता।।
जरूरत के हिसाब से जो प्यार पलता है।
जरूरत खत्म होने पर वही प्यार खलता है।।                             सच्चे प्यार के दिन नहीं होते हैं।                                                लोग प्यार को दिनों में बांधते हैं।।
   क्या बतलाए तुमको संजय यारों।                                     प्यार की कोई परिभाषा नहीं होती।
प्यार दिल से बोलता है यारों।                                        इसकी कोई भाषा नहीं होती।।                                        फूल तोड़ने पर उसका अस्तित्व खत्म हो जाता है।              दिनों से शुरू प्यार कुछ दिनों में ही खत्म हो जाता है।।        सच्चे प्यार के दिन नहीं होते हैं।
लोग प्यार को दिनों में बांधते हैं।।
मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर 👌 आप मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏🙏

16 फरवरी 2024

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रचनाएँ
अतीत के पन्ने
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जब इन्सान का जन्म होता है तो जन्म के बाद बचपन से बुढ़ापे तक उसके अन्दर भावना जुड़ जाती हैकुछ जीवन की खट्टी यादें होती है कुछ मीठी यादें होती है जब आदमी की उम्र बढ़ने लगती है तो उसका अनुभव भी बढ़ने लगता हैउसके अतीत में बीती हुई घटनाओं को है काव्य का रूप देता है कुछ ग़ज़ल कहते हैं कुछ कवितायें कहते हैं कुछ अपने अनुभव के आधार से भविष्य में होने वाली बातों को कविता के रूप में ,काव्य के रूप में कहते हैं जब व्यक्ति अकेला बैठा होता है तो वे अपनी डायरी पर लिखे हुए अतीत के पन्नों को खोलता है तो नई ऊर्जा के साथ ज़िंदगी को अच्छी तरह जीने की कोशिश करता हैये जो लिखी हुई कुछ कविता है किसी के जीवन में काम आ सके तो मेरी लेखनी सार्थक हो जाएगी
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माँ

29 जनवरी 2024
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मेरे दिल को सुकून आता हैं जब माँ तु बुलाती हैं। क्या करू तेरा बच्चा, शहर छोड़ जाता हैं जब रोटी बुलाती हैं।। &nbsp

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30 जनवरी 2024
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क्या लिखू कविता तेरे पर माँ। मेरे जीवन का उजला हो माँ।। ठण्ड लगती हैं मेरे पैरों में माँ। उतार मोज़े अपने मुझें पहनाती हो माँ।। तेरे जीवन की क्या वर्णन करुँ माँ। लिखते लिखते कम पड़ जाती सियाही माँ।। पहच

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इंतजार

30 जनवरी 2024
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लेखक

30 जनवरी 2024
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अपनी बेबसी का दर्द किसको दिखता। &

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13 फरवरी 2024
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तुम्हारे शहर में हम शायर बन कर आयेंगे। अपनी अपबीती सबको सुना जायेंगे।। &nbsp

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प्यार के दिन नहीं होते

14 फरवरी 2024
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सच्चे प्यार के दिन नहीं होते हैं। लोग प्यार को दिनों में बांधत

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पंछी का दर्द

17 फरवरी 2024
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सुबह हो गयी हैं सब जगने लगें हैं।सुबह के फूल भी खिलने लगें हैं।।बच्चें भी भूख से चिल्लाने लगे हैं।पंछी भी छत पर चहचाने लगे हैं।।बच्चें आवाज लगाते हैं हम भूखे हैं।पंछी भी चिल्लाते हैं हम भी भूखे हैं।।ब

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हीरा

20 फरवरी 2024
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मैं कांच का टुकड़ा हीरा ना बन पाया।बहुत तराशा खुद को पर हीरा ना बन पाया।।जो ना काबिल था वो काबिल बन गया।मैं काबिल होकर भी काबिल ना बन पाया। &nbs

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मातृभाषा हिंदी

23 फरवरी 2024
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सब भाषाओं का सम्मान करता हुँ।अपनी हिंदी भाषा से प्रेम करता हुँ।।भारत देश का वासी हुँ मैं।हिंदी में बात करता हुँ मैं।।मैं जहां भी जाता हूं मेरी पहचान मेरी हिंदी है।दिलों में बसने वाली ऐसी भाषा मेरी हिं

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मतलब

26 फरवरी 2024
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मतलब की भाषा सब जानते हैंअपने मतलब से सब पहचानते हैं।अपने मतलब से अपने मतलब के गुणगान करते हैं।निकल जाए मतलब वही मतलबी फिर बदनाम करते हैं। पहचानते हैं अपने मतलब से। रिश्ते

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जिंदगी

26 फरवरी 2024
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क्या लिखूं तेरे बारे में जिंदगी।

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