साहित्य संग्रह ,काव्य व लेख
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हर हाल में चलना सीखो हर पल हँसना - रहना सीखो निंद्रा - तंद्रा त्यागना सीखो अपने आपको जगाना सीखो हर हाल में चलना सीखो हर पल का हँसना - रहना सीखो।। हर हाल में चलना सीखो हर - पल हँसना - रहना सीखो न
नव वर्ष आया नव मंगल लाया नव सृजन का आह्वान लाया ।। नव वर्ष आया नव संकल्प लाया भूले-बिसरे का नव याद लाया।। नव वर्ष आया नव विचार लाया व्यसन छोड़ने का पैगाम लाया ।।
पुरुष है पुरुषार्थ कर नव- सृजन का आह्वान कर मन को उदीप्त तन को प्रदीप्त कर ' अलभ्य को लभ्य नव राह को प्रशस्त कर पुरुष हैं पुरुषार्थ कर नव- सृ
फूलों से नित हंसना सीखो और चंद्रमा से सौमयता सीखो || भौरो से नित गाना सीखो और हिमालय से दृढ- धैर्यता सीखो || ऋतुओं से नित परिवर्तन सीखो और अरुण से प्रकाश देना सीखो ||
जो बीत गया सो बीत गया , उस पर क्यों शोक मनाते हो , जो छूट गये सो छूट गये, उस पर क्यो अश्रु बहाते हो , जो है अभी उस पर क्यों नहीं चिंतन करते हो , जो बीत गया सो बीत
सावन आया बारिश लाया ' मन को फिर हर्षाने आया, बारिश की टप -टप बूदो से, हवा की मन्द -मन्द झोको से, प्रकृति को फिर बहलाने आया , सावन आया बारिश लाया ' मन को फिर हर्षाने आया
🌹 *राष्ट्र चेतना* 🌹 ******************* 🌴🌴🌴🌴🌴🌴 🌹 *भाषा व शब्द* 🌹 **************************** *भाषा व शब्द किसी लेखनी की आत्मा होती है । लेखिनी भाषा और शब्द की शरीर होती है । भाषा
🌹 *राष्ट्र चेतना* 🌹 ******************** 🌴🌴🌴🌴🌴🌴 🌹 *शिकायत* 🌹 ┅━❀꧁꧂❀━┅┉ 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹🌹🌹 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 *अगर देखा जाए तो
माँ ┅━❀꧁꧂❀━┅┉ 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌴🌴🌴🌴🌴
🌹 🌹 *राष्ट्र चेतना* 🌹🌹 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 🌹🌹🌹 *साहस* 🌹🌹🌹 ***************************** 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 *साहस एक सर्वोत्तम मानवीय गुण है । साहस व्यक्तिगत होता है । हर व्यक्त
बक्त का मंजर बढ़ता गया, वह अपने सवाल में कुछ न कुछ करता ही गया। मैं तो था एक प्रतिभागी, जो कभी न था अवसरवादी। हुआ यूं कुछ मेरे साथ, मेरी दुनिया ही बदल गयी अपने आप। यूं तो तालीम मिली मानव को इंसान
इस गम-ए-नसीहत को राह नहीं दिखता बुलाने पर भी कोई पास नहीं दिखता। बेताबी और भी बढ़ जाती जब हाथ कुछ खास नहीं आती। उदासी का मंजर गम का सैलाब बन जाता उम्मीदों का घड़ा टूट अपने वजूद में