मेरे जीवन का उजला हो माँ।।
ठण्ड लगती हैं मेरे पैरों में माँ।
उतार मोज़े अपने मुझें पहनाती हो माँ।।
तेरे जीवन की क्या वर्णन करुँ माँ।
लिखते लिखते कम पड़ जाती सियाही माँ।।
पहचान मेरे जीवन की तुम बनाती हो माँ।।
मुश्किलों में लड़ना सीखती हो तुम माँ।
मेरे रक्त का कण कण तुमसे हैं माँ।
कोई पूछता मेरे पिता की पहचान माँ।
नाम तेरा बताता हुँ अपनी पहचान माँ।
पढ़ता हुँ अक्षर पर किताब तेरे गुण बताती हैं माँ।।
रोता में हुँ पर आंसू तेरी आँख से निकलते हैं माँ।
मैं जब तक जियु तेरी सेवा में जियु माँ।
जब गहरी नींद आये मुझें तेरी गोद में आये माँ।।
जन्मों का बंधन हो तो हर जन्म तेरी कोख से मिलें माँ।।
क्या कविता लिखू तेरे पर माँ। कलम भी मेरी तेरे चरणों को छूने लगती है मां।।
संजय जिंदगी में कुछ भी बना तेरे आशीर्वाद से बना माँ।।
और लिखने की कोशिश करता हुँ ऑंखें भीग जाती हैं माँ
मेरी जिंदगी को रचने वाली मेरी मां। तुझको मेरी उम्र भी लग जाये मेरी माँ।।