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जिंदगी

25 नवम्बर 2015

170 बार देखा गया 170
featured imageजिंदगी इन बर्फ के आदमी से दिखने वाले पुतलों की तरह ही है क्षणभंगुर है .. कब कौन रपट जाए कुछ नहीं पता लेकिन हमारे जीने का अंदाज़ देखिये ... हम ऐसे जीते हैं जैसे यही रहेंगे हमेशा .. ऐसे जोड़ते हैं चीजों को जैसे हम ही भोगेंगे सबको और भूल जाते हैं बस इंसानियत को ... चलो एक बार इंसानियत इंसानियत का भी खेल खेल के देखे ... मजा आया तो फिर से खेलना और न आया तो छोड़ देना ........
वर्तिका

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आप ने तो डिल की बात कह दी ;;; मैं भी यही सोचता हूँ की इंसान हैं हम इस जीवन में इंसानियत और मानवता शुभ भावना शुभ विचार से जिया जा सकता हैं ; ;;; सही कहा आप ने कुछ लोग हैं वह यह समझते हैं की हम तो हमेशा जिएंगे ही और ऐसा वही लोग करते हैं ई

25 नवम्बर 2015

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mridulekanhikhani
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