जीवन
जीवन का सफर बहुत प्यारा,
सदकर्मों का खेल है सारा।
कर्म गति में अंतर आए,
रौद्र रूप फिर वक्त दिखाए।।
जीना है तो खुद से भी मिलाकर,
खुद को मिलने में कैसा डर।
बार-बार ना मिलेगा यह अवसर,
अच्छे बुरे का भी समझ ले अंतर
अच्छा जीवन जीना हाथ हमारे,
प्रेम से इसको सदा सवारें ।।
कर्मो ने ही संग है जाना,
ना कोई अपना ना कोई बेगाना।।
नरेन्द्र कुमार बस्सी
बठिंडा पंजाब
#narinderkumarbassi