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कहीं फूलों सी खिलखिलाती है जिन्दगी तो कहीं घुट घुट कर बेहिसाब रोती है जिन्दगी कहीं आलिशान मकानों में है जिन्दगी तो कहीं आज भी सड़को, चौराहों व गलियों में है जिन्दगी कहीं खाने में छ