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3-इलैक्ट्रो होम्योपैथिक

15 अप्रैल 2022

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3- इलैक्‍ट्रो होम्‍योपैथिकपैरासेल्‍सस के प्रथम सिद्धान्‍त ‘ सम से सम की चिकित्‍सा ’ पर डॉ0 हैनिमैन सहाब ने होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा का आविष्‍कार किया, वही उनकी मृत्‍यु के पश्‍चात सन 1865 ई0 में पैरासेल्‍सस के दूसरे सिद्धान्‍त ‘ वनस्‍पति जगत में विद्युत शक्ति विद्यमान ’ होती है । इस दूसरे सिद्धान्‍त पर इलैक्‍ट्रो होम्‍योपैथिक का आविष्‍कार बोलग्‍ना इटली निवासी डॉ0 काऊट सीजर मैटी ने किया था ।इलैक्‍ट्रो होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा पद्धति के दो सिद्धान्‍त है1-वनस्‍पति जगत में वि़द्धुत शक्ति विधमान होती है2- रस और रक्‍त की समानता एंव शुद्धतामैटी सहाब ने हानिरहित वनस्‍पतियों की वि़द्धुत शक्ति की खोज करते हुऐ 114 वनस्‍पतियों के अर्क को कोहेबेशन प्रक्रिया से निकाल कर 38 मूल औषधियों का निर्माण किया जो मनुष्‍य के रस एंव रक्‍त के दोषों को दूर कर उन्‍हे शुद्ध व सम्‍यावस्‍था करती है , उन्‍होने उक्‍त औषधियों के निर्माण में शरीर के अंतरिक अंगों पर कार्य करने वाली औषधियों के समूह का निर्माण किया जिन्‍हे आपस में मिला कर मिश्रित कम्‍पाऊंउ दवा बनाई गई इस प्रकार इनकी संख्‍या बढकर कुल 60 हो गयी है ।इसे सुविधा व कार्यो की दृष्टि से निम्‍न समूहो में विभाजित किया जा सकता है । इस विभाजन में मूल औषधियों के साथ मिश्रित किये गये कम्‍पाऊड की संख्‍या भी सम्‍मलित है ।1- स्‍क्रोफोलोसोज :-प्रथम वर्ग में रस पर कार्य करने वाली मेटाबोलिज्म को संतुलित एंव उसके कार्यो को सामान्‍य रूप से संचालित करने वाली एक क्रियामिक औषधिय है जो रस तथा पाचन सम्‍बन्धित अव्‍यावों पर कार्य करती है औषधियों को रखा जो स्‍क्रोफोलोसोज नाम से जानी जाती है एंव संख्‍या में कुल 13 है ।स्‍क्रोफोलोसो लैसेटिबों :- इसमें एक दवा स्‍क्रोफोलोसो लैसेटिबों सम्‍मलित है इसका कार्य कब्‍ज को दूर करना तथा ऑतों की नि:सारण क्रिया को प्रभावित करना है2- एन्जिओटिकोज :- दूसरे वर्ग में रक्‍त पर कार्य करने वाली , औषधियों को रखा जो एन्जिओटिकोज के नाम से जानी जाती है इस समूह में कुल 5 औषधियॉ है ।3- लिन्‍फैटिकोज :-तीसरे वर्ग में रक्‍त एंव रक्‍त दोनो पर कार्य करने वाली औषधियों को रखा गया जो लिन्‍फैटिकोज नाम से जानी जाती है इस समूह में 2 औषधियॉ है4- कैन्‍सेरोसोज:- चौथे वर्ग में शरीर पर कार्य करने वाले अवयवों तथा सैल्‍स एंव टिश्‍यूज की बरबादी एंव उनकी अनियमिता से उत्‍पन्‍न होने वाले रोगों पर कार्य करती है रखा गया एंव यह कैन्‍सेरोसोज के नाम से जानी जाती है इस समूह में कुल 17 औषधियॉ है ।5- फैब्रि‍फ्यूगोज :- पॉचवे वर्ग में वात संस्‍थान नर्व सिस्‍टम पर कार्य करती है इसे फैब्रि‍फ्यूगोज नाम से जाना जाता है इस समूह में कुल 2 औषधियॉ है ।6- पेट्टोरल्‍स :- छठे वर्ग में श्‍वसन तंत्र पर कार्य करने वाली औषधियों को रखा गया जो पेट्टोरल्‍स के नाम से जानी जाती है एंव संख्‍या में 9 औषधियॉ है ।7-वेनेरियोज –सातवे वर्ग में वेनेरियोज यह औषधिय सक्ष्‍या में 6 है एंव इसका कार्य रति सम्‍बन्धित ,मूत्रसंस्‍थान ,जननेन्‍दीय पर प्रभावी है जिसका उपयोग रतिजन्‍य रोगो व जन्‍नेद्रीय मूत्र संस्‍थान सम्‍बन्धित पर होता है ।8-वर्मिफ्युगोज :–‘ इस वर्ग में में वर्मिफ्युगोज दवा का रखा गया जो संख्‍या में 2 है इस ग्रुप की दवा का प्रभाव विशेष रूप से ऑतों पर है एंव यह शरीर से किटाणुओं व कृमियों को शरीर से खत्‍म कर देती है9- सिन्‍थैसिस:- इस समूह में सिन्‍थैसिस (एस वाय) है जो एक कम्‍पाऊड मेडिसन है जिसका उपयोग सम्‍पूर्ण शरीर के आगैनन को सुचारूप से संचालित करने हेतु प्रेरित करती है एंव उन्‍हे शक्ति प्रदान करती है इसे एस वाई या सिन्‍थैसिस नाम से जाना जाता है ।10-इलैक्‍ट्रीसिटी:- इस वर्ग में पॉच इलैक्‍ट्रीसिटी एंव एक तरल औषधिय अकुवा पैरिला पैली (ए0पी0पी) है । इसमें पॉच इलैक्‍ट्रीसिटी एंव एक त्‍वचा जल सम्‍मलित है जो क्रमश: निम्‍नानुसार है ।1-व्‍हाईट इलैक्‍ट्रीसिटी :-इसे सफेद बिजली भी कहते है , इसकी क्रिया ग्रेट सिम्‍पाईटिक नर्व, सोरल फ्लेक्‍स,लधु मस्तिष्‍क तथा वात संस्‍थान के समवेदिक सूत्रों पर है ,इसलिये यह वातज निर्बलता की विशेष औषधिय है ,इसका प्राकृतिक गुण पीडा नाशक,शक्ति प्रदान करने बाली , नींद लाने वाली वातज पीडा को ठीक करने वाली एंव ठंडक पहुचाने वाली है । इसका वाह्रय एंव आंतरिक प्रयोग किया जाता है ।2- ब्‍लू इलैक्‍ट्रीसिटी :-इसे नीली बिजली भी कहते है ,यह रक्‍त प्रकृति के अनुकूल है ,इसका प्रभाव हिद्रय के बांये भाग पर है यह रक्‍त के स्‍त्राव को चाहे वह वाह्रय स्‍थान या अंतरिक अवयव से हो उसे रोक देती है ,नीली बिजली क्‍योकि यह रक्‍त नाडियों का सुकोड देती है इससे रक्‍त स्‍त्राव रूक जाता है । यह लकवा ,मस्तिष्‍क में रक्‍त संचय ,चक्‍कर आना ,खूनी बबासीर , या शरीर से रक्‍त स्‍त्रावों के लिये उपयोगी है ।3-रेड इलैक्‍ट्रीसिटी:- इसे लाल बिजली भी कहते है, यह कफ प्रकृति वालों के अनुकूल है इसकी प्रकृति पीडा नाशक,बल वर्धक उत्‍तेजक,प्रदाह नाशक, ग्रन्‍थी रोग नाशक है । इसमें रक्‍त की मन्‍द गति को तीब्र करने का विशेष गुण है ।4-यलो इलैक्‍ट्रीसिटी:- इसे पीली बिजली भी कहते है,यह कफ प्रकृति वालों के अनुकूल है इसकी प्रकृति पीडा नाशक, रक्‍त की कमी एंव ऐढन को दूर करने वाली, कै को रोकने वाली एंव कृमि नाशक है तथा वात सूत्रों को बल प्रदान करने वाली है । यह औषधिय बल वर्धक है तथा अन्‍य अपनी सजातीय औषधियों के साथ प्रयोग करने पर शरीर से पसीना लाने वाली है । वात सूत्रों ,ऑतों,और मॉस पेशियों पर इसका विशेष प्रभाव है ,मिर्गी,हिस्‍टीरिया,जकडन,पागलपन इत्‍यादि में एंव उष्‍णता को शान्‍त करने के लिये इसका प्रयोग होता है ।5-ग्रीन इलैक्‍ट्रीसिटी:-इसे हम हरी बिजली भी कह सकते है ,यह रक्‍त प्रकृति वालों के लिये अनुकूल है इसका प्रभाव शिराओं एंव उनकी कोशिकाओं और हिद्रय के आधे दाहिने भाग की बात नाडियों पर है , इसकी क्रिया त्‍वचा ,श्‍लैष्मिककला पर होता है, इसके प्रयोग से किसी भी प्रकार के धॉव, चाहे वे सडनें गलने लगे हो उसमें इसका प्रयोग किया जाता है जैसे कैंसर, गैगरीन,दूषित धॉव बबासीर ,भगन्‍दर के ऊभारों में इसका प्रयोग किया जाता है । मस्‍स्‍ो ,चिट्टे इसके प्रयोग से झड जाते है यह जननेन्द्रिय या मूंत्र मार्ग से पीव निकलने पर अत्‍यन्‍त उपयोगी है । इसके प्रयोग से शरीर के अन्‍दर या बाहर किसी भी स्‍थान पर कैंसर हो जाये तो उसकी पीडा को यह दूर कर देती है ।6-अकुआ पर ला पेली या ए0पी0पी :- इसे त्‍वचा जल के नाम से भी जाना जाता है इसका प्रयोग त्‍वचा को स्निग्‍ध, मुलायम, चिकनाई युक्‍त एंव सुन्‍दर स्‍वस्‍थ्‍य बनाने तथा त्‍वचा के रंग को साफ करने के लिये वाह्रय रूप से (त्‍वचा पर लगाना) उपयोग किया जाता है । इस दवा को ऑखों के चारों तरफ की त्‍वचा पर (ऑखों पर नही) लगाने से ऑखों को शक्ति मिलती है । इसका प्रयोग चहरे व त्‍वचा को चिकना मुलायम साफ चमकदार बनाने में तथा दॉग धब्‍बे झुरियों अथवा मुंहासे,चहरे के ब्‍लैक हैड, खुजली ,छीजन,त्‍वचा के रंग में परिवर्तन आदि में किया जाता है ।है जो अपने रंगों के अनुसार वनस्पितियों से प्राप्‍त की गई है एंव इनका कार्य रोगों के निवारण में किया जाता है एंव इसके बडे ही आशानुरूप परिणाम प्राप्‍त होते है । इसमें एक त्‍वचा जल है जो त्‍वचा को निखरने एंव त्‍वचा दोषों पर प्रभावी औषधिय है ।नि:शुल्‍क परामर्श हेतु आप सुबह 9 बजे से 2 बजे तक फोन कर सकते हैडॉ0 सत्‍यम सिंह चन्‍देल (बी0 एच0 एम0 एस0,एम0डी)धमाधमार्रो शो रूम के बाजूू से नर्मदा बाई स्‍कूल केपास बण्‍डा रोड मकरोनिया सागर म0प्र0 मकरोनियमो0-9300071924-9630309033ई मेल-jjsociety1@gmail.comसाईड-https://jjehsociety.blogspot.com

पैरासेल्‍सस के प्रथम सिद्धान्‍त ‘ सम से सम की चिकित्‍सा ’ पर डॉ0 हैनिमैन सहाब ने होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा का आविष्‍कार किया, वही उनकी मृत्‍यु के पश्‍चात सन 1865 ई0 में पैरासेल्‍सस के दूसरे सिद्धान्‍त ‘ वनस्‍पति जगत में विद्युत शक्ति विद्यमान ’ होती है । इस दूसरे सिद्धान्‍त पर इलैक्‍ट्रो होम्‍योपैथिक का आविष्‍कार बोलग्‍ना इटली निवासी डॉ0 काऊट सीजर मैटी ने किया था ।

इलैक्‍ट्रो होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा पद्धति के दो सिद्धान्‍त है

1-वनस्‍पति जगत में वि़द्धुत शक्ति विधमान होती है

2- रस और रक्‍त की समानता एंव शुद्धता

मैटी सहाब ने हानिरहित वनस्‍पतियों की वि़द्धुत शक्ति की खोज करते हुऐ 114 वनस्‍पतियों के अर्क को कोहेबेशन प्रक्रिया से निकाल कर 38 मूल औषधियों का निर्माण किया जो मनुष्‍य के रस एंव रक्‍त के दोषों को दूर कर उन्‍हे शुद्ध व सम्‍यावस्‍था करती है , उन्‍होने उक्‍त औषधियों के निर्माण में शरीर के अंतरिक अंगों पर कार्य करने वाली औषधियों के समूह का निर्माण किया जिन्‍हे आपस में मिला कर मिश्रित कम्‍पाऊंउ दवा बनाई गई इस प्रकार इनकी संख्‍या बढकर कुल 60 हो गयी है ।

इसे सुविधा व कार्यो की दृष्टि से निम्‍न समूहो में विभाजित किया जा सकता है । इस विभाजन में मूल औषधियों के साथ मिश्रित किये गये कम्‍पाऊड की संख्‍या भी सम्‍मलित है ।

1- स्‍क्रोफोलोसोज :-प्रथम वर्ग में रस पर कार्य करने वाली मेटाबोलिज्म को संतुलित एंव उसके कार्यो को सामान्‍य रूप से संचालित करने वाली एक क्रियामिक औषधिय है जो रस तथा पाचन सम्‍बन्धित अव्‍यावों पर कार्य करती है औषधियों को रखा जो स्‍क्रोफोलोसोज नाम से जानी जाती है एंव संख्‍या में कुल 13 है ।

स्‍क्रोफोलोसो लैसेटिबों :- इसमें एक दवा स्‍क्रोफोलोसो लैसेटिबों सम्‍मलित है इसका कार्य कब्‍ज को दूर करना तथा ऑतों की नि:सारण क्रिया को प्रभावित करना है

2- एन्जिओटिकोज :- दूसरे वर्ग में रक्‍त पर कार्य करने वाली , औषधियों को रखा जो एन्जिओटिकोज के नाम से जानी जाती है इस समूह में कुल 5 औषधियॉ है ।

3- लिन्‍फैटिकोज :-तीसरे वर्ग में रक्‍त एंव रक्‍त दोनो पर कार्य करने वाली औषधियों को रखा गया जो लिन्‍फैटिकोज नाम से जानी जाती है इस समूह में 2 औषधियॉ है

4- कैन्‍सेरोसोज:- चौथे वर्ग में शरीर पर कार्य करने वाले अवयवों तथा सैल्‍स एंव टिश्‍यूज की बरबादी एंव उनकी अनियमिता से उत्‍पन्‍न होने वाले रोगों पर कार्य करती है रखा गया एंव यह कैन्‍सेरोसोज के नाम से जानी जाती है इस समूह में कुल 17 औषधियॉ है ।

5- फैब्रि‍फ्यूगोज :- पॉचवे वर्ग में वात संस्‍थान नर्व सिस्‍टम पर कार्य करती है इसे फैब्रि‍फ्यूगोज नाम से जाना जाता है इस समूह में कुल 2 औषधियॉ है ।

6- पेट्टोरल्‍स :- छठे वर्ग में श्‍वसन तंत्र पर कार्य करने वाली औषधियों को रखा गया जो पेट्टोरल्‍स के नाम से जानी जाती है एंव संख्‍या में 9 औषधियॉ है ।

7-वेनेरियोज –सातवे वर्ग में वेनेरियोज यह औषधिय सक्ष्‍या में 6 है एंव इसका कार्य रति सम्‍बन्धित ,मूत्रसंस्‍थान ,जननेन्‍दीय पर प्रभावी है जिसका उपयोग रतिजन्‍य रोगो व जन्‍नेद्रीय मूत्र संस्‍थान सम्‍बन्धित पर होता है ।

8-वर्मिफ्युगोज :–‘ इस वर्ग में में वर्मिफ्युगोज दवा का रखा गया जो संख्‍या में 2 है इस ग्रुप की दवा का प्रभाव विशेष रूप से ऑतों पर है एंव यह शरीर से किटाणुओं व कृमियों को शरीर से खत्‍म कर देती है

9- सिन्‍थैसिस:- इस समूह में सिन्‍थैसिस (एस वाय) है जो एक कम्‍पाऊड मेडिसन है जिसका उपयोग सम्‍पूर्ण शरीर के आगैनन को सुचारूप से संचालित करने हेतु प्रेरित करती है एंव उन्‍हे शक्ति प्रदान करती है इसे एस वाई या सिन्‍थैसिस नाम से जाना जाता है ।

10-इलैक्‍ट्रीसिटी:- इस वर्ग में पॉच इलैक्‍ट्रीसिटी एंव एक तरल औषधिय अकुवा पैरिला पैली (ए0पी0पी) है । इसमें पॉच इलैक्‍ट्रीसिटी एंव एक त्‍वचा जल सम्‍मलित है जो क्रमश: निम्‍नानुसार है ।

1-व्‍हाईट इलैक्‍ट्रीसिटी :-इसे सफेद बिजली भी कहते है , इसकी क्रिया ग्रेट सिम्‍पाईटिक नर्व, सोरल फ्लेक्‍स,लधु मस्तिष्‍क तथा वात संस्‍थान के समवेदिक सूत्रों पर है ,इसलिये यह वातज निर्बलता की विशेष औषधिय है ,इसका प्राकृतिक गुण पीडा नाशक,शक्ति प्रदान करने बाली , नींद लाने वाली वातज पीडा को ठीक करने वाली एंव ठंडक पहुचाने वाली है । इसका वाह्रय एंव आंतरिक प्रयोग किया जाता है ।

2- ब्‍लू इलैक्‍ट्रीसिटी :-इसे नीली बिजली भी कहते है ,यह रक्‍त प्रकृति के अनुकूल है ,इसका प्रभाव हिद्रय के बांये भाग पर है यह रक्‍त के स्‍त्राव को चाहे वह वाह्रय स्‍थान या अंतरिक अवयव से हो उसे रोक देती है ,नीली बिजली क्‍योकि यह रक्‍त नाडियों का सुकोड देती है इससे रक्‍त स्‍त्राव रूक जाता है । यह लकवा ,मस्तिष्‍क में रक्‍त संचय ,चक्‍कर आना ,खूनी बबासीर , या शरीर से रक्‍त स्‍त्रावों के लिये उपयोगी है ।

3-रेड इलैक्‍ट्रीसिटी:- इसे लाल बिजली भी कहते है, यह कफ प्रकृति वालों के अनुकूल है इसकी प्रकृति पीडा नाशक,बल वर्धक उत्‍तेजक,प्रदाह नाशक, ग्रन्‍थी रोग नाशक है । इसमें रक्‍त की मन्‍द गति को तीब्र करने का विशेष गुण है ।

4-यलो इलैक्‍ट्रीसिटी:- इसे पीली बिजली भी कहते है,यह कफ प्रकृति वालों के अनुकूल है इसकी प्रकृति पीडा नाशक, रक्‍त की कमी एंव ऐढन को दूर करने वाली, कै को रोकने वाली एंव कृमि नाशक है तथा वात सूत्रों को बल प्रदान करने वाली है । यह औषधिय बल वर्धक है तथा अन्‍य अपनी सजातीय औषधियों के साथ प्रयोग करने पर शरीर से पसीना लाने वाली है । वात सूत्रों ,ऑतों,और मॉस पेशियों पर इसका विशेष प्रभाव है ,मिर्गी,हिस्‍टीरिया,जकडन,पागलपन इत्‍यादि में एंव उष्‍णता को शान्‍त करने के लिये इसका प्रयोग होता है ।

5-ग्रीन इलैक्‍ट्रीसिटी:-इसे हम हरी बिजली भी कह सकते है ,यह रक्‍त प्रकृति वालों के लिये अनुकूल है इसका प्रभाव शिराओं एंव उनकी कोशिकाओं और हिद्रय के आधे दाहिने भाग की बात नाडियों पर है , इसकी क्रिया त्‍वचा ,श्‍लैष्मिककला पर होता है, इसके प्रयोग से किसी भी प्रकार के धॉव, चाहे वे सडनें गलने लगे हो उसमें इसका प्रयोग किया जाता है जैसे कैंसर, गैगरीन,दूषित धॉव बबासीर ,भगन्‍दर के ऊभारों में इसका प्रयोग किया जाता है । मस्‍स्‍ो ,चिट्टे इसके प्रयोग से झड जाते है यह जननेन्द्रिय या मूंत्र मार्ग से पीव निकलने पर अत्‍यन्‍त उपयोगी है । इसके प्रयोग से शरीर के अन्‍दर या बाहर किसी भी स्‍थान पर कैंसर हो जाये तो उसकी पीडा को यह दूर कर देती है ।

6-अकुआ पर ला पेली या ए0पी0पी :- इसे त्‍वचा जल के नाम से भी जाना जाता है इसका प्रयोग त्‍वचा को स्निग्‍ध, मुलायम, चिकनाई युक्‍त एंव सुन्‍दर स्‍वस्‍थ्‍य बनाने तथा त्‍वचा के रंग को साफ करने के लिये वाह्रय रूप से (त्‍वचा पर लगाना) उपयोग किया जाता है । इस दवा को ऑखों के चारों तरफ की त्‍वचा पर (ऑखों पर नही) लगाने से ऑखों को शक्ति मिलती है । इसका प्रयोग चहरे व त्‍वचा को चिकना मुलायम साफ चमकदार बनाने में तथा दॉग धब्‍बे झुरियों अथवा मुंहासे,चहरे के ब्‍लैक हैड, खुजली ,छीजन,त्‍वचा के रंग में परिवर्तन आदि में किया जाता है ।

है जो अपने रंगों के अनुसार वनस्पितियों से प्राप्‍त की गई है एंव इनका कार्य रोगों के निवारण में किया जाता है एंव इसके बडे ही आशानुरूप परिणाम प्राप्‍त होते है । इसमें एक त्‍वचा जल है जो त्‍वचा को निखरने एंव त्‍वचा दोषों पर प्रभावी औषधिय है ।

नि:शुल्‍क परामर्श हेतु आप सुबह 9 बजे से 2 बजे तक फोन कर सकते है

डॉ0 सत्‍यम सिंह चन्‍देल (बी0 एच0 एम0 एस0,एम0डी) हीरो शो रूम के बाजूू से नर्मदा बाई स्‍कूल के पास मकरोनिया सागर म.प्र.

डॉ0 सत्‍यम सिंह चन्‍देल (बी0 एच0 एम0 एस0,एम0डी)शो रूम के बाजूू से नर्मदा बाई स्‍कूल के


पास बण्‍डा रोड मकरोनिया सागर म0प्र0 मकरोनिय

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रचनाएँ
चिकित्सा वर्ड
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इस पुस्तक मे विश्व प्रचलित विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों की जानकारी ,तथा उपचार विधियों के लेख , उनकी प्रमाणित जानकारीयाँ , आदि ।
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  नेवल होम्‍योपंचर से सौन्‍द्धर्य समस्‍याओं का उपचार    एक्‍युपंचर चिकित्‍सा चीन गणराज्‍य की उपचार विधि है, इस चिकित्‍सा पद्धति में सम्‍पूर्ण शरीर पर एक्‍युपंचर पाईन्‍ट पाये जाते है , इन निर्धारित बि

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ची नी शाग ( व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का महत्‍व )

26 अगस्त 2022
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ची नी शाग    ( व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का महत्‍व )    आज मुख्‍यधारा की मॅहगी चिकित्‍सा उपचार के भंवरजाल से परेशान जन सामान्‍य एक ऐसी प्राकृतिक उपचार विधि की शरण में जा रहा है जिसे हम सभी  नाभी चिक

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क्‍वान्‍टम थेवरी

26 अगस्त 2022
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                                  क्‍वान्‍टम थेवरी  क्‍वान्‍टम थेवरी :- जहॉ से भौतिक वस्‍तुओं का अस्तित्‍व समाप्‍त होने लगता है वहॉ से सूक्ष्‍म अर्थात क्‍वान्‍टम थैवरी का सिद्धान्‍त प्रारम्‍भ होने

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अब समय आ गया वैकल्‍पिक चिकित्‍सा का

26 अगस्त 2022
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 अब समय आ गया वैकल्‍पिक चिकित्‍सा का     पश्चिमोन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण ने कई जनोपयोगी, उपचार वि़द्यओं को अहत ही नही किया बल्‍की उनके अस्तित्‍व को भी खतरे में डाल रखा है । आज की मुख्‍यधारा

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पैथालाजी रोग एंव होम्‍योपैथिक (विकृति विज्ञान)

26 अगस्त 2022
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   पैथालाजी रोग एंव होम्‍योपैथिक (विकृति विज्ञान)   होम्‍योपैथिक एक लक्षण विधान चि‍कित्‍सा पद्धति है इसमें किसी रोग का उपचार नही किया जाता बल्‍की लक्षणों को ध्‍यान में रखकर औषधियों का र्निवाच

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मानसिक विकलांग व्‍यक्तियों का उपचार होम्‍योपैथिक

26 अगस्त 2022
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   मानसिक विकलांग व्‍यक्तियों का उपचार होम्‍योपैथिक मानसिक विकलांग बच्‍चों में, कई बच्‍चों के रोग लक्षण होम्‍योपैथिक लक्षणों से मिलते जुलते है चूंकि जैसाकि हम सभी होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक इस बात को

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पथरी का उपचार होम्‍योपैथिक

26 अगस्त 2022
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  पथरी का उपचार होम्‍योपैथिक पथरी एक ऐसा रोग है जिसमें मूत्राश्‍य एंव गुर्दे में पथरी बनने लगती है । कुछ मरीजों में तो उपचार के बाद बाद भी बार बार पथरी बनती है । पथरी का उपचार समय रहते न कराने पर

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होम्‍योपैथिक से बच्‍चों का उपचार

26 अगस्त 2022
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  होम्‍योपैथिक से बच्‍चों का उपचार  होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा पद्धति को लक्षण विधान चिकित्‍सा पद्धति में कहते है, इस चिकित्‍सा पद्धति में किसी रोग का उपचार न कर चिकित्‍सक, लक्षणों का उपचार करते ह

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तम्बाकू छोडने कैंसर से बचाओ के लिए

26 अगस्त 2022
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           तम्बाकू छोडने कैंसर से बचाओ के लिए तम्बाकू बीडी,सिगरेट छुडाने ,एव इनकी बजह से मुँह मे छाँले ,धाँव ,सूजन या कैंसर होने की संभावना मे निम्नलिखित योग का प्रयोग कर लाभ उठा सकते है । त्रिफला ,

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ब्‍यूटी क्‍लीनिक ,ब्‍यूटी पार्लर की अत्‍याधुनिक तकनीकी

26 अगस्त 2022
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 ब्‍यूटी क्‍लीनिक ,ब्‍यूटी पार्लर की अत्‍याधुनिक  तकनीकी    ब्‍यूटी क्‍लीनिक ,ब्‍यूटी पार्लर की अत्‍याधुनिक  तकनीकी है , ब्‍यूटी पार्लर में मात्र सौर्न्‍दय श्रृंगार का कार्य होता है एंव यह गली

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आईडोलोजी (ऑखों के परिक्षण से बीमारीयों की पहचान)

26 अगस्त 2022
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आईडोलोजी (ऑखों के परिक्षण से बीमारीयों की पहचान) बीमारीयों की स्थिति में शारीरिक परिवर्तन सामान्‍य सी बात है परन्‍तु लम्‍बे समय से शरीर परिक्षणकर्ताओं द्वारा सूक्ष्‍म शारीरिक अंगो के परिक्षणों का परि

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एक्युपंचर परिचय

26 अगस्त 2022
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   एक्युपंचर परिचय एक्युपंचर दो शब्दो से मिल कर बना है एक्यु का अर्थ होता है सूई एंव पंचर का अर्थ है चुभाना अर्थात इस चिकित्सा पद्धति में बारीक सूईयों को शरीर के निर्धारित पाईन्टस पर चुभा कर उपचार क

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व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का महत्‍व

19 नवम्बर 2022
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  व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का महत्‍व    आज मुख्‍यधारा की मॅहगी चिकित्‍सा उपचार के भंवरजाल से परेशान जन सामान्‍य एक ऐसी प्राकृतिक उपचार विधि की शरण में जा रहा है जिसे हम सभी  नाभी चिकित्‍सा के नाम स

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नाभी चिकित्सा ची.नी.शाँग

2 दिसम्बर 2022
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ची0नी0 शाग उपचार मे स्वारोजगार की अपार संभावनाये चिकित्सा विश्‍व प्रचलित वैकल्पिक चिकित्‍सा पद्धतियो की जानकारी उनकी मान्‍यतायें तथा चिकित्‍सा अधिकारों की विस्‍तृत जानकारीयॉ होम्‍योपैथिक ,एक्‍यु

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