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सूकूं

13 सितम्बर 2021

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जाते जाते जो
तोहफा दिया किसीने...
तीरसे अलफाज और....
शुलसी यादें लगी हमे..
मुकम्मल कोशिश कि...
कि धो दें वो लमहे...
चाहत के नामसे..
जो गूजरे थे जमाने..
अब बता ए खुदा...
गुजरा है वक्त जो मिटा दे कैसे...
काले, गेहरे अनचाहे बादल...
हटा दे कैसे....
खलिश सी रेहती है...
हरपल रुह मे...
इब्तिदा ए सुकूं...
अब रुही, पाएँ कैसे....।


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