" खूनी गिलास.."
टेरेस पर उसकी मां कपड़े सूखा रही थी और नीचे उसकी लाड़ली बेटी सायकल को पकड़ कर अब सामने खड़ी अपनी फ्रेंड सोमा को देखकर स्माइल देते हुए उसे चलने का इशारा करने लगी फिर दोनों सहेलियां निकल गई स्कूल के लिए।
स्कूल में हमेशा कि तरह दोनों पीछे वाले बेंच पर जाकर बैठ गई और फिर पढ़ाई शुरू हो गई।
कुछ देर बाद साधना और सोमा रिसेस कि छुट्टी होने पर ग्राउंड पर जाकर बेंच पर बैठ गई।
यार कल तू मार्केट गई थी न ?", सोमा ने पूछा।
हां, पर तुझे कैसे पता?", हैरानी से साधना ने कहा।
वो मैंने टेरेस पर से देखा था तुझे तेरी मॉम के साथ मार्केट कि ओर जाते हुए", सोमा ने कहा ।
ओके", साधना ने कहा।
लेकिन जब तू अपनी मॉम के साथ वापस आईं तो कुछ अजीब सी लग रही थी", सोमा ने याद करते हुए कहा।
हां यार! वो न मुझे एक चीज पसंद आ गई थी लेकिन", बोलते हुए साधना का चेहरा मुरझा गया।
बता न पूरा क्या हुआ था वहां पर?", सोमा ने जानने कि कोशिश करते हुए कहा।
वो मार्केट में एक जगह बहुत सुंदर सुंदर बर्तन रखे हुए थे और बहुत सारे नए डिजाईन के गिलास थे जिनमे से एक गिलास मुझे पसंद आ गया लेकिन मॉम ने नहीं खरीदा उसे क्योंकि वो काफी महंगा था ", बोलते हुए साधना चुप हो गई और उसके आंखे के सामने वो गिलास नजर आने लगा।
हल्का गुलाबी और चांदी का गिलास वो बहुत खूबसूरत नजर आ रहा था जिसे देखते ही साधना उसकी ओर आकर्षित हो गई।
तो शायद इस वजह से तू अपनी मॉम से ठीक से बात नहीं कर रही हैं न?", सोमा ने सबकुछ समझते हुए कहा।
दोनों ही 11 क्लास कि स्टूडेंट है और शांत स्वभाव कि है।
कोई बात नही मै अपनी पॉकेट मनी से उसे खरीद कर ही रहूंगी और वो भी बहुत जल्द", साधना ने कॉन्फिडेंस के साथ कहा।
ओके मेरी मां ठीक है और मै भी मदद करूंगी तेरी लेकिन ज्यादा महंगा होगा तो कैसे ले पाएंगे?", सोमा ने सोचते हुए कहा।
अरे यार वो सब हम स्कूल कि छूट्टी होने के बाद सोचेंगे अभी तो शांत रह", साधना ने कहा फिर घंटी बज गई।
अब सारे पीरियड्स ख़तम हो गए फिर छुट्टी भी हो गई।दोनों सहेलियां स्कूल के गेट के बाहर आए और साइड में जाकर साइकिलिंग शुरू कर दी। दोनों मार्केट कि ओर बढ़ने लगी।
कुछ दुकानें बंद हो गई हैं और कूछ खुली हुई हैं।
सायकल से नीचे उतरकर अब दोनों सहेलियां नजरे आसपास दौड़ाने लगी।
वो देख, वो दुकान वाला अभी भी वही पर है और शायद दुकान बन्द होने वाली है?" साधना ने कहा।
ओके चल उधर", सोमा ने भी उसका चेहरा देखते हुए कहा।
अंकल,,, प्लीज दो मिनट रुक जाइए हमे कुछ लेना है", साधना ने कहा और उस गिलास को ढूंढने लगी जो उसे उस दिन दिखा था और देखते ही साधना उस गिलास पर मुग्ध सी हो गई थी।
कौन सा गिलास?" दुकान वाले ने कहा।
ओ वाली ", उस गिलास कि ओर ऊंगली से इशारा करते हुए साधना ने कहा।
थोड़ी ही देर में दुकान वाले ने उस गिलास को लाकर साधना के आंखो के सामने टेबल पर रख दिया।
जानती हो इस कि कीमत कितनी है?", दुकान वाले ने कहा।
जितनी भी हो हम देने के लिए तैयार हैं और मै अपनी पॉकेट मनी को भी साथ में लाई हूं ", साधना ने कहा।
5000 ₹", इतना ही दे दो", दुकान वाले ने कहा।
साधना और सोमा ने अपनी अपनी पॉकेट मनी के पैसे टेबल पर रख दिए और फिर काउंटिंग करने लगी तो आखिर में पता चला कि 2000 ₹ पैसे और चाहिए उन्हे।
ये 2000 ₹ का है इसे भी रख लीजिए", अपने गले से एक लोकेट को उतारकर साधना ने दुकानवाले को कहा।
पैसे और लोकेट से अब साधना ने उस गिलास को खरीद ही लिया।
तुम्हे पता है क्या कि ये गिलास इतना महंगा क्यों है?", सोमा ने कहा तो दुकानवाले ने उन दोनों को देखा।
ये एक खानदानी गिलास है और उस खानदान में अब कोई भी जिंदा नहीं है। सभी परिवार के लोग एक एक करके मर चुके है और ये गिलास उन्ही कि हवेली से मिला था और ये खून से सना हुआ था जिसे साफ करके पुलिस वाले ने मुझे बेंच दिया। राजसी गिलास और वो भी चांदी का चमचमाता हुआ देखकर मैंने खरीद लिया इसे और मैंने सुना है कि ये गिलास किसी भी के घर में टिकता ही नहीं है", दुकान वाले ने डरावने अंदाज में कहा।
मतलब,, गिलास," सोमा डर सी गई।
तुम दोनो से पहले भी कई लोग इसे खरीद चुके है और वो लोग अपने ही घर में मरे हुए मिले थे पुलिस वालो को फिर से ये गिलास यही पर आ गया मेरे पास और उस वक्त भी गिलास में खून सना हुआ था", दुकानवाले ने गिलास को देखते हुए कहा।
कोई बात नही हम चलते हैं", साधना ने गिलास को मजबूती से पकड़ लिया और फिर सोमा का हाथ पकड़ कर सायकल के पास ले आई।
सायकल के बास्केट पर गिलास को रखकर अब साधना घर कि ओर सायकल दौड़ाने लगी।
सोमा के कानो में अब भी दुकान वाले कि बाते ही गूंज रही हैं।
ओके बाय यार कल मिलेंगे", साधना ने कहा और सायकल को अपने घर कि ओर मोड़ते हुए वो मुस्कुराते हुए गिलास को देखते हुए आगे बढ़ गई।
सोमा उसे जाते हुए देख रही थी और उसके आंखो के सामने वो गिलास किसी बदसूरत प्रेत के जैसे नजर आने लगा जिससे वो कांप उठी और घर चली गई।
घर के गेट के पास जाकर सायकल से उतरकर अब साधना घर के अंदर जाने लगी तो उसकी नजर गिलास पर गई तो एक पल के लिए उसे लगा जैसे कि गिलास कि आंखे काले रंग कि है और मुंह से खून बह रहा है और वो साधना को ही निहार रहा है।
लेकिन साधना कि मां ने उसे आवाज दी तब जाकर साधना ख्यालों या फिर कहे तो भूत प्रेंतो कि दुनिया से बाहर आई।
उसने सोचा कि वो सब मात्र कल्पना है और दुकान वाले ने यू ही वो सब कहानी सुना दी ताकि साधना गिलास को न खरीदे और फिर दुकान वाला किसी और को ऊंची कीमत पर बेंच दे।
आजा बेटा नाश्ता कर ले ", मॉम ने कहा।
ओके मॉम आ रही हूं ", साधना ने कहा।
गिलास को बैग में डाल कर उसे अपने रुम में ले गई और फिर किचन में जाकर एक प्लेट में नाश्ता सर्व करने के लिए अपनी मॉम को कहने लगी।
क्या हुआ डायनिंग टेबल पर जाकर खा ले ", मॉम ने कहा।
अपने रूम में खाऊंगी मम्मा, प्लेट में नाश्ता रख दो", साधना ने कहा और एक मग में पानी लेकर खड़ी हो गई।
ये लो और आराम से बैठ कर खाना", मॉम ने कहा।
प्लेट और मग को लेकर अब साधना अपने रूम कि ओर बढ़ने लगी।
रूम में आकर अब साधना ने प्लेट को टेबल पर रखा और मग को साइड में रख दिया।
बैग में से गिलास को निकालने के बाद अब मग में से पानी को गिलास में डालने लगी फिर प्लेट में से नाश्ता लेकर खाने लगी और बीच बीच में गिलास से पानी पीने लगी।
थोड़ी देर बाद नाश्ता ख़तम करके मग और प्लेट को लेकर वो किचन में चली गई और प्लेट को धोकर यथास्थान रख दिया।
अपने रूम में गई तो फिर उसे अब नींद आने लगी गिलास को देखते हुए ही उसकी आंख लग गई।
उसकी मॉम ने रूम में आकर उसे देखा फिर टेबल पर रखे हुए टूटे गिलास के टुकड़ों को देखकर वो हैरान सी रह गई।
वो गिलास कैसे टूट गया जिसे साधना ने सलीके से रखा था टेबल पर ये सवाल उठ रहा हैं जिसका जवाब गिलास के अलावा किसी के पास नहीं है।
मॉम ने गिलास के टुकड़ों को समेटकर एक पॉलीथिन में भर दिया और फिर ले जाकर डस्टबिन मे डाल दिया।
थोड़ी देर बाद रात हो गई और साधना कि नींद खुली तो वो फिर से आसपास देखने लगी कि गिलास कहा पर है।
हल्का अंधेरा छाया हुआ है आसमान में और तारो के बीच चंद्रमा टिमटिमाते हुए नजर आ रहा हैं।
साधना के डैड डायनिंग टेबल पर बैठे हुए है और मॉम किचन का काम ख़तम करने में लगी हुई है।
साधना अब गिलास को ढूंढने के चक्कर मे घर से बाहर निकलकर पीछे साइड जाने लगी।
हल्का अंधेरा हो चुका था तो उसे घबराहट होने लगी।
तरह तरह के जानवरो, कुत्तों और उल्लुओं कि आवाजे आने लगी और माहौल डरावना होता चला गया।
सहसा घासो के बीच में कोई चमचमाती हुई चीज साधना को नजर आईं।
वो उस ओर देखते हुए चलने लगी मंत्र मुग्ध सी होकर।
वो गिलास अब चांदी का न होकर कांच का नजर आ रहा हैं और खून लगा हुआ है उसके पेंदे पर जो बह रहा हैं नीचे कि ओर।
मेरा गिलास", साधना के मुंह से निकला।
तभी अचानक गिलास हवाओं से बाते करती हुई उड़ने लगी और तीर के समान चाल से साधना के गले के आर पार हो कर टूट गई और कांच के टुकड़े फिर से हवा में उड़ते हुए साधना कि ओर बढ़ने लगे।
साधना के शरीर के हर अंग से खून बहने लगा और वो नीचे जा गिरी। अधखुली आंखों से उसने देखा वो गिलास कांच के टुकडो में तब्दील हो चुका है और खून भी उसमे लग गया है साधना के गले का ।
उसके मॉम डैड डायनिंग टेबल पर बैठे हुए उसी का इंतजार कर रहे थे लेकिन अब तक साधना को न देखने से मॉम को घबराहट होने लगी तो वो ऊपर साधना के रूम कि ओर बढ़ने लगी।
दरवाजा खोलते ही उसे बेड पर साधना कि लाश नजर आईं और वो गिलास टेबल पर रखा हुआ है।
वो दौड़कर साधना के पास गई और कुछ कह पाती उससे पहले ही गिलास ने अपना अगला दाव खेला।
कांच का एक टुकड़ा मॉम के गले को चीरता हुआ निकल गया और फिर दो कांच के टुकड़े उनकी आंखो में जा धंसे।
वो भी अब साधना के बगल में ही गिरकर मौत के आगोश मे समा गई।
साधना के डैड को भी अजीब सी बेचैनी महसूस होने लगी और अचानक लाइट चली गई और एक जगह टेबल पर रखे हुए गिलास पर सफेद रोशनी पड़ी तो गिलास चमक उठा।
साधना के डैड ने उस गिलास को गौर से देखा तो गिलास के नीचे साइड खून के छिटे नजर आए और गिलास मुस्कुराते हुए नजर आया।
वे डर गए और ऊपर सीढ़ियों के सहारे भागने लगे लेकिन गिलास ने अपने कांच को डैड के पैर पर धंसा दिया।
जहां के तहा वो रुक गए फिर कांचो कि बरसात होने लगी और अब उनकी भी मौत हो गई।
अगली सुबह पड़ोसियों ने पुलिस को फोन किया क्योंकि घर से कोई भी निकलते हुए या टेरेस पर नजर नहीं आ रहे थे और न ही कोई आवाज ही सुनाई दे रहा था।
पुलिस वालो ने घर में एंट्री ली तो देखा कि साधना, उसके मॉम डैड तीनों सोफे पर बेहोश पड़े हुए है और टेबल पर गिलास रखा हुआ है खून से सना हुआ।
चांदी कि चमचमाती गिलास को देखते ही एक पुलिस कर्मी ने उसे साफ किया और पकड़ लिया बैग में।
लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
सोमा को भी ये सब पता चल गया कि अब उसकी साधना नहीं रही इस दुनिया में फिर उसे गिलास और दुकान वाले कि बाते याद आई।
एकदम से ब्रेन पर जोर पड़ा और सोमा बेहोश होकर गिर गई।
उसके मॉम डैड ने डॉक्टर को बुलाया और जांच करने पर पता चला कि वो कोमा में चली गई है।
गिलास को दुकानवाले के सामने रखते हुए पुलिस कर्मी ने कहा-: चांदी कि गिलास है चमचमाती हुई चल बता कितने मे लेगा?
5000 ₹ में लूंगा और इससे ज्यादा नहीं दे सकता", दुकानवाले ने कहा।
चल ठीक है सौदा मंजूर है", पुलिस कर्मी ने कहा।
पैसों को दुकानवाले ने उसके हाथ में रख दिया। गिलास को एक कोने में रखकर अब वो ग्राहकों को देखने लगा।
मम्मी! ओ गिलास लो न ?", एक बच्ची कि नजर उस गिलास पर पड़ी जो अपनी मां के साथ कही जा रही थी लेकिन गिलास को देखते ही रुक गई और मां के सामने ये फरमाइश रख दी जिसे सुनकर दुकानवाले ने उस गिलास को देखते हुए धीरे से कहा-: लो मिल गई खून कि अगली पिटारी।
।।समाप्त।।🙏🏻🙏🏻