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मतलब

26 फरवरी 2024

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मतलब की भाषा सब जानते हैं
अपने मतलब से सब पहचानते हैं।
अपने मतलब से अपने मतलब के गुणगान करते हैं।
निकल जाए मतलब वही मतलबी फिर बदनाम करते हैं। पहचानते हैं अपने मतलब से। रिश्ते बनाते हैं अपने मतलब से।।
दिल में बसते हैं अपने मतलब से।
एक दिन हमने उनसे पूछा ये मतलबी एक बात बताओ।
मतलबी के रिश्ते कैसे निभाते हैं यह तरकीब बताओ।। हम भी मतलबी एक इंसान बनना चाहते हैं। अब हम भी मतलब की बात करना चाहते हैं।। यह सुनकर मतलबी हंस कर बोले।
अपने दिल के असली राज खोले।।
अपने मतलब से बात करना भी एक कला है।
पर सच्चे इंसान के लिए मतलब भी एक बला है।।
सच्चा इंसान गरीब होता है गरीब ही रह जाता है।
पुरे जीवन संकोच करते-करते ही मर जाता है।।
मतलबी की बात सुनकर एक बात तो समझ आई।
एक बात तो मतलबी ने हमारे मतलब की सच्ची बतलाई सच्चा इंसान घुट घुट का जीवन गुजर जाता है।
हर इंसान उसको नजर अंदाज कर जाता है।।          
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रचनाएँ
अतीत के पन्ने
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जब इन्सान का जन्म होता है तो जन्म के बाद बचपन से बुढ़ापे तक उसके अन्दर भावना जुड़ जाती हैकुछ जीवन की खट्टी यादें होती है कुछ मीठी यादें होती है जब आदमी की उम्र बढ़ने लगती है तो उसका अनुभव भी बढ़ने लगता हैउसके अतीत में बीती हुई घटनाओं को है काव्य का रूप देता है कुछ ग़ज़ल कहते हैं कुछ कवितायें कहते हैं कुछ अपने अनुभव के आधार से भविष्य में होने वाली बातों को कविता के रूप में ,काव्य के रूप में कहते हैं जब व्यक्ति अकेला बैठा होता है तो वे अपनी डायरी पर लिखे हुए अतीत के पन्नों को खोलता है तो नई ऊर्जा के साथ ज़िंदगी को अच्छी तरह जीने की कोशिश करता हैये जो लिखी हुई कुछ कविता है किसी के जीवन में काम आ सके तो मेरी लेखनी सार्थक हो जाएगी
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14 फरवरी 2024
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17 फरवरी 2024
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हीरा

20 फरवरी 2024
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मैं कांच का टुकड़ा हीरा ना बन पाया।बहुत तराशा खुद को पर हीरा ना बन पाया।।जो ना काबिल था वो काबिल बन गया।मैं काबिल होकर भी काबिल ना बन पाया। &nbs

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23 फरवरी 2024
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सब भाषाओं का सम्मान करता हुँ।अपनी हिंदी भाषा से प्रेम करता हुँ।।भारत देश का वासी हुँ मैं।हिंदी में बात करता हुँ मैं।।मैं जहां भी जाता हूं मेरी पहचान मेरी हिंदी है।दिलों में बसने वाली ऐसी भाषा मेरी हिं

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मतलब

26 फरवरी 2024
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जिंदगी

26 फरवरी 2024
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क्या लिखूं तेरे बारे में जिंदगी।

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