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मेरे मन की पाती

Faza Saaz

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मेरे मन की पाती, मेरे प्रिय लेखक आपके नाम, जब से आपको पढ़ा है, मैं तो आपकी फैन हुई हूँ, पढ़ती हूँ अकसर आपकी पुरानी किताबों को भी, जो अब धूल से अंट गयी हैं, उन्हें साफ करती हूँ, फिर पढ़ती हूँ रोज, आपको पढ़ना बहुत ही मन को भाता है, अपने लेखन से, कभी मेरे मन के भाव चुराते से लगते हो, तो कभी अपने मन के दर्द को बताते से लगते हो, कभी ज़िंदगी का तजुर्बा का चित्रण करते से लगते हो, पर हर भाव को बड़ी ही खूबसूरती से उकेरते हो, लगता है जैसे खूबसूरत लफ़्जों का ज़खीरा जमा कर रखा है, अपने लेखन से तो हमारे दिल को चुराते हुए से लगते हो।  

mere man ki pati

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