7 मई 2015
6 फ़ॉलोअर्स
हमारी यारी खूब सजेगी रंग बिरंगे रंगो से , लगन लगेगी रोहित की अब "अमल " के सत्संगों से |
9 मई 2015
और एक हम है बिखरे अफ्शाने से , लोग गाते गए पर हमे साज न मिला, गर रोहित से हुयी मुलाकात कभी, सोचेंगे "अमल" इश ज़माने में कोई तोह अपना सा यार मिला
8 मई 2015
शब्दनगरी संगठन को मेरा बहुत आभार की हम जैसो को इतना अच्छा प्लेटफॉर्म दिए
7 मई 2015
धन्यबाद पुष्पा जी .......
7 मई 2015
रोहित जी, आपकी रचना हमें बहुत अच्छी लगी....आभार !
7 मई 2015
कैसा अजीब शहर , कैसे अजीब लोग , हर एक कुछ ना कुछ तलाश करता हुअ मिला |..... शब्दों की माला अर्थ के संग,.. सुन्दर कविता
7 मई 2015