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झुकना चाहिए

7 अक्टूबर 2022

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  •  ये बहुत पहले की बात है एक नाज़ुक गुलाब का पौधा था छोटा सा पौधा। एक बड़े से अंजीर के पेड़ के पीछे उगा हुआ था। अंजीर का पेड़ उसकी छोटी - छोटी डालियों का हमेशा मज़ाक उड़ाता करता था । एक दिन बहुत तेज़ हवा चली। अंजीर तन के खड़ा था और गुलाब के पौधें का मज़ाक उड़ा रहा था। कह रहा था चलो देखते हैं क्या तुम्हारी खूबसूरती तुम्हें बचा पाएगी या नहीं गुलाब चुप था। वो कुछ नहीं बोला तभी हवा और तेज़ हो गई। अंजीर का पेड़ तन कर खड़ा रहा पर गुलाब उसने अपने आप को  हवा के रुख के मुताबिक़ मोड़ लिया और वो झुक गया। धीरे - धीरे हवा और तेज़ होती गई और अंजीर का पेड़ टूट कर गिर गया। जब हवा चलना बंद हुई तब गुलाब फिर से खड़ा हो गया अपने उन नाज़ुक और छोटी - छोटी डालियों के साथ। इक नाज़ुक गुलाब का पौधा खड़ा हो गया जबकि एक बड़ा स अंजीर का पेड़ टूट कर गिर गया। इसीलिए ये कोई ज़रूरी नहीं कि जो दिखने में बड़ा और मज़बूत दिखें वो हर हवा के रुख को बर्दास्त कर सकें कभी -कभी झुक के चलना भी ज़रूरी होता है।

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