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जब तुम नही होती

राकेश कुशवाहा राही

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"जब तुम नही होती " एक पुस्तक मात्र नही यह एक टूटे हुए मन की मनोवैज्ञानिक स्थितियों का ताना बाना है। मन का बिखरा दर्द कुछ मेरे है तो कुछ आपके भी है। " मेरे जीवन में रंजो गम की आँधियां है बस, माना कि तुम खुश हो तुम्हारा वहम है सब।"  

jab tum nahi hoti

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