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जम्मू-कश्मीर

10 दिसम्बर 2023

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जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देनेवाले संविधान के अनुच्छेद 370 को वापस लेने, अनुच्छेद 35ए को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटकर दो केंद्रशासित प्रदेश बनाने के भारत सरकार के प्रस्ताव पर संसद ने दो तिहाई बहुमत से 06 अगस्त 2019 को मुहर लगा दी। 


जब दोनों विधेयकों पर राष्ट्रपति के दस्तखत हुए, तब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के केंद्रशासित प्रदेश बन गए। इस एक साहसिक निर्णय से एक संविधान, एक निशान और एक शासन की उम्मीद परवान चढ़ गई।


केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद के दोनों सदनों में स्पष्ट किया, ‘‘पीओके (गुलाम कश्मीर) और अक्साई चिन जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है और उसके लिए हम अपनी जान भी दे देंगे।’’


उन्होंने संसद में जोर देकर यह भी कहा, ‘‘मैं जब-जब जम्मू-कश्मीर बोलता हूॅं, तब-तब पीओके और अक्साई चिन जम्मू-कश्मीर का हिस्सा होते हैं।’’


उन्होंने यह भी साफ किया कि अनुच्छेद 370 ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद का मूल कारण है और इसको खत्म करने से ही लोगों को मुख्यधारा में लाने में मदद मिल सकेगी।


एक तीर से कई निशान

 

आम तौर पर एक तीर से एक ही निशान लगाया जाता है, लेकिन अनुच्छेद 370 और 35ए हटाकर केंद्र की एनडीए सरकार ने एक तीर से कई निशान साध दिए। 


वस्तुतः, जब कुछ करने का जज्बा और जुनून हो, तब कोई कार्य असंभव नहीं रहता। एक तीर से कई निशान साधने का उत्कृष्ट दृष्टांत इस प्रकार हैः-


1. ऐतिहासिक भूल सुधारते हुए देश का एकीकरण किया।

2. कश्मीर सहित भारत की जनता को तोहफा दिया।

3. कश्मीर भारत का ताज है और रहेगा, साबित किया।

4. स्थानीय परिवारवादी नेताओं के मंसूबों को धूल-धूसरित किया।

5. असहमत विपक्षियों को करारा जवाब दिया।

6. राष्ट्रवाद और देशभक्ति की लहर पैदा किया।

7. आतंकवादियों और अलगाववादियों पर तीखा प्रहार किया।

8. पत्थरबाजी और धोखेबाजी पर लगाम लगाया।

9. पाकिस्तान-चीन की हेकड़ी निकाली।

10. पाकी एटम बम के शिगुफे को ध्वस्त किया।

11. विश्व के सामने ‘साफ्ट स्टेट’ की छवि को तोड़कर विश्वशक्ति के रूप में उभरा।

12. अगला दांव पाक अधिकृत कश्मीर पर लगाने के लिए जमीन तैयार किया।

13. पाकिस्तान से अगली बातचीत आतंकवाद व पीओके पर करना तय किया।


आतंकवाद का संक्षिप्त इतिहास 


जम्मू-कश्मीर को 1989 से आतंकवाद की आग में तब झोंक दिया गया, जब पूर्ववर्ती सोवियत संघ ने अफगानिस्तान छोड़ दिया। इससे अमेरिका व अन्य पश्चिमी देशों ने खुद को विजेता घोषित कर दिया।


अफगानिस्तान में नवाज शरीफ ने ऐसी सरकार के काबिज होने में मदद की, जो भारत की रूस से नजदीकियों के चलते बैरभाव रखती थी। 

पाकिस्तान ने यही नीति कश्मीर के लिए भी लागू की, जो अभी तक बदस्तूर जारी है। आतंकवादी हिंसा से अब तलक 50 हजार से अधिक भारतीय, जिसमें सैन्यबल व आमजन शामिल हैं, मारे जा चुके हैं।

 

गृहमंत्री ने संसद में सवाल उठाया कि आखिर इन हजारों भारतीयों की मौत का जिम्मेदार कौन है? हम हुर्रियत और अलगाव पोषक तत्वों से बात करना नहीं चाहते, लेकिन कश्मीरियों से बातचीत के लिए सदैव तत्पर हैं।

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पुस्तक का पहला भाग पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद। कृपया फालो करें, समीक्षा लिखें, लाइक, कमेंट व शेयर भी करने का कष्ट करें।


मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

सुन्दर विश्लेषण किया है आपने सर अपने लेखन में 👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

14 दिसम्बर 2023

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रचनाएँ
मिशन कश्मीर
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