मैँ इंसान हू मनुष जनम मिला हैं कुछ जिंदगी में करने के लिए इसलिए अब ऐसा सोचा की जिंदगी कितनी रह गयी हैं यवः पता नहीं काम कुछ ऐसा किया जाए की लोग तो याद रखे यही उदेश बनाया हैं जिंदगी का
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मानवता
हम इंसान हैं और मंदिर भी जाते हैं आरती भी करते हैं ;;;;;; तो पूरी आरती पढ़ने के बाद हूँ केयू यह भूल जाते हैं जीवन में असली रूप में इसे इस्तेमाल किया जाए to jiwan sab का अच्छा ही हो ;;;उद्धरण पक्ति हैं ;;; मिटे राग द्वेष हमारा प्रेम पथ ;;;; और मंदिर से निकलने के बड़ा ही अलग वातावरण में केयू चले जा