"जब तुम नही होती " एक पुस्तक मात्र नही यह एक टूटे हुए मन की मनोवैज्ञानिक स्थितियों का ताना बाना है। मन का बिखरा दर्द कुछ मेरे है तो कुछ आपके भी है। " मेरे जीवन में रंजो गम की आँधियां है बस, माना कि तुम खुश हो तुम्हारा वहम है सब।"
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जब तुम नही होती तब मेरे जीवन में कोई रंग उल्लास नही होता है। जब तुम पास होती हो तब ये आँखे भी शर्माती है। तुम महसूस भी करती होगी शायद इसीलिए तुम कभी पास नही होती अजीब उलझन है जितना तुम्हे समझने की को
साकी साकी से नजरें मिली जो जरा सी मुद्दतों बाद मैने भी पी ली जरा सी खफा है जमाना मुझसे वेवफा सा जीन्दगी मैने तुझे जी ली जरा सी। साकी की रज