बोछारोंकी ख्वाईश थी रुही.....
यादे ताजा हो बूंदो मे लिपटी सी....
कुछ गिली कुछ सुखी...
कुछ बोहोमे सीमटी सी....
6 सितम्बर 2021
बोछारोंकी ख्वाईश थी रुही.....
यादे ताजा हो बूंदो मे लिपटी सी....
कुछ गिली कुछ सुखी...
कुछ बोहोमे सीमटी सी....
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पेशे से वकिल हूं, पर लिखणा चाहत है, इसलिये लिखती हूं, पढने वालोंके मनतक पोहोचना चाहती हूं..D