होम्योपैथिक से बच्चों का उपचार
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को लक्षण विधान चिकित्सा पद्धति में कहते है, इस चिकित्सा पद्धति में किसी रोग का उपचार न कर चिकित्सक, लक्षणों का उपचार करते है ।
छोटे बच्चों के मामले में कई प्रकार के ऐसे लक्षण होते है जिन्हे रोग की श्रेणी में नही रखा जाता , जैसे बच्चे का रात भर रोना दिन भर सोना , या इसके विपरीत बच्चे का दिन भर रोना रात को सोना , बच्चा मॉ की गोद में ही शांत रहे नीचे उतारते ही रोने लगे , सामानो को तोडता फेकता हो , क्रूर स्वाभाव का, क्रोधी स्वाभाव , हकलाना, तोतलाना, या निश्चित उम्र होने पर शारीरिक विकास न होना ,बच्च्ो का चलना व बोलना देर में सीखना,मुंह से लार टपकते रहना, मूर्खो की तरह व्यवहार करना आदि । इस प्रकार के लक्षणों का उपचार होम्योपैथिक से किया जा सकता है एंव इसके बहुत ही अच्छे परिणाम मिलते है । बच्चों के इस प्रकार के लक्षणों में नीचे दी गयी दवाओं का सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है ।
बच्चों का बोलना चलना देर से सीखना :-
1-बच्चों का देर से बोलना सीखना (नेट्रम म्यूर) :- यदि बच्चा देर से बोलना सीखे तो नेट्रम म्यूर दवा का प्रयोग किया जा सकता है । इस का रोगी सहानुभूति से क्रोधित हो जाता है पुष्टीकारक भोजन करने पर भी रोगी दुर्बल होते जाता है, शरीर ऊपर से नीचे की तरफ सूखता है । इसके रोगी को नमक के प्रति विशेष चाह होती है । इस दवा का असर गहरा परन्तु दर से होता है, इस दवा को 6 या 30 पोटेंशी में दिन में तीन बार देना चाहिये ।
2-बच्चा देर से चलना सीखे (कैल्केरिया कार्ब) :- यदि बच्चा देर से चलना सीखे तो कैल्केरिया कार्ब दवा देना चाहिये वैसे तो कैल्केरिया कार्ब का मेरूदण्ड, टॉगे पतली और टेडी होने के साथ शरीर स्थूल मोटा ,हडिडीया कमजोर ,चलने फिरने में उसे तकलीफ होती है बच्चा दौड धूप नही कर सकता ,हर समय थका थका सा रहता है जहॉ बैठाल दो मिट्टी के माधव की तरह बैठा रहता है , शरीर ठंडा परन्तु सोते समय पसीना आना जिससे तकिया भींग जाता है यह कैल्केरिया का विलक्षण लक्षण है ठंडे कमरे में भी पसीना आता है जबकि ठंडे कमरे में रोकी को पसीना नही आना चाहिये रोगी के पैर वर्फ की तरह ठंडे होते है एंव शरीर से खटटी बू आती है परन्तु बच्चों का देर से चलना सीखने पर इसका प्रयोग करना चाहिये । प्रारम्भ में इस दवा को 12 या 30 पोटेंशी में कुछ दिनो तक देना उचित है । इसकी उच्च शक्ति का प्रयोग भी आवश्यकतानुसार किया जा सकता है ।
3-बच्चा बोलना एंव चलना दोना देर से सीखे (एकारिकस) :- बच्चा यदि चलना एंव बोलना दोनों देर से सीखता हो तो उसे एकारिकस दबा देना चाहिये । इस औषधि के मुख्य लक्षण रोगी के अंगों का फडकना,मॉसपेशियों का थरथराना या कॉपना,शरीर में चींटी सी चलने की अनुभूति होना है ।
रात में रोना दिन में सोना
4-बच्चों का रात में रोना दिन में सोना (जेलपा) :- यदि बच्चा रात में रोता हो और दिन में सो जाता हो व शान्त खेलता रहता हो तो ऐसे बच्चों को जेलपा देना चाहिये , इसका बच्चा दिन भर तो अच्छी तरह से खेलता रहता है परन्तु रात्री में चिल्लाता है या रोता है डॉ सत्यवृत जी ने लिखा है कि यह बच्चों में पेट की गडबडी के कारण ऐसा होता है ,बच्चो को पेट र्दद और दस्त की भी शिकायत हो सकती है । इस परेशानी में 3, 6,12 पोटेंशी दवा में दिन में तीन बार देना चाहिये ।
(5) बच्चे का रात भर रोना दिन भर खेलना (सोरिनम) :-इस मामले में सोरिनम लाईको से उल्टा है । सोरिनम का बच्चा दिन भर खेलता है, परन्तु रात में रोता है । औषधि के निर्देशित लक्षण है इसके शरीर मल मूत्र ,पस तथा पसीने या शरीर से निकलने वाले स्त्रावों से बुरी गंध, सडे मॉस या अण्डे जैसी बदबू आती है । रोगी की त्वचा गंदी मैली होती है उसे कितना भी नहलाओं धुलाओं परन्तु वह साफ नही दिखती , रोगी नहाने से घबराता है , त्वचा खुरदरी, जगह जगह फटी हुई , त्वचा में दरारें जिसमें से रक्त आसानी से निकलता है ,खोपडी चहरे पर एग्जीमा ,बिस्तर में रोगी को खुजली, गर्म मौसम में भी रोगी को ठंड महसूस होती है, उसी ठंडी हवा सहन नही होती । इस दवा की रोग स्थिति के अनुसार 200 या 1-एम पोटेंसी की दवा होम्यो सिद्धान्त के अनुसार देना चाहिये । 30 पोटेंसी की दवाओं से भी उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है ।
6-बच्चा रात भर रोता है और दिन में ठीक रहता है (रियूम) :- यदि बच्चा रात भर रोता हो एंव दिन में ठीक रहता हो तो ऐसे बच्चों को रियूम देना चाहिये (डॉ सत्यवृत) । इसके बच्च्ो के शरीर से खट्टी बदबू तथा खट्टापन होता बच्चे के शरीर व हर अंग से पसीना आता है उसमें खट्टी बदबू होती है । इसके बच्चे को संतुष्ट करना कठिन होता है यह तेज मिजाज का एंव अधिर होता है ।
7- बच्चा दिन में खेलता है लेकिन रात्री में रोता चिल्लाता है (साईप्रिपेडियम ) :- बच्चा दिन में तो अच्छी तरह से हॅसता खेलता रहता है, लेकिन रात होते ही रोने चिल्लाने लगता है, बच्चा रात्री में उठ कर एकाएक खेलने लग जाता है , हॅसने लगता है बच्चों में नींद की कमी पाई जाती है , यह दवा नीद के लिये भी उपयोगी है । इसके मूल अर्क को दस दस बूद दिन में तीन बार कुछ दिनों तक देना चाहिये परन्तु 3,6,12 तथा 30 पोटेंसी में परिणाम बहुत अच्छे मिलते है इस दवा को दिन में तीन बार दिया जा सकता है ।
बच्चा दिन में रोता है एंव रात्रि में सोता
8-बच्चा दिन में रोता है एंव रात्रि में सोता है (लाईकोपोडियम):- यदि बच्चा दिन में रोता रहता है एंव रात्रि में सोता रहता हो तो ऐसे बच्चों को लाईकोपोडियम दबा देना चाहिये । इसका बच्चा इतना स्नायु प्रधान होता है कि वह जरा सी खुशी पर भावुक हो जाता है उसकी ऑखों से ऑसू आ जाते है ,इसको ठंड बहुत लगती है ,सोते हुऐ बिस्तर में पेशाब कर देना ,इसके बच्चे की शारीरिक संरचना दुबला पतला,पीला चहरा,पिचके हुऐ गाल , अपनी उम्र से अधिक दिखना , बच्चे का सिर बडा और ठिंगना ,शरीर ऊपर से नीचे की तरफ क्षीण् होता हुआ ।
9-बच्चों का चौक कर उठना (बोरेक्स) :- यदि बच्चा चौक कर उठता हो तो उसे बोरेक्स देना चाहिये । बोरेक्स का बच्चा बहुत ही स्नायविक होता है, जरा से में चौक उठता है , यदि मॉ बच्चे को गोद से उतार कर पलंग पर लिटाती है तो वह चौक जाता है । इस दवा को 3, 6,12 तथा 30 पोटेंसी में देने से अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते है ।
10-क्षूठ मूठ के रोने का उपक्रम (स्टेफिग्रेसिया):- यदि बच्चा क्षूठ मूठ के रोने का उपक्रम करे परन्तु ऑसू न आये तो ऐसी स्थितियों में उसे स्टेफिग्रेसिया 30 या 200 शक्ति में देने से उसकी यह आदत ठीक हो जाती है । इस दवा के निर्देशित लक्षणों में अपमान से क्रोध का घूंट पीने से जो भी रोग उत्पन्न होते हो, यह दवा बच्चों के मन पर भी प्रभाव करती है, बच्चों के क्रोध में कैमोमिला तथा स्टेफिग्रेसिया का प्रयोग किया जाता है ,बच्चों के दॉत काले पड जाते है उन पर काली रेखायें दिखती है । इस दवा को 3, 6,12 तथा 30 पोटेंसी में देने से अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते है । रोग स्थिति के अनुसार इसकी उच्च शक्ति का प्रयोग भी किया जा सकता है ।
-हकलाना या तोतलाना
11-हकलाना एंव तोतलाना (स्ट्रामोनियम-धतूरा):- यह दवा धतुरे से बनाई जाती है धतूरा खाने पर रोगी को शब्द उच्चारण करने में देर तक प्रयास करना पडता है, यह स्थिति हकलाने एंव तोतलाने जैसी होती है इसी लिये लिये हकलाने एंव तोतलाने की स्थिति में इस दवा का प्रयोग करना चाहिये । निर्देशानुसार 30 शक्ति में दिन में तीन बार प्रयोग करना चाहिये परन्तु अनुभवों को ज्ञात हुआ है कि इसकी 200 शक्ति की दवा सप्ताह में एक बार या फिर आवश्यकतानुसार कुछ अन्तरालो से देने पर भी अच्छे परिणाम मिलते है कुछ गृन्थकारो ने 1-एम शक्ति की अनुशंसा की है । हमने भी कई ऐसे बच्चे जो हकलाते व तोतलाते थे उन्हे इसकी 200 शक्ति की दवा तीन तीन दिन के अन्तर से दिया एंव हमे इसके बहुत ही अच्छे आशानुरूप परिणाम देखने को मिले है ।
12- हकलाना एंव तोतलाना (कैनाबिस इंडिका- भांग):- कैनाबिस इंडिका को हम भांग कहते है इसे व्यक्ति नशा करने के लिये उपयोग करते है इसके सेवन से भी व्यक्ति एक वाक्य को शुरू करते ही आगे का वाक्य भूल जाता है उसे वाक्यों को बोलने में या शब्दों को बोलने में दिमाक पर काफी जोर लगाना पडता है इस स्थिति में वह हकलाता है या कभी कभी तोतलाने लगता है । निर्देशित प्रबल मानसिक लक्षणों में वह मरे हुऐ आदमियों के सपने देखता है और हर वक्त डरा रहता है लगातार सिर हिलाता एंव बकवास करता रहता है । हमने हकलाने व तोतलाने के कई प्रकरणों में इस दवा को मात्र हकलाने व तोतलाने के लक्षणों पर प्रयोग किया एंव हमे आशानुरूप परिणाम मिले है । इस दवा को 30 एंव 200 शक्ति में प्रयोग किया जा सकता है ।
13-कैनेबिस (सैटाइवा- गांजा):- इस दवा के लक्षण भी हकलाने व तोतलाने की समस्या पर हूबहू मिलते कैनाबिस इंडिका से मिलते है , इसका रोगी भी वाक्य को शुरू करते ही आगे के वाक्यों को भूल जाता है अत: हकलाने व तोतलाने पर उक्त दोनो दवाओं में से किसी भी एक दवा का प्रयोग किया जा सकता है इसके रोगी के विशिष्ट लक्षण है रोगी कपडे का स्पर्श सहन नही कर सकता । इस दवा को 30 एंव 200 शक्ति में प्रयोग किया जा सकता है ।
14- तोतलाने की अवस्था में (कास्टिकम):- तोतलाने की अवस्था में जिसमें दाहिनी जीभ अधिक प्रभावित हो एंव गले की आवाज कर्कश रहती हो , या फिर तोतलाना पक्षाधात की वजह से हो तो इस दवा का प्रयोग करना चाहिये , इस दवा का प्रयोग रोगावस्था के अनुसार 200 या 1एम्ा शक्ति का प्रयोग निर्देशित अंतराल से करना चाहिये , कुछ चिकित्सक निम्न शक्ति की अनुशंसा करते है जैसे 6 या 30 पोटेंसी की मात्रा दिन में तीन बार एक या दो सप्ताह प्रयोग करने पर उचित परिणाम परिलक्ष्ति होने लगते है ।
15- वृद्ध स्त्रीयो के तोतलाने पर (बोविस्टा):- यह दवा वृद्ध स्त्रीयों के तोतलाने पर एंव अन्य व्यक्तियों के तोतलाने पर भी उपयोगी है । इस दवा को 30 एंव 200 शक्ति में प्रयोग किया जा सकता है ।
16-जीभ मोटी होने के कारण हकलाता हो (जैल्सियम) :- शरीर की समस्त मॉसपेशीयों में सून्नता जींभ की क्रिया में बाधा पड जाना उसका काम ठीक से न हो पाना अंग उसकी इक्च्छा से कार्य न करते हो, सम्पूर्ण शरीर की शिथिलता के कारण यदि जीभ हकलाती हो तो इस दवा का प्रयोग किया जा सकता है, कुछ चिकित्सकों का अभिमत है कि जींभ मोटी होने के कारण हकलाहट होने पर भी यह दवा उपयोगी है । जैल्सियम 30 शक्ति की दवा का प्रयोग नियमित कुछ दिनों तक करना चाहिये । आवश्यकतानुसार इसकी उच्च शक्ति का प्रयोग निर्देशित लक्षणों के अनुसार किया जा सकता है ।
बच्चों के रोने एंव जिदद करने के उपक्रम :-
17-बच्चों का अनावश्यक जिदद करना (कैमोमिला) :- यदि बच्चा अनावश्यक जिदद करता हो एंव उसे गुस्सा आता हो तथा चिडचिडाता हो एंव जो भी चीजे दो उसे फेक देता हो तो उसे कैमोमिला दवा देना चाहिये इससे अनावश्यक जिदद करने एंव चिडचिडाने तथा क्रोधित होने की प्रवृति बदल जाती है । इस दवा को 30 शक्ति में दिन में तीन बार या उच्च शक्ति में निर्देशानुसार प्रयोग करने से अच्छे परिणाम मिलते है ।
18-बच्चों का गोद में धूमने के लिये जिदद करना (एन्टीमोनियम टार्ट) :- यदि बच्चा गोद में टंगा रहता हो या गोद में धूमने के लिये जिदद करता हो , एंव किसी अपरिचित व्यक्ति द्वारा देखने या छूने पर रोने लगता हो तो ऐसे बच्चों को एन्टीमोनियम टार्ट देना चाहिये । इस दवा की 30 शक्ति या आवश्यकतानुसार 200 शक्ति की दवा का प्रयोग किया जा सकता है ।
19-हठी जिद्धी ,क्रोधि चिडचिडा ,चिल्लाना व लाते मारना (सैनिक्युला):- यदि बच्चा हठी क्रोधि चिडचिडा ,चिल्लाता व लाते मारता हो , किसी को छूने नही देता हो, एक क्षण में क्रोधित तो दूसरे ही क्षण में जोर से हॅसने लगना, इन लक्षणों पर सैनिक्युला दबा का प्रयोग करना चाहिये । इस दवा की 30 शक्ति या आवश्यकतानुसार 200 शक्ति की दवा का प्रयोग किया जा सकता है ।
20-बच्चा चालाक चंचल और विध्वस्क है चीजों को तोडता फोडता है (टेरेंटुला )- यदि बच्चा चालाक विध्वस्क है चीजों को तोडता फोडता है तो ऐसे बच्चो की दबा टेरेटुला होगी, 30 शक्ति या आवश्यकतानुसार 200 शक्ति की दवा का प्रयोग किया जा सकता है ।
21-जिददी बच्चें (एण्टिमोनियम क्रूडम):- बच्चे का अपरिचित व्यक्तियों द्वारा छूने या उसकी तरफ देखने पर बच्चा रोने लगता है , बच्चा जिददी चिडचिडा होता है ,बच्चों को प्यास का न लगना इन लक्षणों पर एण्टिम क्रूडम दवा दिया जाना चाहिये, 30 शक्ति या आवश्यकतानुसार 200 शक्ति या फिर इससे भी उच्च पोटेंसी का उपयोग किया जा सकता है ।
22-बच्चों में चिडचिडापन (एन्टीमोनियम टार्ट):- यदि बच्चों में चिडचिडापन हो तो ऐसी अवस्था में उन्हे एन्टीमोनियम टार्ट देना उचित है ,इसके बच्चों में श्वास सम्बन्धित परेशानीया ,बच्चों की पसली चलने पर यह उपयोगी है जबकि एण्टिमोनिय क्रूडम में पेट से सम्बन्धत समस्याये होती है यह दोनों दवाये बच्चों के मामले में एक सी है जैसे बच्चे का किसी अपरचित व्यक्ति के द्वारा छूने पर या उसकी तरफ देखने पर वह रोने लगता है बच्चा चिडचिडा होता है खुली हवा पसंद करता है 30 शक्ति या आवश्यकतानुसार 200 शक्ति की दवा का प्रयोग किया जा सकता है ।
डॉ0 सत्यम सिंह चन्देल बी0 एच0 एम0 एस0,एम0डी0
धमार्थ चिकित्सालय
बजाज शो रूम के सामने नर्मदा बाई स्कूल के
पास बण्डा रोड मकरोनिया सागर म0प्र0 मकरोनिय
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