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साकी

7 सितम्बर 2022

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               साकी

साकी से नजरें मिली जो जरा सी
मुद्दतों बाद मैने भी पी ली जरा सी
खफा है जमाना मुझसे वेवफा सा
जीन्दगी मैने  तुझे जी ली जरा सी।

साकी की रजा में मेरी रजा हो गयी
जिन्दगी की महफिल जवाँ हो गयी
अब आवारगी में भी लुत्फ़ है बहुत
फकीरों की रहनुमायी दुआ हो गयी।

बेफ़िक्री के धुएं मे मन सँवर सा गया
सुकून जो मिला तो मन ठहर सा गया
साकी की इनायत सरे-आम  हो गयी
बंधनों को तोड़कर मन भंवर  हो गया।

इश्क इबारतों में तेरा ही नाम है साकी
शम्मा की आग में बस जलना है बाकी
जीने-मरने का गम भी अब सताता नही
तेरा आसरा ही मेरा आलंबन  है साकी।

(**साकी ईश्वर का प्रतीक है।)















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जब तुम नही होती
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"जब तुम नही होती " एक पुस्तक मात्र नही यह एक टूटे हुए मन की मनोवैज्ञानिक स्थितियों का ताना बाना है। मन का बिखरा दर्द कुछ मेरे है तो कुछ आपके भी है। " मेरे जीवन में रंजो गम की आँधियां है बस, माना कि तुम खुश हो तुम्हारा वहम है सब।"

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