पुरुष का जीवन कुछ बाते जाने क्या कहता उसका मन कुछ उनके लिए बात समझे वो भी दूसरों के जज़्बात
0.0(6)
Very nice 👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽
बहुत बढ़िया है 👌👌👌👌
बेहतरीन रचना 👌👌
सुन्दर वर्णन 👏🏼👏🏼👏🏼 अन्य पाठकों से निवेदन है कि वे भी इस पुस्तक को खरीद कर पढ़ें।
लडके भी जज्बात रखते हैं।
351 फ़ॉलोअर्स
37 किताबें
<div align="left"><p dir="ltr">लडको के लो ये वादा खरा</p> <p dir="ltr">सुन लो ये बात लड़को तुम जरा<b
लड़के अच्छे लगते है<div><br></div><div>कुछ लड़के अच्छे लगते है जब मां से बतियाते है मां के अकेलेपन क
<p>दर्द तुमको भी कम नहीं,<br> <br> चाहे कितना भी कह लो ,<br> <br> तुम हमे कोई ग़म नहीं,<br> <br> मजब
<p>कहते है लड़के रोते नहीं</p> <p>वो कमज़ोर होते नहीं</p> <p><br></p> <p>ऐसा क्यों होता है</p> <p>क्
पुरुष बुरे, फरेबी, कठोर होते गैर जिम्मेदार क्यों ये खिताब पुरुष को मिलते है हर बार हर बार पुरुष ही गलत ये तो जरूरी नहीं पुरुष के जीवन में भी होती मजबूरी कई पुरुष भी होते सच्चे साथी करते वो भी परवाह म
पुरुष नहीं होता कठोर पुरुष को मिलता नहीं जब प्रेम का सच्चा ठौर मन से सख्त वो बन जाता है प्रेम की जगह जब सिर्फ दायित्व अपने हिस्से पाता है पुरुष को सच्चा प्रेम करने वाली स्त्री जान पा
<p dir="ltr">कुछ लड़के ऐसे भी होते है<br> जो ना होते सिर्फ सूरत के दीवाने<br> वो सीरत पर मरने वाले<b
<p>कुछ पुरुष का प्यार<br> नहीं फिसलता औरत की देह पर<br> कई पुरुष उलझ जाते है<br> औरत के घनी जुल्फो क
सुनो ये पुरुष की कहानीकब कहते है अहसास अपनेकोई पुरुष अपनी जुबानीगम सारे खामोशी से सहते हैनर्म दिल रखते हुए भीकठोरता का मुखौटापहने रहते हैआंखो दिखी नही इनके नमीइसका मतलब ये नहीदिल में जज्बातों की है&nb
पुरुषों के लिए कम सजाए गए है किस्सेप्रेम , सौंदर्य, साहित्य सब आयाऔरत के हिस्सेइसलिए पुरुष को काव्य में कम रचापुरुष का जीवन शब्दों में इसलिए हीकम सजापुरुष ने भी खुद को कर दरकिनारप्रेयसी अपनी दिया
सदा पुरुष को कहा गया बेरहम बेदर्दक्या समझा उन्हे किसी ने जाना किसी उनका दर्दचंद मर्दों की पीछे पुरुष वर्ग को करते बदनामआवारा लोफर जाने क्या क्या देते नामपत्नी की परवाह दिखाए तो जोरू का गुलाम
वो भाई वो बेटा भीवो पति भी दोस्त बनकर भी वो रहताहर रिश्ता वो भी बखूबी निभाता हैहर रिश्ते में रंग नए पुरुष सजाता हैएक औरत के जैसे हीजिम्मेदारियां वो भी कम नहींअपने हिस्से पाता हैकठोर शख्सियत के पी
मां जननी है नवजीवन दायनी किस्सा ये तो हर कोई सुनाता है। ममता को विशाल मूरत है औरत हर कोई बतलाता है नवजीवन में पुरुष का हिस्सा भी है हर कोई ये क्यों भुल जाता है माना नौ महीने दर्द सहक