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ज़िंदगी के कई रूप

2 फरवरी 2022

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कहीं फूलों सी खिलखिलाती है जिन्दगी 
तो कहीं घुट घुट कर बेहिसाब रोती है जिन्दगी 

कहीं आलिशान मकानों में है जिन्दगी 
तो कहीं आज भी सड़को, चौराहों व गलियों में है जिन्दगी 

कहीं खाने में छप्पन भोग परोसती है जिन्दगी 
तो कहीं आज भी दो रोटी को तरसती है जिन्दगी 

कहीं बरसती नोटों व सता की आस में है जिन्दगी 
तो कहीं आज भी बस एक नौकरी की तालाश में है ज़िन्दगी । 

कहीं पैसों के दम पर डिग्रिया खरीदना फितरत है जिन्दगी 
तो कहीं आज भी बेहतरीन शिक्षा की जरूरत है जिन्दगी 

कहीं बड़े-बड़े पार्टियों की शौकिन है जिन्दगी 
तो कहीं आज भी त्योहारों में रंगहीन है जिन्दगी  

कहीं समाज के बेमतलब व बेतुकी बातें है जिन्दगी 
तो कहीं आज भी जाति और मजहब में होती फसादे है ज़िन्दगी 

कहीं खुदा को पुकारती आवाज़ है जिन्दगी 
तो कही अपने आवाज़ को बुलंद कर भरती परवाज है जिन्दगी

✍️Tannu Varnwal

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