मानसिक विकलांग व्यक्तियों का उपचार होम्योपैथिक
मानसिक विकलांग बच्चों में, कई बच्चों के रोग लक्षण होम्योपैथिक लक्षणों से मिलते जुलते है चूंकि जैसाकि हम सभी होम्योपैथिक चिकित्सक इस बात को अच्छी तरह से जानते है कि होम्योपैथिक में किसी रोग का उपचार न होकर लक्षणों का उपचार किया जाता है । इससे कभी कभी लक्षणों के आधार पर ऐसे मानसिक विकलांग बच्चों को होम्योपैथिक दवा देने से बडे ही अच्छे परिणाम मिलते है । हमारी संस्था द्वारा मानसिक एंव बहुविकलाग बच्चों हेतु विशेष स्कूल दिशा मानसिक विकलांग केन्द्र सागर म0प्र0 का संचालन किया जा रहा है । इस विशेष स्कूल में छोटे छोटे दिव्यांग बच्चों को प्रवेश दिया जाता है । अत: ऐसे दिब्यांग बच्चों में कई प्रकार की मानसिक व शारीरिक समस्यायें इस प्रकार होती है जो सामान्य बच्चों में कम पाई जाती है ऐसे बच्चों के लक्षण भी बडे स्पष्ट होते है जो प्रथम दृश्य ही पहचान लिये जाते है । जैसे कुछ बच्चों की मुंह से लगातार लार का टपकते रहना ,हाथ पैर या गर्दन का हिलते रहना , कुछ बच्चे बडे शर्मिले स्वाभाव के तो कुछ उदंण्ड प्रवृति के होते है । कुछ शांत स्वाभाव के तो कुछ वाचाल शरारती होते है । इस प्रकार के लक्षणों का बारीकी से आवलोकन कर होम्योपैथिक औषधियों का निर्वाचन किया जाये तो परिणाम बडे अच्छे व आशानुरूप मिलते है ।
1-बच्चों के मुंह से लगातार लार टपकते रहना :- वैसे तो कई सामान्य बच्चों के मुंह से लार टपकती रहती है परन्तु मानसिक विकलांग बच्चों में भी यह प्रवृति देखी जाती है । मुंह से लार टपकने की इस प्रवृति में होम्योपैथिक में मार्कसाल दवा के प्रयोग करने के निर्देश है ।
हमारी संस्था में एक बच्चे के मुंह से लगातार लार टपकती रहती थी उस बच्चे को मार्कसाल 30 शक्ति में कुछ दिनों तक लगातार प्रयोग करा गया इसका परिणाम यह हुआ कि पहले की अपेक्षा लार का गिरना कुछ कम हुआ ,परन्तु पूरी तरह से ठीक न होने पर उसे मार्कसाल 200 शक्ति में तीन तीन दिन के अन्तर से दिया गया । इस दवा के देने पर कुछ ही दिनों में लार का टपकना पूरी तरह से बन्द हो गया परन्तु दबा के बन्द करते ही लार पुन्ा: टपकने लगती थी परन्तु पहले की अपेक्षा कम थी , अत: उसे 1-एम शक्ति की एक खुराक दी गयी साथ ही यह परिक्षण किया गया कि इस दवा के देने से कितने दिनों के अंतर से लार पुन: टपकी है चूंकि पहले 200 शक्ति में यह दबा 3 दिन के अन्तर से देने पर दुसरे दिन लार टपकने लगती थी । 1-एम शक्ति की दबा के देने से तीन से चार दिन के अन्तर से पुन: लार टपकने लगती थी इस लिये इस दबा को तीन दिन के अन्तर से कुछ दिनों तक दिया गया । इस दवा की 1- एम शक्ति का परिणाम यह हुआ कि उसके मुंह से लार टपकना करीब करीब बन्द हो चुकी थी इसलिये दवा बन्द कर दी गयी दवा के बन्द करने पर पुन: पन्द्रह दिन के अन्तर से लार टपकने लगी इसे देख कर उसे सी एम की एक मात्रा दी गयी इसके देने पर लार का गिरना पूरी तरह से ठीक हो गया । परन्तु यहॉ पर एक दुसरा केश है जिसमें एक सात आठ वर्ष के बच्चे की बुरी तरह से लगातार लार टपका करती थी उसे मार्कसाल 30 शाक्ति में लगातार एक माह तक बीच बीच में बन्द करते हुऐ पयोग कराया गया इसे बडे ही अच्छे परिणाम मिले इस शक्ति की दबा के बाद उसे अन्य शक्ति की दवा देने की आवश्यकता ही नही हुई । अत: हमारी संस्था में इस प्रकार के बच्चों के लार टपकने की प्रवृति पर हम मार्कसाल दवा का प्रयोग करते है एंव इसके हमे बडे ही आशानुरूप परिणाम मिले है ।
मुर्खो की तरह व्यवहार :- वैसे तो मानसिक विकलांग बच्चे मंद बुद्ध होते है परन्तु यदि बारीकी से देखा जाये तो मानसिक विकलाग बच्चे मंद बुद्धी के होते हुऐ भी उनमें दूसरों से कुछ अलग करने की क्षमता होती है एंव उनका व्यवहार भी सामान्य बच्चों से अलग होता है इसके बाद भी यदि सूक्ष्मता से आवलोकन करने पर आप पायेगे कि मंद बुद्धी का होते हुऐ भी उसमें कुछ अलग है । परन्तु कुछ मंद बुद्धि बच्चे मुर्खो का ऐसा व्यवहार करते है जो देखने पर एकदम समक्ष में आता है ऐसे बच्चों को बैराईटा कार्ब 30 शक्ति में कुछ दिनों तक देना चाहिये । यह दबा होम्योपैथिक में मूर्खो की दवा कही जाती है । इसका प्रयोग आवश्यकतानुसार एंव लक्षणों के आधार पर इसका चयन निम्नशक्ति से करते हुऐ अधिकतम 200 शक्ति तक में किया जाना चाहिये । इस दवा के भी बडे अच्छे परिणाम मिले है ।
याददास का कम होना :- वैसे तो यह दबा होम्योपैथिक में याददाश के कम होने या भूलने की प्रवृति में प्रयोग की जाती है मानसिक एंव बहुविकलांग बच्चों में प्राय: कुछ बच्चों में भूलने या याददास कम होने की प्रवृतियॉ होती है ऐसे बच्चों को एनाकार्डियम दवा 30 शक्ति में या इससे भी ऊची शक्ति में देना चाहिये इससे भूलने एंव याददास के कम होने की बीमारी में लाभ होता है ।
बच्चा चंचल विध्वस्क चीजों को तोडता फोडता हो :- बच्चा चंचल,चालाक एंव विध्वस्क चीजों को तोडता फोडता है ऐसे बच्चों को टेरेटुला 30 शक्ति की या 200 शक्ति का प्रयोग करना चाहिये ।
बच्चा अत्याधिक शर्मिला हो :- यदि बच्चा अत्याधिक शर्मिला हो एंव अपने के छिपाता हो तो ऐसे बच्चों को एन्टीमकूड ,हायोसाईमस तथा बैराईटा कार्ब दबा का प्रयोग लक्षणानुसार करना चाहिये ।
मॉ से चिपटा रहता हो :- कई बच्चों में ऐसे प्रवृतियॉ देखी जाती है जैसे वह अपनी मॉ से ही चिपटा रहता है खेलने कूदने कम जाता है या फिर मॉ या पिता के पास ही चिपटे रहना अधिक पंसद करता है इस प्रकार के लक्षणों पर पल्सेटेला ,विस्मिथ या बोरेक्स जैसी दवाओं का चुनाव लक्षणों के अनुसार किया जा सकता है ।
बच्चा उदण्ड कटखना या प्रचंड पागलपन करता हो :- यदि बच्चा उदण्ड कटखना या प्रचंड पागलपन करता हो तो उसे बेलाडोना दिया जा सकता है । इस दबा की निम्नशक्ति का प्रयोग प्रारम्भ में करना चाहिये ।
क्रोधि चिडचिडा :- कई बच्चे क्रोधी चिडचिडे होते है ऐसे बच्चों को कैमोमिला दवा देने से उनकी यह प्रवृति बदल जाती है ।
बच्चे का सोकर घबराकर उठना :- बच्च सोकर घबराया उठता है एलूमिना के मानसिक लक्षणों में बच्चा प्रात:काल जब सोकर उठता है तब घबराया हुआ होता है । (डॉ0सत्य)
अंगूठा चूसना :- कई बच्चों यहॉ तक की बडे व्यक्तियों में भी अंमूठा चूसने की बुरी आदत देखी जाती है । इस प्रकार की आदत को छुडाने में नेट्रम म्यूर 1 एम शक्ति की दबा का प्रयोग पन्द्रह दिनों या सात दिनों के अन्तराल से करना चाहिये यह दवा साधारण नमक को शक्तिकृत कर बनाई जाती है ।
बच्चों का देर से बोलना सीखना :- यदि बच्चा देर से बोलना सीखे तो नेट्रम म्यूर दवा का प्रयोग किया जा सकता है ।
बच्चा देर से चलना सीखे :- यदि बच्चा देर से चलना सीखे तो कैल्केरिया कार्ब दवा देना चाहिये वैसे तो कैल्केरिया कार्ब दबा कम बुद्धि के बच्चों के लिये उपयोगी है परन्तु बच्चों का देर से चलना सीखने पर इसका प्रयोग करना चाहिये ।
बच्चा बोलना एंव चलना दोना देर से सीखे :- बच्चा यदि चलना एंव बोलना दोनों देर से सीखता हो तो उसे एकारिकस दबा देना चाहिये ।
बच्चों का चौक कर उठना :- यदि बच्चा चौक कर उठता हो तो उसे बोरेक्स देना चाहिये । बोरेक्स का बच्चा बहुत ही स्नायविक होता है,जरा से में चौक उठता है ,यदि मॉ बच्चे को गोद से उतार कर पलंग पर लिटाती है तो वह चौक जाता है ।
बच्चों में चिडचिडापन:- यदि बच्चों में चिडचिडापन हो तो ऐसी अवस्था में उन्हे एन्टीमोनियम टार्ट देना उचित है ।
हठी जिद्धी ,क्रोधि चिडचिडा ,चिल्लाना व लाते मारना :- यदि बच्चा हठी क्रोधि चिडचिडा ,चिल्लाना व लाते मारना किसी को दूने नही देना एक क्षण में क्रोधित तो दूसरे ही क्षण में जोर से हॅसने लगना इन लक्षणों पर सैनिक्युला दबा का प्रयोग करना चाहिये ।
बच्चों का गोद में धूमने के लिये जिदद करना :- यदि बच्चा गोद में टंगा रहता हो या गोद में धूमने के लिये जिदद करता हो तो ऐसे बच्चों को एन्टीमोनियम टार्ट देना चाहिये ।
बच्चों का अनावश्यक जिदद करना :- यदि बच्चा अनावश्यक जिदद करता हो एंव उसे गुस्सा आता हो तथा चिडचिडाता हो एंव जो भी चीजे दो उसे फेक देता हो तो उसे कैमोमिला दवा देना चाहिये इससे अनावश्यक जिदद करने एंव चिडचिडाने तथा क्रोधित होने की प्रवृति बदल जाती है ।
बच्चों का रात में रोना दिन में सोना :- यदि बच्चा रात में रोता हो और दिन में सो जाता हो व शान्त खेलता रहता हो तो ऐसे बच्चों को जेलपा देना चाहिये , लक्षणा अनुसार कुछ चिकित्सक सोरिनम दबा के पक्षधर है । अत: इन दोनो दवाओं के लक्षणों का चयन कर दबा का निर्वाचन करना चाहिये ।
बच्चा रात भर रोता है और दिन में ठीक रहता है :- यदि बच्चा रात भर रोता हो एंव दिन में ठीक रहता हो तो ऐसे बच्चों को रियूम तथा जेलपा जैसी दबाये देना चाहिये । (डॉ सत्यवृत)
बच्चा दिन में रोता है एंव रात्रि में सोता है :- यदि बच्चा दिन में रोता रहता है एंव रात्रि में सोता रहता हो तो ऐसे बच्चों को लाईकोपोडियम दबा देना चाहिये ।
क्षूठ मूठ के रोने का उपक्रम :- यदि बच्चा क्षूठ मूठ के रोने का उपक्रम करे परन्तु ऑसू न जाये तो ऐसी स्थितियों में उसे स्टेफिग्रेसिया 30 या 200 शक्ति में देने से उसेकी यह आदत ठीक हो जाती है ।
अनुभव :- हमारे पडौस में एक महिला रहती थी जो घरों में बर्तन साफ करने का काम करती थी उसकी दो बच्चीयॉ थी बडी बच्ची जिसकी उम्र लगभग 10 या 12 वर्ष होगी एंव दुसरी बच्ची जिसकी उम्र मात्र पॉच या छै: वर्ष के आस पास थी । वह मानसिक विकलांग थी मुंह से बोल नही सकती थी , एंव रात दिन जोर जोर से रोया करती थी । यदि उसकी मॉ उसे कहीं पर बैठाल देती तो वह खेलने लगती परन्तु रोते रोते खेलती थी , उसके रोने के लक्षण स्पष्ट नही हो रहे थे जैसा कि ऊपर की दवाओं में दिन में या रात में रोने व सोने के अलग अलग लक्षण है इस लिये उसे जेलपा-30 रियूम-30 तथा लाईकोपोडियम-30 जैसी दबाये प्रर्यायक्रम से दी गयी । बच्ची के मुंह से लार टपकने पर उसे मर्कसाल 30 दिया गया बच्ची के कुछ लक्षण सल्फर से बहुत कुछ मिलते थे इसलिये उसे सल्फर -200 दिया गया इसके बहुत ही आर्श्चयजनक परिणाम मिले । मुंह से लार बहना बन्द हो गया एंव उसके रोने की प्रवृति बदल गयी ।
डॉ0 सत्यम सिंह चन्देल
(बी एच एम एस,एम0डी0)
जन जागरण चैरिटेबल हाँस्पिटल
अध्यक्ष जन जागरण एजुकेशनल एण्ड हेल्थ वेलफेयर
सोसायटी हीरो शो रूम के पास मकरोनिया सागर म0प्र0
खुलने का समय 10.00 से 4.00 बजे तक
M.9300071924
E Mail- jjsociety1@gmail.com
डॉ0 कृृृष्णभूूषण सिंह चन्देल
एम0डी0
अध्यक्ष - चैरिटेबिल हाँस्पिटल
M -9926436304