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मन कचोटता है

Faza Saaz

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कभी 2 मन बहोत कचोटता है... सोचती हूँ तो रातों की नींद उड़ जाती है...वो बस एक मैसेज ही तोह था जिसने मेरे सोचने जा तरीक़ा ही बदल दिया........एक वक्त था कि जब मुझे लगता था कि मैं एक अच्छी और सच्ची इंसान हूँ,,,,ईमान दर और दूसरों की भलाई सोचने वाली,,मैं तो मतलबी (खुदगर्ज) हो ही नही सकती,,,,,,,,, पर जब  हक़ीक़त का एहसास हुआ तोह बहुत दर्द हुआ,,ईतना दर्द की  बयां नही कर सकती,,,,,,,,,, (((( वाट्सएप्प पे एक मैसेज आया था के आप मेरे लिए क्या सोचते हो?? ? जवाब  के लिए कुछ ऑप्शंस थे,,,,,1-  u are cute, ,2-u are hon est,, 3-u are loyal,, 4-u are  caring,, 5-u are lier,, 6-u are cheater,, 7-u are selfish,, 8-u are innocent,, 9-u are beautiful,, ,10-u are decent etc,,,,                                           मैं ऐसे मैसेज को अक्सर इग्नोर करती हूँ ,,,,पर उस दिन ये मैसेज मैंने सारे दोस्तों  को फॉरवर्ड किया,,,, मैं बहुत ही उत्सुक थी जान ने के लिए मेरे दोस्त क्या सोचते हैं मेरे लिए,,,,हालांकि मेरी  अपने दोस्तों के बीच काफी अच्छी पहचान है,,,,पर फिर भी उत्सुकता थी,,,, कुछ ही देर में दोस्तों के जवाब आने शुरू हो गए,,,, सब ही ने अच्छे 2 जवाब दिए,,,,मैं बहोत खुश हो रही थी,,, कुछ देर के ब याद एक दोस्त का जवाब आया-"u are selfish"  मुझे बहोत हैरानी हुई,,,सच कहूं तो मुझे सदमा लगा था,,,,                  मेरा दिल चाह रहा था कि मैं उससे पूछूँ के उसने मुझे ऐसा क्यों कहा ,,,,आखिर हमने काफ़ी वक़्त साथ गुजरा था,, उसने तो मुझे काफी अच्छे से जाना था,,मुझे याद  भी न ही आ रहा था कि मैंने कभी किसी को तकलीफ पहुँचाई हो,,,मैं तो हमेशा दूसरों का ख्याल रखने वाली थी,,,मैं हर मुमकिन कोशिश करती थी कि मैं किसी की तकलीफ की वजह न  बनू,,,                                      फिर मैंने खुद ही सोचना शुरू किया,,,,,क्या मैं वाक़ई में खुदगर्ज हूँ??????जवाब मिला" हाँ",,,,))))))                 ये एहसास मेरे लिए बहुत ही तकलीफदेह था,,,,आँसू से मेरी आंखें लबरेज़ थीँ,,,, आज तक मैं एक खवाब मे ही तो जी रही थी,,,,,यूँ अपनी हक़ीक़त का एहसास होगा कभी न सोचा था,,,                                                 काफी सोचने के  बाद मैंने इकरार किया कि "हां मैं खुदगर्ज हूँ","झूटी हूँ","धोखेबाज  

man kachotata hai

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