एक जरा हौसला चाहिए, ज़िंदगी की कठिन राहों से गुजरने के लिए,
बस एक जरा हौसला चाहिए, मंज़िल को पाने के लिए,
न थक कर बैठ ऐ मुसाफ़िर,
इन काँटे भरे रस्तों पर चलने से पैर छलनी तो होंगे तेरे,
दिल भी ज़ख़्मी होंगे, आँखों से आँसुओं की जगह
लहु भी बहेगा,
पर तू हौसला तो कर, मंज़िल तेरे क़दम चूमेगी जरूर,
और क्या चाहिए, ज़िंदगी के सफ़र के लिए,
बस एक जरा हौसला ही तो चाहिए,
हक़ीक़त ए ज़िंदगी का सामना के लिए।