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ख़्वाब

6 नवम्बर 2021

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  ख़्वाब पहोच से ऊँचे देख रखे है,

ज़मी पर पैर है और हाथ आसमाँ को छू रहे है..!!

थक कर हार मान लूँ भी कैसे ?

मेरे हर ख़्वाब मेरी साँसों में पल रहे है ..!!


✍वर्षारितु चंचल

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