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हिमालय

29 अप्रैल 2015

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हिमालय से एक बूंद, जल की निकली थी कभी | उस बूंद की याद में वो, रो रहा है आज भी | बह रही कितनी नदियाँ, उस गिरी के आँसु से | बन गया समंदर उसके, अश्रु के सैलाब से | जीत किसकी हार किसकी, प्यार में ये कुछ नहीं | जीतकर भी हारने से, प्यार का अंजाम क्या है | दिल मेरा मुझसे अब अक्सर, पूछता है बस यही | यूँ मुझे गैरो को देने, का तुम्हे अधिकार क्या है ?

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शब्दनगरी संगठन

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सुन्दर रचना... धन्यवाद !

29 अप्रैल 2015

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हिमालय

29 अप्रैल 2015
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हिमालय से एक बूंद, जल की निकली थी कभी | उस बूंद की याद में वो, रो रहा है आज भी | बह रही कितनी नदियाँ, उस गिरी के आँसु से | बन गया समंदर उसके, अश्रु के सैलाब से | जीत किसकी हार किसकी, प्यार

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अपनी प्रेम कहानी

30 अप्रैल 2015
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मै तो यूँ ही चल रहा था हरियाली इन वादी से | खुश था इतना सम्हल न पाया आज हुई बरवादी से |(1) नहीं पता था खो दूंगा मै तुमको इक नादानी में | बाद में तुमको पढ़ा करुँगा अपनी ही प्रेम कहानी में | दिल में यादो की इक खुश्बू

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अधिकार क्या है

2 मई 2015
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​दिल मेरा मुझसे अब अक्सर, पूछता है बस यही | यूँ मुझे गैरो को देने, का तुम्हे अधिकार क्या है ? तुमने किया वादा मुझी से, बचपना था तो कहो फिर | गर वो सब कुछ बचपना था, तो कहो फिर प्यार क्या है ? क्यूँ हुई चाहत तुम्ही पे, प्यार में खुद को भुलाया | रुक गए बढ़ते कदम भी,

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खुश्बू

7 मई 2015
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अपनी ही खुश्बुओ में महकता हुआ मिला , हर शख्स जैसे सीप में सिमटा हुआ मिला , कैसा अजीब शहर , कैसे अजीब लोग , हर एक कुछ ना कुछ तलाश करता हुअ मिला | पहले ही आग में थे हम हवा और चल गई , दिल दोस्तों के बीच सुलगता हुआ हुआ मिला , खुश्बुओं की बाते करता था जो कभी , फूलो को आज फिर वो कुचलता हुआ मिला

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इश्क ने हमें शायर बना डाला

8 मई 2015
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किस कदर मै जी रहा हूँ , कैसे बतलाऊ तुम्हें !! इश्क़ कितना कर रहा हूँ , कैसे दिखलाऊ तुम्हें !! इश्क ने हमें इतना और इतना तोड़ डाला , की गा रहा हूँ कह रहा हूँ बस यही शब्द !! इश्क ने हमें शायर बना डाला ,शायरी को मेरा जीवन बना डाला | पत्थर के मानिंद है ये इश्क का दबदबा , बरसात का मौसम है , महल क

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मौत

9 मई 2015
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मुद्दते गुजर गई अब इन्तजार किसको है इन दूरियों से इस कदर इकरार किसको है , तकल्लुफ ना कर अब इस ज़माने में रहने की क्यूकी ?जब ख़त्म जिंदगी , तो मौत से इंकार किसको है |

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सपनो में भी सोचा न था की तुम वापस आओगे

30 मई 2015
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सपनो में भी सोचा ना था , की तुम वापस आओगे | आकर मेरे तनहा दिल को , फिर से तुम बहलाओगे | फासले मुहब्बत को नया आयाम देते | चाँद तारो के मिलन को खुशनुमा कर देते है | था पता इक दिन मेरे ज़ख्मो को सहलाओगे | सपनो में भी सोचा ना था , की तुम वापस आओगे | रहम अपना क

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राज

8 जून 2015
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जमाने भर की खुशियाँ बेकार हो गयी , सुबह से चलते चलते फिर शाम हो गयी , चन्द पलो की खुशियो के बाद 'राज' जिन्दगी फिर से गुमनाम हो गयी ।

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सबर

11 अप्रैल 2016
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पलकों की हद तोड़ केदामन पे आ गिरा,...एक आंसू मेरे सबर कीतौहीन कर गया !!

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चाहत

12 अप्रैल 2016
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गमो को मुझसे एक चाहत सी हो गई है मै उदास नहीं इसकी आदत सी हो गई है ,ये कैसा वक्त आया कि सुबह भी सो गई हैराज शायद फूलो से खुश्बू ही खो गई है ।

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दिल

22 अप्रैल 2016
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कौन कहता है दिल मे दर्द नही होता दर्द होता है मगर जखम नही दिखता ।

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दिल

22 अप्रैल 2016
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कौन कहता है दिल मे दर्द नही होता दर्द होता है मगर जखम नही दिखता ।

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आदत

23 अप्रैल 2016
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 हम उस महफिल से उठकर जाने लगे जहां भीड लगी थी जमाने की,हम तुमसे शिकवा शिकायत क्या करे ,हमे आदत ही नही 'आदत ही नही' किसीको आजमाने की

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कविता

26 अप्रैल 2016
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कही कवि ना बन जाऊ ऐ कविता तेरे प्यार मेहै नही तुम जैसा कोई सारे इस संसार मेहै नशा तुझमे बड़ा कविता है चाहत मेरीगा रहा था मै गजल थी वही पर तू खडीबह रहा हूं मै यहां तेरी आंखो की धार मेकही नीर ना बन जाऊॅ ऐ सरिता तेरे प्यार मे

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यादे

26 अप्रैल 2016
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मुस्कुराते थे जहां उनकी मुस्कान देखकर कभी उन्ही के साथ,किस्मत देखिये उन्ही की याद मे तन्हा फफक कर रोए वही आज 

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गजल

28 अप्रैल 2016
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गजल सा हमको भी गाओ तो कोई बात बने करीब होठो के आओ तो कोई बात बने नही बुझा सका सावन भी प्यास को मेरी तिशनगी तन की बुझाओ तो कोई बात बने 

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बेनाम

30 अप्रैल 2016
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फैल रही है मेरे महबूब के जिस्म की खुश्बू, गुलो के आशियाने मे सुना है इस बार बेवक्त बसन्त आने वाला है।

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यादे

30 अप्रैल 2016
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आज फिर आंखो मे मेरी आंसू भर आयेहोठो पर गम सोया है  तुम तो हसने वाले हो मेरे दोस्त तुम्हे क्या पता मेरी इन आंखो ने कितना रोया है

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माँ

8 मई 2016
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मां पर कुछ पंक्तिया जो मैने लिखी__एक कागज की पूरी तरह निशानी मिट गई ,बस कागज पर लिखे शब्द मां की स्याही बच गई।जला दी पुस्तकालय की सारी पुस्तके ,जलकर राख हो गई ।भूल से जल गया मां लिखा हुआ शब्द धुएँ मे माँ की तस्वीर बन कई।हम बडे सुख से सोते थे,सपने देखने के लिए मां सारी रात जागती थी,हमे सोता हुआ देखने

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