प्रिय साथी, लो आज कहना चाहती हूँ तुमसे, अपने दिल की बात, जो सामने होने पर कहना मुश्किल होता है, फिर भी ये दिल तुम से कुछ कहने को हर वक़्त मचलता रहता है, कहना चाहता तो है बहुत कुछ, पर कभी शरमाता है तो कभी घबड़ाता है, जब से देखा है तुम्हें, नज़र हर वक़्त तुम्हारे दीदार को मुंतज़िर रहता है, दिल हर वक़्त तुम्हारे लिए एक नए ख़्वाब बुनता रहता है, दुआओं में हर वक़्त तुम्हारी ही ख़ुशी माँगता रहता है, रब के सामने नाम तुम्हारा ले कर फरियाद करता रहता है, दिल हर वक़्त तुम्हें याद करता रहता है।