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रिश्ते खून के ???

11 अगस्त 2022

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राजेश अपने घर में  उदास बैठा था ,उसकी पत्नी  अपने बेटे के साथ  अपने मायके रक्षा बंधन के लिए गई थी, राजेश  की आंखों में आंसु थे , वह समझ नही पा रहा था की आखिर उसने ऐसी क्या गलती कर दी थी , जिस से उसकी दोनो छोटी बहने इतना नाराज हो गई जो पिछले चार वर्षो से उसे राखी बांधने नही आ रही थी , !!

उसे याद आता  है ,की जब उसका बेटा  निखिल पैदा हुआ था तो उसने  बारहवे दिन बहुत शानदार पार्टी रखी थी , उत्तर भारत में इसे बरही कहते हैं ,यह विधि होने तक घर में शुद्धि नही होती थी , बरही करने के पश्चात ही घर में फिर से पूजा पाठ शुरू होती थी , !!
उस पार्टी में राजेश ने अपने माता पिता ,छोटे भाई और बहनों को खुद जाकर निमंत्रण दे  आया था , राजेश के पिता अपने छोटे बेटे रमेश से  और दोनो बेटियों से कुछ अधिक ही  लगाव रखते थे,  राजेश उनका बड़ा बेटा होने का बाद भी हमेशा उनके तानों का शिकार रहता था , ,!!
उस पारिवारिक प्रसंग में राजेश के ससुराल वाले भी आए थे , और वह लोग घर का पूरा काम भी सम्हाल लिए थे , वैसे भी उसकी पत्नी किरण अभी किसी काम को करने की स्थिति में नही थी ,वैसे राजेश को ये उम्मीद थी की बहने आकर इस समय घर के काम को और इस प्रसंग को सम्हाल लेंगे  पर हुआ उल्टा , बहने आकर एक कमरे में माता पिता के साथ बैठ कर  बाते करने में लगी रही थी ,  राजेश की सालियां और उनके बच्चो ने पूरा प्रसंग सम्हाल लिया था इसलिए उसे इस बात की चिंता नहीं थी की यह सब कैसे होगा , शाम प्रोग्राम खत्म होने के बाद सभी अपने अपने घर जाने लगते हैं , तो राजेश और उसकी पत्नी ने माता पिता और बहनों को और उनके बच्चे और पतियों के लिए कपड़े और कुछ धन भी विदाई में देते हैं , जबकि ये सब करने की स्थिति में अभी राजेश नही था पर पहला बच्चा था ,तो उसे बहुत खुशी  थी ,इसलिए उसने दोस्तो से पैसे उधार लेकर इस प्रसंग का आयोजन किया था , सभी लोग अपने अपने घर चले गए , !!
उसके बाद जो बहने एकाध हफ्ते में अपने भाई और भाभी से बात कर लेती थी उन्होंने  बाते ही करना बंद कर दिया ,यहां तक की  राजेश को बर्थडे भी विश नही किया तो राजेश को बड़ा अजीब लगता है , पर वाह सोचता है नही याद रहा होगा ,पर जब रक्षा बंधन को भी किसी बहन का ना ही फोन आया और ना ही वह आई तो उसने फोन किया तो किसी ने उठाया भी नही , ,!!
राजेश को इस बात का बहुत दुख होता है , वह अपने पिता से पूछता है की *" पापा क्या बात हो गई जो दोनो बहने रक्षा बंधन में आई नही ,*"!!??

उसके पिता जी कहते है ,*" अब तुम्हारा ही कोई व्यवहार गलत हुआ होगा , *"!!
राजेश फोन बंद कर सोचने लगता हैं की उसने ऐसी क्या गलत बात कर दी जो बहने ऐसा व्यवहार कर रही है ,उसने फिर से अपने पिता को फोन लगाकर पूछा *" पापा मेरी समझ में नहीं आ रहा है ,की क्या बात हो गई जो दोनो इतना नाराज है ,*"!!

उसके पापा कहते हैं ,*" नाराज नही होंगी तुमने अपने बेटे के होने पर दो दो टुकड़े कपड़े के देकर हाथ झाड़ लिया , तुमने उनके लिए क्या किया पूरे दिन हम लोग बैठे  रहे  किसी ने खाना पीना भी नही पूछा ,*"!!
राजेश यह सुन शॉक्ड रह जाता है,  उसे याद आता है कि उसने तो खुद ही खाना परोस कर दिया था ,, और फिर  वह तो घर के थे अपना खून थी  उनका अपना घर था , जो इच्छा होती ले लेती , और जो कुछ उन्हे चाहिए  था हक से मांग लेती , और पापा को भी चाहिए था की  अगर कुछ कम ज्यादा  हुआ भी था तो ,वह उस से कह सकते थे , आखिर  वह उनका बेटा था ,वह किसी मेहमान के यहां नही आए थे ,अपने घर आए थे , उन्हे तो समझना चाहिए था पर उल्टे उन्होंने उनको और भड़का दिया था ,उसी का नतीजा था की वह लोग बात नही कर रही थी , *"!!

राजेश एक बार फिर से बहनों को कॉल करने की कोशिश करता है ,पर वह नही उठाती हैं , उसी समय उसके एक मित्र की बहन  उषा आती है , जो उसे हर साल रखी बांधती हैं, और वह कहीं भी रहे  रक्षा बंधन को आती जरूर थी , !!
उसी समय राजेश की पत्नी भी अपने मायके से आ गई थी , वह  जानती थी की राजेश घर में अकेला है ,और उसकी बहने नही आएंगी तो वह उदास होगा , ,!!

राजेश सोचता है ,लोग इन्ही खून के रिश्ते के लिए ही तो जीते हैं , और वही रिश्ते उन्हे छोटी छोटी बात पर ठुकरा देते हैं , जैसे कोई रिश्ता ही नही ,,!!
तभी उषा की कर्ण प्रिय ध्वनि सुनाई देती है , *" राजेश भईया जल्दी आइए अभी मुझे  सुरेश भईया के पास भी जाना है , और भाभी अपने खीर तो बनाई होगी थोड़ा सा खिला दीजिएगा आपके हाथ की बहुत अच्छी लगती है ,*"!!
किरण ने तो रात में ही खीर बना कर फ्रिज में रख दिया था ,उसे  सुबह जल्दी जाना था और वह जानती थी की कोई आए या न आए उषा जरूर आएगी और बिना खीर खाए मानेगी नही ,*"!!

राजेश अपनी जेब से पांच हजार रूपए उसे देने लगता है तो वह हर बार की तरह माना करती हुई कहती है ,मेरे भाई सही सलामत रहे यही मीरा गिफ्ट है , राजेश उसे गले लगा कर रो पड़ता है  , उषा भी समझती थी उसके दर्द को वह कहती है ,*" भईया हमारा खून का रिश्ता ना सही पर दिल का रिश्ता है , मैं जब तक जिंदा हूं तब तक आपको रखी बांधने जरूर आऊंगा चाहे जहां भी रहूं ,और मार गई तो चुडैल बन कर भी आऊंगी ,*"!!
उसकी इस बात पर सभी हंस पड़ते है , ,!!
किरण उसे खीर लाकर देती है , राजेश सोचने लगता है ,की यह रिश्ता किसी खून के रिश्ते से कम नहीं है , यह उस कच्चे धागे का रिश्ता है जो कभी नहीं टूटता है ,और ना ही कोई  शिकवा शिकायत करता है ,*"!!

वह अपने आंसु  पोंछ ऊषा को अपनी गाड़ी से जय के पास छोड़ने जाता है ,आखिर इतनी दूर से आई थी तो उसका भी कुछ फर्ज बनता था ,*"!!
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खून के रिश्ते ???
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लोग कहते है की खून के रिश्ते कभी नही टूटते है ,और खास कर भाई बहन का पर आज के ज़माने में यह बात गलत साबित होती है ,

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