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साहस

4 मार्च 2024

3 बार देखा गया 3

🌹  🌹 *राष्ट्र चेतना* 🌹🌹


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🌹🌹🌹 *साहस* 🌹🌹🌹


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*साहस एक सर्वोत्तम मानवीय  गुण है । साहस व्यक्तिगत होता है । हर व्यक्ति की साहस अलग-अलग होती है । कोई व्यक्ति  बहुत साहसी होता है । कोई व्यक्ति मध्यम साहसी  होता है । कोई व्यक्ति बिल्कुल साहस नहीं होता  अर्थात  कायर होता है। साहस की कोई खेती नहीं होती हैं  साहस  कोई फसल नहीं है जिसे किसी खेत में उगाया जा सके । साहस कोई वस्तु नहीं है । साहस की कोई बाजार नहीं होती  है । साहस कोई वस्तु नहीं है जिसे किसी बाजार में खरीदा जा सके । सासस स्व से  उत्पन्न होता है ।। साहस के कई स्वरूप व प्रकार है।।  संकल्प , प्रण , प्रतिज्ञा, व्रत , दृढ़  आदि साहस की रूप व स्वरूपों के कई नाम है ।। साहस में एक अदम्य  साहस है । अदम्य  साहस का मतलब ऐसा साहस  जिसे  किसी के द्वारा  कभी दबाया ना  जा सके अर्थात ऐसा साहस जो किसी भी परिस्थिति में कभी डिगे ना अर्थात अडिग रहे । अदम्य  साहस से युक्त व्यक्ति स्वयं काल से भी टकरा जाता है । स्वयं काल भी अदम्य  साहस    से युक्त व्यक्ति के सामने नत मस्तक हो जाता है । साहस का  पौधा संकटों , आपदाओं , विपरीत परिस्थितियों  जैसे खेतों में आत्मविश्वास  रूपी फसल अमुक व्यक्ति  में पैदा होते हैं । जो व्यक्ति अपने विपरीत परिस्थितियों का जितना डटकर , निडर होकर सामना करता है वह उतना ही साहसी होता जाता है । संसार में जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं उनमें साहस एक प्रमुख गुण था । संसार के प्रत्येक महापुरुषों में यह गुण कूट-कूट के भरा था । साहस  का लोहा व प्रमाण हमारे वैदिक साहित्य में भी मिलते हैं जैसे पतिव्रता सावित्री  की प्रसंग ।। सावित्री के पति का उम्र काफी  काम था और उनके माता-पिता को पता था कि आज मेरे बच्चे का मृत्यु हो जाएगा । सावित्री  के पति  सत्यवान लकड़हारा थे और लकड़ी से अपना गुजारा किया करते थे । लेकिन  उस दिन सत्यवान के  मां-बाप आज स्वयं सावित्री को अपने पति के साथ जंगल में जाने को कहा और सावित्री  अपने पति से जिद करके जंगल में गई। उनके पति  सत्यवान जैसे ही वृक्ष से कुछ लकड़िया  काटा ही था कि बेहोशी की अवस्था में नीचे उतर आये  और लड़खड़ाकर के जमीन पर गिर गये और मृत्यु को प्राप्त हो गये । सावित्री  अपने मृतप्राय पति के साथ बैठ रही तभी उनको एक काली छाया भयंकर मुद्रा में दिखी ।। वह  तो स्वयं काल यमराज थे । यमराज ने सावित्री  से कहा देवी इनको छोड़ो । इनका समय पूरा हो गया है । इन्हें मुझे ले जाना है । इस पर सावित्री  कुछ देर सोचतीे  रही फिर यमराज  प्रश्नोत्तरी शुरू कर दिया।  अंत में यमराज से निडरतापूर्वक प्रश्नोत्तरी करते-करते यमराज को अपने ही प्रश्नोत्तरी में इस तरह उलझाया और  समर्पण दिखाया  कि उनसे सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त कर लिया और सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त होने के कारण  स्वयं  यमराज को भी सत्यवान   का जीवन लौटना पड़ा । ऐसे ही एक बात नेल्सन मंडेला जी  का है । अफ्रीका के राष्ट्रपति के  चुनाव के दिनों की है । अफ्रीका में चुनावी दौर था नेल्सन मंडेला का  चुनावी सभा  एक स्थान से दूसरे स्थान पर हवाई जहाज के द्वारा आयोजन हो रहा था तभी एक बार के चुनावी सभा के दौरे के समय उनके हवाई इंजन में तकनीकी खराबी आ गई सारी यात्री हवाई जहाज के घबरा गए अफरा तफरी मच गई लेकिन नेल्सन मंडेला अपने सीट पर बड़े ही इत्मीनान  से एक किताब पढ़ते रहे।   मानो इस तरह से वे पढ़ रहे थे जैसे विमान में कुछ हुआ ही नहीं अंततः ईश्वर की कृपा से विमान की तकनीकी खराब को नियंत्रित करते हुए सफलतापूर्वक लैंडिंग करा ली गयी  यहां भी नेल्सन मंडेला की साहस , आत्म संयम का ही उदाहरण मिलता है ।। अब आते हैं प्राचीन युद्धों के बारे में जैसे महाराणा प्रताप अपने साहस के दम पर ही मुट्ठी भर सैनिकों के साथ अकबर के नाक में दम कर दिया था ।। और अपने जीत जी मेवाड़ का नब्बे प्रतिशत भूभाग आजाद करा लिया था। यहाँ  भी साहस आत्मविश्वास का जीता जागता उदाहरण मिलता है इसलिए अपने  आप को निरीह,  कमजोरी और दीन-हीन बनने और समझने  से अच्छा है कि अपने आप को मजबू त साहसी बनाये  और जीवन में  उत्साह भरते हुए जीवन में स्व व परा दोनो को आगे बढ़ाये*



 *विनोद पांडेय** "*तरु* "

                 *भारत खंड "जंबूदीप*"

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रचनाएँ
साहित्य चेतना
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साहित्य संग्रह ,काव्य व लेख
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हर हाल में चलना सीखो

31 अगस्त 2022
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हर हाल में चलना सीखो हर पल हँसना - रहना सीखो निंद्रा - तंद्रा त्यागना सीखो अपने आपको जगाना सीखो हर हाल में चलना सीखो हर पल का हँसना - रहना सीखो।। हर हाल में चलना सीखो हर - पल हँसना - रहना सीखो न

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नव वर्ष

1 जनवरी 2023
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नव वर्ष आया नव मंगल लाया नव सृजन का आह्वान लाया ।। नव वर्ष आया नव संकल्प  लाया भूले-बिसरे का नव याद लाया।। नव वर्ष आया नव विचार लाया व्यसन   छोड़ने का पैगाम लाया ।।

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पुरुषार्थ

9 जनवरी 2023
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पुरुष है पुरुषार्थ कर नव- सृजन का आह्वान कर मन को उदीप्त तन को प्रदीप्त कर ' अलभ्य को लभ्य नव राह को प्रशस्त कर पुरुष हैं पुरुषार्थ कर नव- सृ

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सीखो

15 जनवरी 2023
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फूलों से नित हंसना सीखो और चंद्रमा से सौमयता सीखो || भौरो से नित गाना सीखो और हिमालय से दृढ- धैर्यता सीखो || ऋतुओं से नित परिवर्तन सीखो और अरुण से प्रकाश देना सीखो ||

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जो बीत गया सो बीत गया

30 जनवरी 2023
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जो बीत गया सो बीत गया , उस पर  क्यों शोक  मनाते हो , जो छूट गये सो छूट गये, उस पर क्यो अश्रु बहाते हो , जो है अभी उस पर क्यों नहीं चिंतन करते हो , जो बीत गया सो बीत

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सावन आया बारिश  लाया

30 जनवरी 2023
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सावन आया बारिश  लाया ' मन को फिर हर्षाने आया, बारिश की टप -टप बूदो से, हवा की मन्द -मन्द झोको से, प्रकृति को फिर बहलाने आया , सावन आया बारिश  लाया ' मन को फिर हर्षाने आया

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भाषा व शब्द

19 दिसम्बर 2023
1
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1

🌹 *राष्ट्र चेतना* 🌹 ******************* 🌴🌴🌴🌴🌴🌴 🌹 *भाषा व शब्द* 🌹 ****************************  *भाषा व शब्द किसी लेखनी की आत्मा होती है । लेखिनी भाषा और शब्द की शरीर होती है । भाषा

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शिकायत

1 मार्च 2024
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 🌹 *राष्ट्र चेतना* 🌹 ******************** 🌴🌴🌴🌴🌴🌴         🌹 *शिकायत* 🌹       ┅━❀꧁꧂❀━┅┉           🌹 🌹 🌹 🌹 🌹🌹🌹 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴                        *अगर देखा जाए तो

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माँ  

2 मार्च 2024
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                                             माँ                                 ┅━❀꧁꧂❀━┅┉                                             🌹 🌹 🌹 🌹 🌹                                      🌴🌴🌴🌴🌴

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साहस

4 मार्च 2024
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मनोवृत्ति

8 अप्रैल 2024
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बक्त का मंजर बढ़ता गया, वह अपने सवाल में कुछ न कुछ करता ही गया। मैं तो था एक प्रतिभागी, जो कभी न था अवसरवादी। हुआ यूं कुछ मेरे साथ, मेरी दुनिया ही बदल गयी अपने आप। यूं तो तालीम मिली मानव को इंसान

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स्वयं से प्रश्न

10 अप्रैल 2024
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इस गम-ए-नसीहत को राह नहीं दिखता बुलाने पर भी कोई पास नहीं दिखता। बेताबी और भी बढ़ जाती जब हाथ कुछ खास नहीं आती। उदासी का मंजर गम का सैलाब बन जाता उम्मीदों का घड़ा टूट अपने वजूद में

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स्वयं से प्रश्न

10 अप्रैल 2024
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इस गम-ए-नसीहत को राह नहीं दिखता बुलाने पर भी कोई पास नहीं दिखता। बेताबी और भी बढ़ जाती जब हाथ कुछ खास नहीं आती। उदासी का मंजर गम का सैलाब बन जाता उम्मीदों का घड़ा टूट अपने वजूद में

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