करते हो मुझ से वादे मोहब्बत के, फिर औरों को भी देखते हो, नज़रों से मोहब्बत के, करते हो मोहब्बत की बातें मुझ से, पर हर दूसरा चेहरा प्यारा नजर आता है तुम्हें, अपनी आवारगी को मोहब्बत का नाम देते हो, कर के मुझ से झूठे वादे मोहब्बत के, मुझे नासमझ और नादाँ समझ रखा है क्या, जो हर वक़्त करते रहते हो झूठे वादे मोहब्बत के, क्यों मोहब्बत के खूबसूरत जज़्बे का मज़ाक उड़ाते रहते हो, हर वक़्त कर के झूठे वादे मोहब्बत के, इस तरह से न जाने कितने दिलों से खेलते रहते हो, यूँ कर के झूठे वादे मोहब्बत के, माना हम नादाँ और मासूम लगते हैं तुम्हें, इस लिए हर वक़्त बनाते रहते हो हमें, कर के झूठे वादे मोहब्बत के, पर हम भी बेवक़ूफ़, नासमझ नहीं हैं, जो तुम हमें ख़ाक में मिला दोगे, कर के झूठे वादे मोहब्बत के।