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कुछ दिल ने कहा

22 सितम्बर 2021

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बहुत कुछ उमड़ता है भीतर...कभी कह पाते हैं कभी नहीं! अनकहा बहुत कुछ संचित होता रहता है दिल में और दिल जैसे जीवाश्म को सहेजती हुई धरती हो जाता है! ज़रा-सा खुरचने पर भीतर से झाँकने लगती हैं संवेदनाएँ...

संवेदनाओं की अभिव्यक्ति लेखन रूप में होती है तो इतिहास में दर्ज हो जाती हैं वे सभी और बन जाती हैं अपने समय के दस्तावेज! अब ये दस्तावेज कितने महत्वपूर्ण हैं ये उनके अभिव्यक्ति की गहनता पर निर्भर करता है! 

कोशिश यही है कि मेरी अभिव्यक्ति इतिहास में दर्ज हो न हो, पाठकों के दिल में अवश्य अपनी जगह बनाएँ!

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कुछ दिल ने कहा
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अपने मन के उद्गार बिल्कुल सहज-सरल शब्दों में पिरोकर कभी कविता, कभी संस्मरण, कभी लघुकथा तो कभी कहानी या लेख के रूप में साझा करती रहूँगी।

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