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कब्रिस्तान से भी पैसा आ रहा है

16 नवम्बर 2021

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एक छोटा सा गाँव था। इस छोटे से गांव में एक श्मशान था। कभी-कभी कोई मृत व्यक्ति गलती से कब्रिस्तान आ जाता था।
अंतिम संस्कार के लिए वहां मौजूद लोग काफी नाराज थे। उन्हें हमेशा आर्थिक परेशानी रहती थी। फिर वे अलग-अलग शहरों में जाने लगे। हालांकि आस-पास के शहरों में नौकरी चाहने वालों का आना-जाना लगा रहता था। उनमें से एक-दो, जो इस श्मशान घाट पर निरभर थे, उन्हें श्मशान देखकर बहुत बुरा लगता था। क्योंकि उन्हें गांव छोड़ना पड़ा और काफी दूर तक जाना पड़ा। और अब बहुत कष्ट मी उठाने पड रहे थे। और गांव के लोग मरे भी नहीं. (पाठक ध्यान दें कि उस समय कोविड नहीं था।) अचानक गांव में एक बैदू आया। उन्होंने आसानी से ग्रामीणों की विश्वसनीयता हासिल कर ली क्योंकि वैदु देखने से अच्छा खासा था। अच्छा बोलते हुए, उन्होंने ग्रामीणों पर अपने ज्ञान का प्रयोग करना शुरू किया। जैसे-जैसे उनके प्रयोग जारी रहे। गांव में तरह-तरह की बीमारियां भी आने लगीं। वह अपने आसपास के चार-पांच गांवों को आसानी से निशाणा बनाता था। श्मशान घाट पर चहल पहल शुरू हुई। हर रोज शमशान मे एक ना एक चिता जलने के लिए आती थी। जो लोग उस समशान घाट पे निर्भर थे। उन्होने ढिंडोरा पीटवाया।" बेदू बहोत होशियार है। उसके पास हर रोगका इलाज है। बेदू के पास हर समस्या का हल है। अब क्या होना था? वैदु का यह धंधा जोरो शोर पे था।... उसने अपने साथ काम करने के लिए उन धिंडोरा पीटोंको चार लोगों को काम पर रख दिया। उन्हे विश्वास आ गया "कब्रस्तान मे से भी पैसे निकाल सकते है।" अब कब्रिस्तान में काम करने वाले नये लोग भी मिल गये।  वैदु और उसके साथियो ने यह सोचा  कि कल अगर दाह संस्कार से ये दाहसंस्कार करनेवाले लोग ऊब गए तो दाह संस्कार के लिए हमे जाना पड़ेगा। उन्होंने और वैदु ने मिलकर एक तरकीब लढाई।"जो कोई भी वैदु के लिए काम करना चाहता है, उसे हर बार 200 रुपये की राशि बढ़ाकर अलग से देनी पडेगी।" ये घोषणा करने के बाद, हर घर में एक आदमी मरने लगा। हर कोई चकित था। क्योंकि वैदु का जादू काम कर रहा था। सबका मीटर जोर से चल रहा था? गाँव में एक झुक्या नामक विद्वान और बाहरी शहरों में काम करने वाला आया। मूल रूप से बुद्धिमान होने के कारण, अधिकांश ग्रामीण उसके संपर्क में आते थे और उससे चार चीजें सीखते थे। जब उसे पता चला कि एक आदमी हर घर में मर रहा है, तब वह दो या तीन दिनों तक वहीं रहा और गांव की स्थिति का अध्ययन किया। उसने गाँव के एक बूढ़े आदमी को बुलाया और कहा, "अगर आप गाँव में मरने वालों की संख्या कम करना चाहते हैं, तो पहले इस बैदू को गाँव से बाहर निकालो। और फिर देखो क्या होता है।" झुक्या नामक वह व्यक्ती बोल पडा। लेकिन ग्रामीण वैदु के खिलाफ जाने से डरते थे। हालाँकि, एक बुद्धिमान ग्रामीण ने पहेल की। और वैदु और उसके चांडाल चौकी पर निशाणा लगाने लगे। वैदु और उसकी चांडाल चौकी क्रोधित हो गयी। यह देखकर कि खेल अच्छी स्थिति में है और हाथ में आने वाले पैसे जा रहे हैं, वैदु टीम ने आपत्ति करने वाले को तरह-तरह से प्रताड़ित करने का प्रयास करना शुरू कर दिया। लेकिन गांव वालों को पता चला कि वैदु अलग-अलग प्रयोग कर रहा हैं और उस प्रयोग से लोग मरके कब्रिस्तान में जा रहे है । यह एक गाँव था (मेरा मतलब है, की यह सतारा नहीं था?) गाँव होते हुए भी लोग होशियार थे। उनमें अच्छी एकता थी। इसलिए जल्द ही बैदु को ग्रामीणों ने गांव से बाहर निकाल दिया। गांव में मरने वालों की संख्या में फिर कमी आने लगी। धीरे-धीरे, गाँव और उसके परिवेश में सुधार होने लगा। झुक्या एक दिन पूरे गाँव को एक साथ ले आया। और उसने ग्रामीणों से कहा, "यदि तुम मूर्ख की तरह काम करोगे, तो तुम्हे बहुत से मूर्ख बनायेंगे। तुम अपने घर में बैठकर जश्न मनाओगे क्योंकि तुम्हारे पास मरने वाला कोई नहीं है तो शायद कल तुम ही चिता पे होगे। अगर तुम मेरी मानते हो तो इकठ्ठे रहो। पहले भी बहुत सारी अलग अलग महामारी से गाव तहेस नेहस हो गया था। अब कोई बैदू आके तुम्हे उल्लू बना रहा है।" गांव वालों ने उस दिन फैसला किया। अब ग्रामीण किसी भी तरह के घोटालों के झांसे में नहीं आते हैं। तो उनकी वजह से अब गांव का विकास भी हो रहा है।

पाठक से विनम्र निवेदन है कि यह कहानी गांव पे काल्पनिक है और इसका किसी नगर पालिका या नगर पालिका के नियम व शर्तों और टेंडर सिस्टम से कोई लेना-देना नहीं है।
यह कहानी किसी राजनीतिक व्यक्ति से संबंधित नहीं है।यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और इसका किसी व्यक्ति से कोई लेना-देना नहीं है।

© सिद्धी पवार सातारा

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