कहते है- "उतना ही लो थाली में, व्यर्थ न जाये नाली में..||
बात पुरानी है और कोई मानता भी नहीं इन बातों को, मगर जिस दिन भुखमरी चरम पर होगी उस दिन पछताने के लिए भी खाना नसीब नहीं होगा |
जिन्हें भोजन की थोड़ी भी अहमियत है वो अवश्य पढे, एक छोटा सा अनुभव है मेरा...चलिए बताती हूँ–
खाना बर्बाद नहीं करना चाहिए ये हम सब जानते है लेकिन माने कौन? ऐसे तो मैं रोज अपनी क्लास करके घर आती थी जब मन किया तब घर से खाके निकलती थी वर्ना कभी-कभी बिना खाए निकल जाती थी | कभी ज्यादा भूख लगे तो क्लास से लौटते वक़्त कभी बताशे कभी जूस पी लेती थी |
पर एकदिन हुआ कुछ ऐसा मैं बिना खाए जल्दी से अपने कोचिंग क्लास निकल पडी | आधी क्लास करने के बाद मुझे तेज भूख लगी तो मैंने सोचा चलो वापस घर जाते वक़्त रास्ते में कुछ खा लूँगी | जब क्लास छूटी तो देखा बैग में किराये भर के पैसे थे और बाकी थे तो बस 500 का नोट जिसका छुट्टा कोई स्ट्रीट फूड वाला जल्दी नहीं करेगा | मैं भूख से भी परेशान थी मगर पैसे होकर भी नहीं खा पाई, फिर सोचा चलो घर जाके खा लूँगी मगर पेट में चूहे कूद रहे थे |
खैर, पैदल घर वापस आ रहीं थीं तो देखा मेरे सामने नीचे सड़क पर चिल्ली पनीर और चिल्ली पोटैटो डिब्बे में गिरा हुआ था जिसे देख कर मुझे बहुत लालच आया जैसे बस मन हो कि काश खा लूँ क्योंकि भूख के सामने ऐसा कुछ दिखे तो भूख बढ़ना लाज़मी था पर खा तो नहीं सकती थी |
उसी पल मुझे इतना दुःख हुआ और एहसास हुआ कि आज एक वक़्त की भूख भी नहीं सह पाई मैं और खाना बर्बाद देख लालच के साथ-साथ फेंकने वाले पर गुस्सा आया मुझे तो ना जाने वो गरीब लाचार लोग जो भूखे सोते है हर रोज हर दिन बासी खाने को भी तरसते है उनपर क्या बीतती होगी बर्बाद खाने को देख इस दर्द का एहसास मुझे उसी दिन हुआ |
खाना फेंकते नहीं है ये तो मैं जानती थी मगर उस भूख का एहसास और खाने की कद्र मुझे उसी दिन हुई और तबसे मैंने ये दृढ़ निश्चय किया कि खाने की बर्बादी नहीं करुँगी थोड़ा भी नहीं, गलती से भी नहीं |
मेरे प्रिय पाठकों से मेरी विनम्र विनती है कि मेरे अनुभव से आप जरूर सीखे और ये गलती कभी ना करे और ना किसी को करने दे...धन्यवाद !!