जिंदगी
जिंदगी इन बर्फ के आदमी से दिखने वाले पुतलों की तरह ही है क्षणभंगुर है .. कब कौन रपट जाए कुछ नहीं पता लेकिन हमारे जीने का अंदाज़ देखिये ... हम ऐसे जीते हैं जैसे यही रहेंगे हमेशा .. ऐसे जोड़ते हैं चीजों को जैसे हम ही भोगेंगे सबको और भूल जाते हैं बस इंसानियत को ... चलो एक बार इंसानियत इंसानियत का भी खे