कार्तिक दहिया.. 25-26 साल का नवयुवक.. इंडियन आर्मी में कैप्टन जो जल्दी ही मेजर बनने वाला है.. दिखने में भी किसी साधारण लड़के से ज्यादा आकर्षक.. फिट और बढ़िया कद काठी.. हल्का गौरा रंग.. गहरी काली आँखें.. दमदार भुजाएं.. और गंभीर चेहरा.. कुल मिलाकर किसी की आँखों को खुद पर ठहरने को मजबूर कर देने वाला.. देश की सेवा.. जिसका जुनून है.. फौज जिसका इश्क है..
अपनी तकरीबन 5 साल की नौकरी में ही उसने आर्मी के कितने ही जानलेवा मिशन पर शिद्दत से अपनी ड्यूटी निभाई थी.. पिछले हफ्ते भी उसने अकेले ही जम्मू में तीन आतंकवादियों को मार गिराया था और अपने साथी को बचाने के लिए अपने हाथ पर गोली भी खाई थी..
उसकी इस असाधारण बहादुरी के लिए उसकी यूनिट ने उसका नाम शौर्य चक्र के लिए भी हाई कमान को भेजा है.. लेकिन कार्तिक को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है.. वो तो बस शिद्दत से फौज से अपना इश्क निभा रहा था..
हाथ में लगी गोली के चलते पिछले एक हफ्ते से वो आर्मी अस्पताल में भर्ती था.. और आज उसे डिस्चार्ज मिला था.. डॉक्टर ने उसे कुछ दिन ड्यूटी से रेस्ट लेने को कहा था तो उसकी यूनिट के हेड ने उसकी दो हफ्तों की छुट्टी भी मंजूर कर दी थी..
जब से उसने आर्मी ज्वाइन की थी.. वो कभी छुट्टी पर अपने घर नहीं गया था.. उसके पास अपने कारण थे घर ना जाने के.. लेकिन इस बार उसे गोली लगने की खबर न्यूज में आ गई थी और उसकी दादी उससे मिलने की जिद बांधे हुए थी.. इसलिए आज वो अपने घर जा रहा था.. पूरे 4 साल 11 महीने और 16 दिन बाद...
पूरे सफर में वो हमेशा की तरह शांत ही था.. उसके चेहरे के भाव उसके मन के हाल को बता पाने में असमर्थ थे.. दादी को उसके आने की सूचना थी और बाकी किसी से उसे कोई मतलब नहीं था.. बस से गाँव के बस स्टैंड पर उतरा तो उम्मीद के मुताबिक उसके घर से कोई नहीं आया था उसे लेने.. फौजी था तो अपना और अपने सामान का बोझ उठाना उसे अच्छे से आता था.. ग्रीन टी शर्ट और ब्लैक कार्गो पैंट और ब्लैक स्पोर्ट्स शूज.. पीठ पर अपना फौजी रंग का पिट्ठू बैग.. धूप से बचने के लिए सिर पर रुमाल बांध कर वो घर के लिए पैदल ही निकल गया..
जेठ की दुपहरी थी तो कोई इक्का दुक्का लोग ही बाहर थे.. जो उसे जानते थे.. बड़े ही प्रेम और गर्व से उससे मिल रहे थे.. आखिर गाँव का पहला फौजी अफसर था वो.. लगभग 15-20 मिनट के उस तपते सफर के बाद वो अपने घर के दरवाजे पर पहुँचा तो दादी सामने ही बड़े से हवेलीनुमा दरवाजे में रखी एक चारपाई पर लेटी हुई थी..
कार्तिक जाकर अपनी दादी से मिला तो दादी ने भावुक होकर ढेरों आशीष अपने पोते को दे दिए और उसके गले लगकर लगभग रो पड़ी.. दादी के रोने की आवाज सुनकर घर के बाकी सदस्य यानि कार्तिक के पापा.. उसकी सौतेली माँ (उसके पिता की दूसरी बीवी), उसका सौतेला भाई अरुण.. बाहर आ गए..
कार्तिक ने आगे बढ़कर नमस्ते कहते हुए अपने पापा और माँ के पैर छू दिए और अरुण को भी एक फीकी सी मुस्कान दे दी.. अरुण बिना कोई बात किए वापस अंदर घर में चला गया और उसके पिता ने औपचारिक रूप से कार्तिक की खैर खबर ली.. लेकिन उसकी सौतेली माँ ने आज कुछ अविश्वसनीय किया.. उन्होंने आज ना सिर्फ कार्तिक से उसका हालचाल पूछा बल्कि अपनी बेटी गीता से कार्तिक के लिए खाना लगाने को कहा..
कार्तिक तो एक पल को सुन्न पड़ गया था क्योंकि उसके होशो हवास में आज ये पहली बार था जब उसे उसकी माँ ने खाना ऑफर किया था.. वरना जब तक वो यहाँ रहता था.. हमेशा अपना और अपनी दादी का खाना खुद बनाता था..
उसने अपनी दादी की तरफ देखा तो उन्होंने आँखों से इशारा करते हुए उसे शांत रहने को कहा.. कार्तिक अपनी दादी को बोलकर नहाने चला गया.. कुछ देर बाद गीता खाना लेकर आ गई तो कार्तिक ने चुपचाप खाना खा लिया..
वो और उसकी दादी एक साथ बैठे थे तो उसने दादी से सबके बदले स्वभाव का कारण पूछा तो दादी ने बताया कि अब कार्तिक अपनी सैलरी से जो हर महीने पैसे भेजता है.. ये बदलाव उसी की वजह से है.. ऊपर से गाँव और रिश्तेदारों में उसकी सौतेली माँ की इज्जत बढ़ गई है कि उसने एक सौतेले बेटे को ऐसी परवरिश दी कि वो फौज में अफसर बन गया है.. और कार्तिक के शौर्य चक्र वाली खबर के बाद तो गीता के लिए अच्छे रिश्ते भी आने लगे हैं..
कार्तिक को तो अंदाजा तक नहीं था कि वो अपने परिवार के लिए एक इन्वेस्टमेंट बन गया है जिससे वो सिर्फ मुनाफा कमाने में लगे हैं.. वो अपने कमरे से दूसरी चारपाई उठा लाया और वहीं अपनी दादी के पास उसे लगाकर लेट गया.. सफर की थकान के चलते उसे जल्दी ही नींद आ गई।
✍️✍️क्रमश: