22 सितम्बर 2022
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प्रेम है तो श्रृंगार है विरह है वेदना है पर जो भी है सब दिल के करीब है ...💞 मैं और मेरा प्रेमी ही मेरी कलम है, यूँ तो बहुत बड़ी कवियित्री नही हूं, पर प्रेम को अपने काव्य में रखने का शौक पूरा करती हूं। प्रसिद्ध किताबें :- काव्या की काव्यांजली, नारी जीवन दर्पण, काव्यांशी जीवन के रंग, लफ्ज़ों की लहरें, प्रेम डगर, हाल ए दिल......... आशा है रचनाओं में आप जीवन और प्रेम की वास्तविकता को महसूस करेंगे 🙏 काव्या सोनीD
बहुत ही शानदार छंदबद्ध सृजन । वाक़ई इस बार महफ़िल लूट लिया आपने । आपके सुंदर नाम को चरितार्थ करती आपकी एक सुंदरतम रचना काव्या 😊💐💐💐💐
22 सितम्बर 2022
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आभार जो वक्त आप मेरी रचनाओं को देते है thanks alot🙏🙏🙏😊😊💐💐🥰
That's vice versa .😊💐 अक्सर रचना में रचनाकार स्वयं मुखातिब हो रहा होता है । और हम उसको पढ़ते हुए उससे कॉम्युनिकेट कर रहे होते हैं 🙏💐😊
Actually auraton ke liye itna likha gya hai ki is purush jivan ke is pahlu ko aksar nazarandaz kiya jata hai galt wo nahi to jhuthlaya ise bhi nahi ja skta😊
सबसे बड़ी बात नज़रिया बिल्कुल कठोर हो चुका है, स्त्री मजबूत नही हो सकती तो पुरुष की सौम्यता नही देखना चाहते लोग । जबकि दोनों में दोनों गुण हो सकते हैं और ऐसे ही उदाहरण समाज के सबसे प्रेरणदायक उदाहरण हैं । भगवान शिव भी स्वयं को अर्धनारीश्वर कहते आये हैं । आंसू , दुख, करुणा ,विलाप ये सब हमारी आत्मा और अंतर्मन को स्वच्छ कर जाता है , हम थोड़े से और मानव बन जाते हैं, बस इतना सा~🥰