( होम्योपैथी के चमत्कार भाग -2 )
होम्योपंचर या होम्योएक्युपंचर
विश्व में प्रचलित विभिन्न प्रकार की चिकित्सा पद्धतियॉ किसी न किसी रूप में प्रचलन में है इसी कडी में होम्योपंचर चिकित्सा की जानकारी प्रस्तुत है । होम्योपंचर चिकित्सा, होम्योपैथिक एंव एक्युपंचर की सांझा चिकित्सा है । इसका प्रयोग होम्योपैथिक के ऐसे चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है, जिन्हे एक्युपंचर तथा होम्योपैथिक का सांझा ज्ञान है । होम्योपंचर चिकित्सकों द्वारा होम्योपैथिक की शक्तिकृत दवाओं को एक्युपंचर के निर्धारित पाईट पर पंचरिग कर उपचार किया जाता है । होम्योपंचर चिकित्सकों का मानना है कि इससे परिणाम यथाशीर्ध प्राप्त होते है । होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को जिसे लक्षण विधान चिकित्सा पद्धति कहते है । इसमें एक समय में एक ही प्रकार की उच्च शक्तिकृत दवा को देने का प्रवधान है, साथ ही निर्देश है कि उच्चशक्तिकृत दबाओं का प्रयोग एक बार में एक ही बार किया जाये अन्य शक्तिकृत दबाओं का एक साथ प्रयोग वर्जित है । जबकि होम्योएक्युपंचर में एक समय मे एक साथ कई प्रकार की उच्च से उच्चतम शक्ति की दबाओं का प्रयोग किया जाता है । होम्योपैथिक चिकित्सा में औषधियों को खिलाने के पहले मुहॅ साफ करने को कहॉ जाता है, ताकि मुहॅ में किसी प्रकार का अन्य पदार्थ न हो जो उसके कार्यो में बॉधा न डाले । होम्योपंचर चिकित्सकों का मानना है कि मुहॅ को कितना भी साफ क्यो ना किया जाये उसमें लार या अन्य द्रवों का प्रभाव हमेशा बना रहता है, इसी लिये होम्योपंचर चिकित्सक होम्योपैथिक की उच्चतम शक्ति की दबाओं को डिस्पोजेबिल निडिल जो बहुत बारीक होती है उसके ऊपर के चैम्बर भर कर एक्युपंचर के निर्धारित उस पाईन्ट पर चुभाते है, जिसका सीधा सम्बन्धि बीमारी वाले अंतरिक अंगों से या रोग से होता है । इसके दो लाभ है, एक तो उसे गंत्बय तक पहुंचने में समय नही लगता, जिस पाईन्ट पर दवा लगाई जाती है, उसका सीधा रास्ता व सम्बन्ध रोगग्रस्त स्थान तक पहूच कर जीवन ऊर्जा को प्रभावित करती है । जबकि मुहॅ से दबा खिलाने पर पहले वह मुहॅ में जाती है, इसके बाद उसे विभिन्न प्रकार के रस रसायनों का सामना करना पडता है । होम्योपेचर में औषधियों का सीधा प्रभाव उस चैनल के माध्यम से रोगग्रस्थ अंतरिक अंग या रोग से हो जाता है । इसका दूसरा फायदा यह है कि औषधि अपना सीधा रास्ता तैय कर जीवन ऊर्जा जिसे चाईनीज भाषा में ची कहते है प्रभावित करती है । होम्योपैथिक दबायें भी लक्षण अनुसार अपना कार्य जीवन शक्ति पर करती है । एक्युपंचर चिकित्सा सिद्धान्त के अनुसार शरीर के निर्धारित चैनल के पाईट ची अर्थात जीवन ऊर्जा पर करती है । होम्योपंचर चिकित्सा के उदभव पर यदि नजार डालें तो मालुम होगा कि होम्योपैथिक के आविष्कार के पूर्व से ही शरीर को छेद कर उसके अन्दर औषधियॉ पहूचाने का प्रचलन विभिन्न प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों के प्रचलन में किसी न किसी रूप में प्रचलित रहा है । जैसे एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में इंजेक्शन का लगाना, अतिप्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा में भी शरीर के अन्दर औषधियों को पहुचाने हेतु शरीर को छेदा जाता रहा है । प्राचीन एक्युपंचर चिकित्सा में कई प्रकार के असाध्य रोगों के उपचार हेतु एक्युपंचर के निश्चित चैनल व पाईन्ट में बारीक सईयों को चुभाकर उपचार किया जाता था । परम्परागत कई प्रकार की चिकित्सा पद्धति में आज भी शरीर की कई व्याधियों के उपचार हेतु वनस्पिति के मूल से प्राप्त औषधियों को तरल रूप् में शरीर को छेद कर अन्दर पहुचाने का प्रचलन है ।
होम्योपंचर चिकित्सा जैसा कि पूर्व में ही कहॉ गया है कि यह एक्युपंचर एंव होम्योपैथिक की सांझा चिकित्सा है । इसका प्रयोग होम्योपैथिक तथा एक्युपंचर कि सांझा जानकारी रखने वाले चिकित्सकों द्वारा की जा रही है, परन्तु होम्योपंचर चिकित्सा को स्वतन्त्र रूप से चिकित्सा कार्य करने हेतु शासकीय मान्यता प्राप्त नही है , आशनुरूप शीघ्र परिणामों की वजह से यह अपने प्रचलन में है, परन्तु हमारे देश में गिने चुने चिकित्सकों द्वारा इस का उपयोग किया जा रहा है ।
डाँ. कृष्णभूषण सिंह
एम.एस.सी,डी.एच.बी,एम.डी.एक्यूपंक्चर, एम.डी.इएच
साईड पर पूर्ण जानकारी के लिये गुगल पर डाँ कृष्णभूषण सिह चन्देल लिख विश्व प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों की जानकारियां प्राप्त कर सकते है ।