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जो बीत गया सो बीत गया

30 जनवरी 2023

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जो बीत गया सो बीत गया ,


उस पर  क्यों शोक  मनाते हो ,


जो छूट गये सो छूट गये,


उस पर क्यो अश्रु बहाते हो ,


जो है अभी उस पर क्यों नहीं चिंतन करते हो ,


जो बीत गया सो बीत गया


उस पर  क्यों  शोक  मनाते हो ।।


                 जब तारा कोई टूटता है,


                 क्या गगन शोक मनाता है ,


                 जब धूल गर्दिश बन हवा में उड़ती ,


                 क्या धरा शोक मनाती है ,


                 जब बारिश बूंद बन धरा पर गिरती ,


                  क्या बादल शोक मनाता है ,


                  जो बीत गया सो बीत गया ,


                  उस   पर  क्यों शोक  मनाते हो ।।



जब पतझड़ बन पत्ते धरा पर गिरते ,


क्या वृक्ष शोक मनाता है,


जब किरण सूर्य से निकल चहुँ दिशा में फैलती ,


क्या  सूर्य  शोक मनाता है ,


जब फूल पथ पर गिरकर चरण की धूल बनते ,


क्या फूल शोक  मनाता  है ,


जो बीत गया सो बीत गया ,


उस पर क्यों शोक मनाते हो ।।


                जब वीर जवान देश  पर शहीद होता,


                क्या वीरता उसकी शोक मनाती है ,


                जब फल टूट धरा पर गिरती ,


                 क्या शाखा शोक मनाती है।


                 जब लहरे तट छोड़ समुद्र में समाती


                 क्या तट शोक मनाता है।


                 जो बीत गया सो बीत गया


                 उस पर क्यों शोक मनाते हो।।


जब बाण  तरकस से   छूटती ,


क्या तरकश शोक मनाता है ,


जब हिम - खण्ड हिमालय से टूटता


क्या   हिमालय शोक मनाता है ,


जब राही  पथ से  छूटते ,


क्या  पथ शोक मनाता है ,


जो बीत गया सो बीत गया


उस पर क्यों शोक मनाते हो ।।


                 जब रात्रि अपनी तिमिरता फैलाती ,


                 क्या दिवा शोक मनाती है ,


                 जब आत्मा काया से छूटती ,


                  क्या मृत्यु शोक मनाती है ,


                  जो बीत गया सो  बीत गया ,


                  उस पर क्यों शोक मनाते हो ।।



                                          विनोद पाण्डेय  " तरु  "

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रचनाएँ
साहित्य चेतना
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साहित्य संग्रह ,काव्य व लेख
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हर हाल में चलना सीखो

31 अगस्त 2022
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हर हाल में चलना सीखो हर पल हँसना - रहना सीखो निंद्रा - तंद्रा त्यागना सीखो अपने आपको जगाना सीखो हर हाल में चलना सीखो हर पल का हँसना - रहना सीखो।। हर हाल में चलना सीखो हर - पल हँसना - रहना सीखो न

2

नव वर्ष

1 जनवरी 2023
1
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नव वर्ष आया नव मंगल लाया नव सृजन का आह्वान लाया ।। नव वर्ष आया नव संकल्प  लाया भूले-बिसरे का नव याद लाया।। नव वर्ष आया नव विचार लाया व्यसन   छोड़ने का पैगाम लाया ।।

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पुरुषार्थ

9 जनवरी 2023
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पुरुष है पुरुषार्थ कर नव- सृजन का आह्वान कर मन को उदीप्त तन को प्रदीप्त कर ' अलभ्य को लभ्य नव राह को प्रशस्त कर पुरुष हैं पुरुषार्थ कर नव- सृ

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सीखो

15 जनवरी 2023
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फूलों से नित हंसना सीखो और चंद्रमा से सौमयता सीखो || भौरो से नित गाना सीखो और हिमालय से दृढ- धैर्यता सीखो || ऋतुओं से नित परिवर्तन सीखो और अरुण से प्रकाश देना सीखो ||

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जो बीत गया सो बीत गया

30 जनवरी 2023
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जो बीत गया सो बीत गया , उस पर  क्यों शोक  मनाते हो , जो छूट गये सो छूट गये, उस पर क्यो अश्रु बहाते हो , जो है अभी उस पर क्यों नहीं चिंतन करते हो , जो बीत गया सो बीत

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सावन आया बारिश  लाया

30 जनवरी 2023
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सावन आया बारिश  लाया ' मन को फिर हर्षाने आया, बारिश की टप -टप बूदो से, हवा की मन्द -मन्द झोको से, प्रकृति को फिर बहलाने आया , सावन आया बारिश  लाया ' मन को फिर हर्षाने आया

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भाषा व शब्द

19 दिसम्बर 2023
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🌹 *राष्ट्र चेतना* 🌹 ******************* 🌴🌴🌴🌴🌴🌴 🌹 *भाषा व शब्द* 🌹 ****************************  *भाषा व शब्द किसी लेखनी की आत्मा होती है । लेखिनी भाषा और शब्द की शरीर होती है । भाषा

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शिकायत

1 मार्च 2024
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 🌹 *राष्ट्र चेतना* 🌹 ******************** 🌴🌴🌴🌴🌴🌴         🌹 *शिकायत* 🌹       ┅━❀꧁꧂❀━┅┉           🌹 🌹 🌹 🌹 🌹🌹🌹 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴                        *अगर देखा जाए तो

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माँ  

2 मार्च 2024
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                                             माँ                                 ┅━❀꧁꧂❀━┅┉                                             🌹 🌹 🌹 🌹 🌹                                      🌴🌴🌴🌴🌴

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साहस

4 मार्च 2024
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🌹  🌹 *राष्ट्र चेतना* 🌹🌹 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 🌹🌹🌹 *साहस* 🌹🌹🌹 ***************************** 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 *साहस एक सर्वोत्तम मानवीय  गुण है । साहस व्यक्तिगत होता है । हर व्यक्त

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मनोवृत्ति

8 अप्रैल 2024
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बक्त का मंजर बढ़ता गया, वह अपने सवाल में कुछ न कुछ करता ही गया। मैं तो था एक प्रतिभागी, जो कभी न था अवसरवादी। हुआ यूं कुछ मेरे साथ, मेरी दुनिया ही बदल गयी अपने आप। यूं तो तालीम मिली मानव को इंसान

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स्वयं से प्रश्न

10 अप्रैल 2024
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इस गम-ए-नसीहत को राह नहीं दिखता बुलाने पर भी कोई पास नहीं दिखता। बेताबी और भी बढ़ जाती जब हाथ कुछ खास नहीं आती। उदासी का मंजर गम का सैलाब बन जाता उम्मीदों का घड़ा टूट अपने वजूद में

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इस गम-ए-नसीहत को राह नहीं दिखता बुलाने पर भी कोई पास नहीं दिखता। बेताबी और भी बढ़ जाती जब हाथ कुछ खास नहीं आती। उदासी का मंजर गम का सैलाब बन जाता उम्मीदों का घड़ा टूट अपने वजूद में

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