सावन आया बारिश लाया '
मन को फिर हर्षाने आया,
बारिश की टप -टप बूदो से,
हवा की मन्द -मन्द झोको से,
प्रकृति को फिर बहलाने आया ,
सावन आया बारिश लाया '
मन को फिर हर्षाने आया ।।
पक्षी के कलरव से,
बादल के उमड़ने से ,
नभ के गरजने से,
बिजली चमकने से,
इन्द्रधनुष के बनने से ,
फैली भन्द शीतलता से ,
हृदय को फिर हर्षाने आया
सावन आया बारिश लाया
मन को फिर हर्षाने आया ।।
धूप-छाँव का खेल लाया ,
दिन मे ही चांदनी रात करता,
बारिश मूसलाधार करता ,
फिर चारों तरफ पानी ही पानी का अम्बार करता ,
कही बाढ़ ,कही बहाव ,
चारो तरफ हरियाली का ही फैलाव ,
कृषक करते खेत की तैयारी,
खग करते नभ विचरण की तैयारी ,
मेढक, करता टर्र-टर्र,
कहता यह है रिम -झिम का मौसम ,
नाचो, गाओ, मदमस्त हो जाओ ,
मौसम के इस फुहार मे ,
यही है हरियाली की जुबानी कहानी।
सावन आया बारिश लाया '
मन को फिर हर्षाने आया,
विनोद पाण्डेय "तरु "