3 फरवरी 2022
जब तक महकोगे तब तक फूल हो तुम,
वरना चरणों की धूल हो तुम ।।
एक कर्म ही तुम्हारा अपना है ,
बाकी सब फिजूल है ।।
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D
Bahut khub 👌
4 फरवरी 2022
शुक्रिया🙇
यही तो गीता का मर्म है
जी😊
जब तक महकोगे तब तक फूल हो तुम, वरना चरणों की धूल हो तुम ।। एक कर्म ही तुम्हारा अपना है , बाकी सब फिजूल है ।।
प्लेटफार्म सबके लिए एक हो सकते हैं मगर सफर सबके अलग -अलग होते हैं।। किसी को कहीं तक जाना है तो किसी को कहीं से जाना है।।