shabd-logo

जब तुम नही होती

8 सितम्बर 2022

50 बार देखा गया 50
जब तुम नही होती
तब मेरे जीवन में कोई रंग उल्लास नही होता है।
जब तुम पास होती हो
तब ये आँखे भी शर्माती है।
तुम महसूस भी करती होगी शायद
इसीलिए तुम कभी पास नही होती
अजीब उलझन है
जितना तुम्हे समझने की कोशिश करता हूँ
उतना ही और उलझ जाया करता हूँ मै
कभी-कभी सोचता हूँ
तुम्ही से क्यों न पूछ लूं मै
पर मन डरता है
कही तुम नाराज न हो जाओ
तुम्हारे लिए लाया गुलाब
किताबों मे ही सुखकर रह जाता है
और एक याद बनकर शेष रह जाता है
रोज एक नयी आरजू जन्म लेती है
पर हाय! एक दर्द बनकर रह जाती है।
कल भी जब तुम्हे देखा था
कही खोयी हुयी थी अपने आप में
हमेशा की तरह
तुम्हारे करीब से ही गुजरा था मै
तुमने चौक कर देखा भी था शायद
पर हर बार की तरह मैने यही समझा
क्यो देखोगी तुम मुझे,
मै तो एक अन्जाना अनचाहा हूँ
क्या रिश्ता है मेरा और तुम्हारा
तुम मधुमास हो तो मै पतझङ हूँ
तुम मधुर कोमल आलाप हो तो
मै सिर्फ हवाओं का शोर हूँ ।
यह मेरा सोचना गलत भी हो शायद
यह मेरे मन का भ्रम भी तो हो सकता है
फिर मेरे हृदय मे झंकार है तुम्हारे लिए
भावों का झरना है तुम्हारे लिए ।
जब तुम नही होती
तब मेरे जीवन मे कोई रंग उल्लास नही होता  

राकेश कुशवाहा राही की अन्य किताबें

2
रचनाएँ
जब तुम नही होती
0.0
"जब तुम नही होती " एक पुस्तक मात्र नही यह एक टूटे हुए मन की मनोवैज्ञानिक स्थितियों का ताना बाना है। मन का बिखरा दर्द कुछ मेरे है तो कुछ आपके भी है। " मेरे जीवन में रंजो गम की आँधियां है बस, माना कि तुम खुश हो तुम्हारा वहम है सब।"

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए