एक बार अकबर और बीरबल बाग में टहल रहे थे , बादशाह अकबर को एक गुलाब का फूल बहुत ही सुंदर लगा तो वह स्वयं को रोक नहीं पाए और उसे तोड़ने चले गए ,और जैसे ही तोड़ा तो गलती से उसके मजबूत कांटे उनकी उंगलियों में dhas गए और बादशाह ने झटक कर निकालना चाहा तो ऊपर की चमड़ी निकल कर घाव सा बन गया ,बादशाह के हाथो से खून की धारा बह निकली , बीरबल यह देख अपने रुमाल से एक टुकड़ा फाड़ कर उसमे थोड़ी मिट्टी भर कर घाव में लगा देते हैं ,*"!!
बादशाह अकबर बीरबल को देख शुक्रिया अदा करते है ,*"!!
बीरबल कहते हैं , *" बादशाह जो भी होता है अच्छे के लिए होता है , *"!!!
बादशाह को बहुत दर्द हो रहा था उन्हे बीरबल की इस बात पर बहुत गुस्सा आया ,पर उस समय वह कुछ नही बोले ,तब तक सिपाही वैध को भी बुला लाए , वैध ने मट्टी के साथ कपड़ा बांध देख कहां की अब ये ऐसे ही ठीक हो जायेगा ,*"!!
बादशाह दरबार में बैठे थे ,उस वक्त उन्होंने दरबार में सुबह की घटना का जिक्र किया और सभी को बताया की *"घाव होने के बाद बीरबल ने कहा जो भी होता है अच्छे के लिए होता है , अब बीरबल यह साबित करे के मुझे जो चोट पहुंची वह किस तरह से अच्छा हुआ ,*"!!
बीरबल कहते हैं ,*" बादशाह हुज़ूर ,मैने कुछ गलत नहीं कहा ,कई बार छोटी मोटी घटनाओं से हम परेशान हो जाते हैं ,पर सभी घटित घटना अच्छे के लिए ही होता है ,*"!!
उनके विरोधियों को तुरंत मौका मिल जाता है ,नवरत्नों में से एक मिया खुसरू कहते हैं ,*" एक तो बादशाह को चोट लगी उस पर ये महाशय ताने मार रहे हैं की जो होता है अच्छे के लिए होता है, *"!!!
बादशाह कहते है ,*" बीरबल तुम्हे यह बात दो दिन में साबित करनी होगा नही तो तुम्हे देश निकाला घोषित कर दिया जायेगा ,*"!!
उनके विरोधी बहुत खुश होते हैं , !!
शाम को बादशाह अकबर को शिकार खेलने का मन हो जाता है ,और वह भी वहां से दूर के जंगल में , सभी तैयारी शुरू हो जाती हैं ,!!!
दूसरे दिन सभी लोग जंगल में पहुंच गए ,
बादशाह और बीरबल साथ ही थे , उसी समय बीरबल का घोड़ा बिदक गया और उन्हे गिरा दिया जिस से बीरबल के कमर में मोच आ गई ,*"!!!
बादशाह को भी मौका मिल गया वह कहते हैं , *" बीरबल जो हुआ अच्छा ही हुआ ,*"!!
बीरबल कराते हुए कहते हैं ,*" जी हुजूर जो होता है अच्छे के लिए होता है , *"!!!
बीरबल को इतना दर्द था की उन्हे वही से लौटना पड़ा ,*"!!!
अकबर को एक कस्तूरी हिरण दिखलाई पड़ता है तो वह उसका शिकार करने के लिए आगे बढ़ते है , और वह हिरण तेज़ी से दौड़ते हैं तो बादशाह अपने घोड़े को भी तेजी से दौड़ा देते हैं , और उसके चक्कर में वह अपने दल बल से अलग हो जाते हैं काफी देर दौड़ने के बाद वह हिरण को तीर से बींध देते हैं ,*"!!
बादशाह घोड़ा पास ले जाकर उतरते हैं ,और हिरण का कस्तूरी निकलते हैं ,तभी उन्हे कुछ आदिवासी उन्हे घेर लेते हैं ,वह संख्या में इतने अधिक थे की बादशाह की हिम्मत ही नहीं पड़ी उनसे टकराने की ,*"!!!
वह लोग बादशाह को अपने कबीले में ले आते हैं , और उन्हे बांधकर रख देते हैं ,बादशाह उनसे कहना चाहते हैं की मैं बादशाह अकबर हूं पर उन लोगो को उनको भाषा समझ नही आती है और न ही उनकी भाषा बादशाह को , *"!!
उनकी हरकतों से बादशाह को यह अंदाजा हो गया की यह लोग आज ही उसकी बलि चढ़ाएंगे तो वह परेशान हो जाते हैं ,और खुदा को याद करने लगते हैं ,*"!!!
उन आदिवासियों का गुरु आता है और बादशाह के शरीर का मुयाइना करता है तो पहले ही नजर उसकी बादशाह के घाव लगे उंगलियों पे जाती हैं ,तो वह कपड़ा खोल कर देखता है ,*"!!
गुरु जोर से चिल्लाकर वह घाव सबको दिखाता है, और कहता है की*" इसकी बलि नही दे सकते हैं ,यह तो पहले से ही चोटिल है *"!!!,
वह उसे वापस जहां से लाए थे छोड़ कर आने को कहता है , सभी बादशाह की आंख बंद कर ले जाते हैं और उसी हिरण के पास छोड़ आते हैं , कुछ ही देर में उनका घोड़ा जो वहां रह गया था वह बाकी लोगो के पास वापस चला गया था ,उसे खाली आया देख लोग उसके पीछे यहां तक पहुंच गए और बादशाह को सलामत देख खुसझुए ,*"!!!
दूसरे दिन सुबह दरबार में पूरा किस्सा सुनाते है और यह बात कबूल करते हैं की यदि यह चोट नहीं होता तो वह लोग मेरी बलि चढ़ा देते किंतु बीरबल को जो चोट लगी वह कैसे अच्छा हुआ ,*"!!!
बीरबल जिनका दर्द खत्म हो गया था ,वह कहते है *" बादशाह हुज़ूर यदि मुझे मोच नही आई होती तो मैं आपके साथ होता और आपके बदले वह लोग मुझे बलि चढ़ा देते ,*"!!!
बादशाह को बीरबल की बात समझ आ गई ,और उनके इस बात पर वह उन्हे दस गांव इनाम में दे देते हैं , और विरोधियों का चेहरा फिर उतार जाता है ,!!!!