कार्तिक दहिया.. 25-26 साल का नवयुवक.. इंडियन आर्मी में कैप्टन जो जल्दी ही मेजर बनने वाला है.. दिखने में भी किसी साधारण लड़के से ज्यादा आकर्षक.. फिट और बढ़िया कद काठी.. हल्का गौरा रंग.. गहरी काली आंखें.. दमदार भुजाएं.. और गंभीर चेहरा.. कुल मिलाकर किसी की आंखों को खुद पर ठहरने को मजबूर कर देने वाला.. देश की सेवा.. जिसका जुनून है.. फौज जिसका इश्क है..
पूर्णिमा.. एक 24-25 साल की साधारण सी लड़की जो तन और मन दोनों से खूबसूरत है.. तीखे नैन नक्श.. एक परफेक्ट सांचे में ढला शरीर.. सादा लेकिन आकर्षक पहनावा.. बालों की चोटी कमर पर झूल रही थी.. कोई मेकअप नहीं.. बस मांग में थोड़ा सिंदूर लगाया हुआ था.. उसकी शादी को लेकर उसके घर वाले उससे बहुत नाराज थे.. जिसका मुख्य कारण था कि शादी के बाद भी पूर्णिमा अपने मायके में ही रहती थी..
अगर किसी पर मर मिटने को इश्क कहते हैं तो फौजी से बड़ा कोई आशिक नहीं.. ये कहानी है एक ऐसे ही फौजी की.. जिसके लिए फौज ही सब कुछ है..
पर कोई है.. जिसने उस फौजी के फौज से इश्क को मुक्कमल करने के लिए अपने इश्क को शहीद कर दिया.. और इंतजार को अपने जीवन में लिख लिया.. एक फौजी.. और एक का फौज सा इश्क..
✍️✍️क्रमश: