कुछ ख्वाहिशें अधूरी सी.....पा लेना चाहती थी जिसेसमेट लेना चाहती थी दुनिया कोअपने आँचल मेंपर क्या पूरी हो पाई ख्वाहिश?शायद नहीं...क्योकिं ख्वाहिश कोई आम चीज़ नही है जो आसानी से मिल जाए।ख्वाहिश वो ह
ख्वाहिश यही है कि बस आप मुझे पहचाना करो,भीड़ में भी कभी नजर आऊं तो पुकारा करो।गर मशहूर भी हो जाऊं,तो तुम्हारी पुकार पे पलट जाऊं।बस यही तमन्ना है दोस्तों, समुंदर की तरह अपने में मस्त बहता रहूं;लेकिन तुम्हे देख लूं तो किनारों तक मिलने पहुंच जाऊं।