shabd-logo

कुम्हार

11 मार्च 2022

362 बार देखा गया 362

article-image

कई सालों पहले की बात है। एक गांव में युधिष्ठिर नाम का एक कुम्हार रहा करता था। दिन में वह मिट्टी के बर्तन बनाता था और जो भी पैसे मिलते थे, उनसे शराब खरीद कर पी लेता।

एक रात वह शराब के नशे में अपने घर लौट रहा था। वह इतना नशे में था कि ठीक से चल भी नही पा रहा था। अचानक उसका पैर लड़खड़ाया और वह जमीन पर गिर पड़ा। जमीन पर कांच के टुकड़े पड़े थे, जिनमें से एक टुकड़ा उसके माथे में घुस गया। उसके माथे से खून बहने लगा। इसके बाद कुम्हार किसी तरह उठा और अपने घर की ओर चल दिया।

अगले दिन जब उसे होश आया तो वह वैद्य के पास गया और पट्टी करवाकर दवाई ली। वैद्य ने कहा, “घाव गहरा होने के कारण इसे भरने में समय लगेगा। पूरा भर जाने के बाद भी इस घाव का निशान नहीं जाएगा।”

इसके बाद कई दिन बीत गए। अचानक उसके गांव में सूखा पड़ गया। सभी लोग गांव छोड़ कर जाने लगे। कुम्हार ने भी गांव छोड़ कर जाने का फैसला किया और दूसरे देश की तरफ निकल गया।

नए देश में जाकर वह राजा के दरबार में नौकरी मांगने गया। वहां राजा ने उसके माथे पर चोट का निशान देखा और सोचा, यह जरूर कोई पराक्रमी योद्धा होगा और दुश्मन से लड़ते समय इसके माथे पर चोट लगी होगी। यह सोचकर राजा ने उसे अपने दरबार में एक खास जगह दे दी और उस पर विशेष ध्यान देने लगे। यह देख कर राजा के दरबार में मौजूद राजकुमार, सेनापति और अन्य मंत्री उससे जलने लगे।

ऐसा कई दिनों तक चलता रहा। एक दिन शत्रुओं ने राजा के महल पर हमला कर दिया। राजा ने अपनी पूरी सेना को युद्ध के लिए तैयार किया। उसने युधिष्ठिर से भी युद्ध में जाने के लिए कहा। युधिष्ठिर जब युद्ध भूमि की तरफ जा रहा था तो राजा ने उससे पूछा कि उसके माथे पर यह चोट किस युद्ध में लगी।

इसपर कुम्हार ने सोचा कि अब वह राजा का भरोसा जीत चुका है और अब अगर वह राजा को सच बता देगा तो कोई समस्या नहीं होगी। यह सोच कर उसने राजा ने कहा, “राजन, मैं कोई योद्धा नहीं हूं। मैं तो एक साधारण-सा कुम्हार हूं। यह चोट मुझे किसी युद्ध में नहीं, बल्कि शराब पीकर गिरने के कारण लगी थी।”

कुम्हार की यह बात सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया। उसने कहा, “तुमने मेरा विश्वास तोड़ा है और मुझे छल कर दरबार में इतना ऊंचा पद पाया है। निकल जाओ मेरे राज्य से।” कुम्हार ने राजा से बहुत मिन्नतें की, उसने कहा कि अगर उसे मौका मिले, तो वह युद्ध में राजा के लिए प्राण भी दे सकता है।

राजा ने कहा, “तुम चाहे जितने भी वीर और पराक्रमी हो, लेकिन तुम शूरवीरों के कुल से नहीं हो। तुम्हारी हालत शेरों के बीच रहने वाले उस गीदड़ की तरह है, जो हाथी से लड़ने की जगह उससे दूर भागने की बात करता है। मैं तुम्हे जाने दे रहा हूं, लेकिन अगर राजकुमारों को तुम्हारा राज पता चल गया, तो वो तुम्हें मार डालेंगे। इसलिए, कहता हूं कि अपनी जान बचाओ और भाग जाओ।” कुम्हार ने राजा की बात मानी और तुरंत उस राज्य को छोड़ कर चला गया।

9
रचनाएँ
कहानी संग्रह
0.0
यह एक प्रेरणादायक लघु कथा एवं शायरी की संग्रह है, और शायरी की शृंखला भी है जो कि समान्य जीवन से ओतप्रोत है आप सब जरूर एक बार इसे पढे।
1

🤲🏻खुदा के गुलाम🤲🏻

23 फरवरी 2022
1
0
0

इब्राहिम बल्ख के बादशाह थे। सांसारिक विषय- भोगों से ऊबकर वे फकीरों का सत्संग करने लगे। बियाबान जंगल में बैठकर उन्होंने साधना की । एक दिन उन्हें किसी फरिश्ते की आवाज सुनाई दी, ‘मौत आकर तुझे झकझोरे, इ

2

घमण्ड

3 मार्च 2022
0
0
0

नारियल के पेड़ बड़े ही ऊँचे होते हैं और देखने में बहुत सुंदर होते हैं | एक बार एक नदी के किनारे नारियल का पेड़ लगा हुआ था | उस पर लगे नारियल को अपने पेड़ के सुंदर होने पर बहुत गर्व था | सबसे ऊँचाई पर बैठन

3

वास्तविकता

9 जनवरी 2022
3
3
3

मेरी कलम✒️ की कदर  उन्हें कहा होगी साहब वो कल्पनाओं में जीते है  और मैं वास्तविकता लिखती हूं

4

कुम्हार

11 मार्च 2022
1
0
0

कई सालों पहले की बात है। एक गांव में युधिष्ठिर नाम का एक कुम्हार रहा करता था। दिन में वह मिट्टी के बर्तन बनाता था और जो भी पैसे मिलते थे, उनसे शराब खरीद कर पी लेता।एक रात वह शराब के नशे में अपने घर

5

मौत की सजा

4 मार्च 2022
4
3
1

बीजापुर के सुल्तान इस्माइल आदिलशाह को डर था कि राजा कृष्णदेव राय अपने प्रदेश रायचूर और मदकल को वापस लेने के लिए हम पर हमला करेंगे। उसने सुन रखा था कि वैसे राजा ने अपनी वीरता से कोडीवडु, कोंडपल्ली, उ

6

लाल मोर

11 मार्च 2022
1
0
0

विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय को अद्भुत व विलक्षण चीजें संग्रह करने का बहुत शौक था।हर दरबारी उन्हें खुश रखने के लिए ऐसी ही दुर्लभ वस्तुओं की खोज में रहता था ताकि वह चीज महाराज को देकर उनका शुभचिंतक

7

हार की तैयारी

9 मई 2022
2
1
2

मेरे जीवन मे बहुत सी ऐसी घटना हुई है जहां मुझे चैलेंज किया गया है कि मैं जीत नहीं पाऊँगी या ये जताया गया है कि मुझमे क़ाबिलियत नहीं है और कई बार परिस्थिति बिल्कुल मेरे विरोध में रही है और मैंने भी ह

8

प्यार नहीं मेरे तरह की 😒

31 मई 2022
0
0
0

प्यार तो सभी लोग करते हैं, लेकिन सच्चा प्यार मिल पाना बहुत आसान नहीं होता। सच्चे प्यार को दुर्लभ कहा गया है। आजकल लोगों के रिश्ते जितनी जल्दी बनते हैं, उतनी जल्दी टूट भी जाते हैं। अगर किसी रिश्ते क

9

वो कौन थी??

31 मई 2022
1
0
2

बात है उन दिनों की जब मैं कालेज में थी। फतेहपुर  में BSc फाइनल year मे थी चूँकि मेरा घर यही था इसलिए मैं अपने घर से ही अपने कालेज आना जाना करती थी लेकिन मेरी कुछ सहेलियाँ जो फतेहपुर से बाहर के गांव से

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए