ची0नी0 शाग उपचार मे स्वारोजगार की अपार संभावनाये
चिकित्सा
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बुधवार, 22 अगस्त 2018
-: नाभी स्पंदन एंव ची नी शॉग चिकित्सा एक नजर:-डॉ कृष्ण भूषण सिंह
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पश्चिमोन्मुखी विचारधारा के अंधानुकरण ने कई जनोपयोगी,उपचार वि़द्यओं को अहत ही नही किया बल्की उनके अस्तित्व को भी खतरे में डाल रखा है । स्वास्थ्य ,दीर्ध,आरोग्य जीवन एंव रोग उपचार हेतु सदियों से प्राकृतिक उपचार विद्याओं का सहारा सदियों से लिया जाता रहा है और इसके सुखद एंव आशानुरूप परिणाम भी मिलते रहे है ।
प्राकृतिक सुलभ उपचार, उपचारकर्ताओं के सदियों की खोज का परिणा था । जिसके आशानुरूप उत्साहवर्धक सफल परिणामों की वजह से यह जन सामान्य में लोकप्रिय रही तथा विश्व के हर कोने में किसी न किसी रूप में ये उपचार विद्यायें प्रचलन में रही है । इस प्रकार की सरल सुलभ एंव उचित परिणाम देने वाले प्राकृतिक उपचार जो कभी जन सामान्य की जुबानों में रटे बसे थे । हमारी बीमार पश्चिमोंन्मुखी विचारधारा के अंधानुकरण ने इस जनोपयोगी कल्याणकारी उपचार विद्या के पतन में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह किया ।
हम केवल अपने देश की अमूल्य घरोहर आयुर्वेद, प्राकृतिक उपचार,योगा की ही बात नही करते बल्की विश्व में इसी प्रकार की अन्य अमूल्य उपचार विधियॉ किसी न किसी पद्धतियों के नाम से प्रचलन में रहते हुऐ रोग उपचार करती रही है , उपचार के सफल परिणामों की वजह से लोकप्रिय भी रही है ।
दे रखी है शेष चिकित्सा पद्धतियों की मान्यता न होने के कारण न तो उनका विकास हो सका न ही उन पर वैज्ञानिक शोध ,अनुसंधान आदि किया गया । यह बात तो दूर है इस प्रकार की शेष चिकित्सा एंव उपचार विधियों को तर्कहीन एंव अवैज्ञानिक कह कर सभ्य व पढे लिखें समाजों ने इसका उपहास उडायॉ तथा ठुकरा दिया , इसका परोक्ष परिणाम उस समय के उपचारकर्ताओं पर पडना स्वाभाविक था, जो मान्यता के अभाव में चिकित्सा कार्य कर रहे थे, उन्हे फर्जी उपचारकर्ता जैसे सम्बोधनों के साथ कानूनी दॉवों पेचों का सामना करना पडता, ऐसी विषम परस्थितियों में इस प्रकार के उपचार के बारे में एंव इस उपचार को अपना भविष्य बनाने के बारे में कोई भी विचार नही कर सकता था ,इन्ही सभी परस्थितियों कि वजह से इस प्रकार की उपचार विधियों का लुप्तप्राय: होना कोई बडी बात नही है ।
यहॉ पर हम दो ऐसी उपचार विधियों पर चर्चा करने जा रहे है ,जो सरल होने के साथ रोग निवारण की अमोद्य व अचूक उपचार विधि है ,साथ ही आज के पश्चिमी चिकित्सा की तरह से रोग की पहचान करने हेतु बडे बडे महगें परिक्षणों की आवश्यकता नही होती । इन दोनो उपचार विधियों का मानना है ,कि समस्त प्रकार की बीमारीयॉ पेट से प्रारम्भ होती है ।
ची नी शॉग :- ची नी शॉग चीन गणराज्य की परम्परागत प्राकृतिक उपचार पद्धति है । इस उपचार में बिना किसी दवा दारू के गम्भीर से गम्भीर असाध्य से असाध्य बीमारीयों की पहचान कर उपचार किया जाता है । ची नी शॉग उपचार हमारे भारत की प्राचीन चिकित्सा नाभी स्पंदन से रोगों की पहचान एंव निदान से बहुत कुछ मिलती जुलती है । नाभी स्पंदन से रोग निदान का उल्लेख हमारे प्राचीनतम आयुर्वेद चिकित्सा में है , परन्तु इसे र्दुभाग्य ही कहेगे कि हम हमारी इस अमूल्य घरोहर को न सम्हाल सके ,सम्हालना तो दूर की बात है पढा लिखा सभ्य समाज इसकी उपेक्षा करता रहा, इतना ही नही इसका उपहास उडाते न थकता । भारत प्रवास के दौरान बौद्ध भिक्षुओं ने इस उपचार की विशेषताओं को देखा , बिना किसी लम्बे चौडे परिक्षणों के नाभी उपचारकर्ता बीमारीयों को आसानी से नाभी व पेट के परिक्षण के बाद पहचान जाते एंव बिना किसी दवा दारू के पेट की नसों व पेट पर पाये जाने वाले आंतरिक अंगों को मिसाज कर सक्रिय कर बीमारीयों को ठीक कर दिया करते । उन्होने इस जादूई सरल उपचार की विशेषताओं एंव उसकी उपयोगिता को समक्षा व अपने साथ चीन व जापान ले गये । चीन व जापान में इस उपचार विधि के संतोषजनक परिणामों ने इसे परम्परागत एंव प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में एक पहचान दी , परन्तु इसे वैज्ञानिक आधुनिक नये स्वरूप में लाने का श्रेय मास्टर मोन्टेक को जाता है । शरीर में होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारीयों की पहचान व निदान इस उपचार विधि से किया जाने लगा एंव अपने आशानुरूप परिणामों की वजह से इसका उपयोग बीमारीयों के अतरिक्त स्वस्थ्य, दीर्धायु एंव शरीरर की सर्विसिग ,रोग परिक्षण के साथ सौन्द्धर्य समस्याओं के निदान में किया जाने लगा । चूंकि यह उपचार विधि पेट के अंतरिक अंगों को सक्रिय व मिसाज करने की एक टेक्नीक है । इस उपचार पद्धति का सिद्धान्त है ।
1- पेट पर शरीर के प्रमुख अंग पाये जाते है जिनके निष्क्रिय या सुसप्तावस्था में आने से मनुष्य बीमारीयों की चपेट में आने लगता है ।
2-शरीर के रस रसायनों की असमानता की वजह से समस्त प्रकार की बीमारीयॉ उत्पन्न होती है । जिसका प्रारम्भ पेट से होता है ।
3-नाभी का सम्बन्ध मानसिक एंव भावनाओं से होता है । नाभी जीवन ऊर्जा का केन्द्रक है जिसे ची कहते है , यह अपने दो विरूद्ध ऊर्जा येन एंव यॉग की समानता को बनाये रखता है , इन दोनो ऊर्जाओं में से किसी भी एक ऊर्जा की असमानता की वजह से विभिनन प्रकार की बीमारीयॉ उत्पनन होती है । ची नी शॉग उपचार में पेट पर पाये जाने वाले आंतरिक अंग चित्र में बतलाये अनुसार व्यवस्थित होते है । ची नी शॉग उपचार से विभिन्न प्रकार की बीमारीयों का उपचार तथा बीमारीयों
की पहचान की जाती है स्वस्थ्य अवस्था में भविष्य में होने वाली बीमारीयों से सुरक्षा हेतु इस उपचार का सहारा लिया जाता है इससे शरीर की सर्विसिंग हो जाती है एंव भविष्य में होने वाले रोगो की संभावना कम हो जाती । साधन सम्पन्न राष्ट्रों में फाईब स्टार होटल्स एंव मिसाज पार्लस में स्वस्थ्य व्यक्तियों द्वारा अपने शरीर एंव पेट को स्वस्थ्य रखने हेतु, माह दो माह में ची नी शॉग उपचार कराते है ,गर्भ से पूर्व महिलाओं द्वारा ची नी शॉग उपचार कराने से गर्भावस्था में जितनी भी समस्यायें उत्पन्न होती है उसका निदान असानी से हो जाता है । बच्चों का विकास पूर्ण रूप से होता है ,बच्चा निरोगी तीब्र बुद्धि का सवस्थ्य होता है एंव प्रसव असानी से समय पर हो जाता है ,प्रसव पश्चात पेट पर स्ट्रेच मार्क के निशान भी नही बनते न ही पेट लटकता है । ची नी शॉग उपचार या नाभी स्पंदन से रोग निदान से पाचन तंत्र स्वस्थ्य रहता है मानसिक बीमारीयॉ नही होती ,मोटापा नही बढता साथ ही स्त्रीयों में स्त्री सुलभ अंगों का विकास पूर्ण रूप से होता है ,त्वचा पर झुरूरीयॉ नही पडती इन्ही कारणों से व इसके चमत्कारी परिणामों की वजह से यह चीन व जापान से होता हुआ अब पश्चिमी राष्ट्रों में काफी उन्नती कर रहा है । हमारे देश में अभी इनके जानकारों का व्याप्त अभाव है नेट पर इसकी जानकारीयॉ एंव वीडियों उपलब्ध है जो गुगल साईड पर Chi Nie Tsong टाईप कर देखे जा सकते है । उक्त दोनों उपचार विधियों का प्रशिक्षण एंव अध्ययन नि:शुल्क इस साईड पर उपलब्ध कराया जाता है जिसका अध्ययन घर बैठे असानी से किया जा सकता है इसकी सारी जानकारीयॉ एंव इसके एक्जाम ईमेल से होते है । सौद्धन्ितिक कोर्स में पास होने पर इसका नि:शुल्क प्रशिक्षण जहॉ कही भी नि:शुल्क प्रशिक्षण कैम्प लगता है प्रशिक्षणाथीयों को अमंत्रित कर प्रशिक्षण दिया जाता है प्रशिक्षण हेतु ऐसी व्यवस्था की गयी है ताकि छात्र को उनके नगर के आस पास लगने वाले नि:शुल्क कैम्प में ही अमंत्रित किया जाता है ताकि छात्र को अनावश्यक परेशानी का सामना न करना पडे वैसे इस कोर्स का घर पर अध्ययन करने के पश्चात छात्र इसकी सम्पूर्ण विषय वस्तु को असानी से समक्ष जाते है एंव उपचार आदि स्वयम अपने प्रयासो से करने लगते है ।
ऐसे चिकित्सक ,नेचरोपैथिक उपचारकर्ता या ब्यूटी पार्लर संचालक,मिसाज पार्लस जो इस उपचार विधियों का लाभ उठाना चाहते हो या प्रशिक्षण या अध्ययन घर बैठे करना चाहते हो वे नीचे बतलाई गयी साईड पर इसकी जानकारीयॉ प्राप्त कर सकते है ।
http://krishnsinghchandel.blogspot.in
http://beautyclinict.blogspot.in/
https://battely2.blogspot.com
डॉ कृष्ण भूषण सिंह
मो09926436304
krishnsinghchandel@gmail.com
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