फूलों से नित हंसना सीखो
और चंद्रमा से सौमयता सीखो ||
भौरो से नित गाना सीखो
और हिमालय से दृढ- धैर्यता सीखो ||
ऋतुओं से नित परिवर्तन सीखो
और अरुण से प्रकाश देना सीखो ||
कृषक से नित मेहनत सीखो
और लताओं से झुकना सीखो ||
हवाओं से नित फैलना सीखो ।।
और सुबह से उन्नति सीखों ।।
तारों से नित चमकना सीखो
और आकाश से वसुधैव कुटुम्ब सीखो।।
गुलाब से नित रहना सीखो
और गंगा से पवित्रता सीखो।।
माँ से नित ममता सीखो
और पिता से आज्ञा सीखों ।।
गुरु से नित आदर सीखों
और कर्ण से दानशीलता सीखों ।।
वेदो से नित सार उपदेश सीखों
और गीता से सच्चाई सीखो ||
'विक्रमा से विनम्रता सीखो
और बुद्ध से जग वारित विकलता सीखो।।
रघुकुल से नित अटलता सीखो
और कैकेयी से पश्चाताप सीखो ।।
हरिश्चंद्र से नित सच सीखो।
और तारा से कर्तव्य परायणता सीखो ।।
अच्छी किताबे नित पढ़ना सीखो
और अपने लक्ष्य से हमेशा जीना सीखो।
पक्षी से नित विहार सीखो
और हंस से पहचानना सीखो ।।
अशोक से नित करूणा दया सीखो ।।
और कलिंग युद्ध से हृदय परिवर्तन सीखो।।
संकट से नित लड़ना सीखो
और जग हँसी' से बचना सीखों।।
विनोद पांडेय '' तरू''