मेरे जीवन मे बहुत सी ऐसी घटना हुई है जहां मुझे चैलेंज किया गया है कि मैं जीत नहीं पाऊँगी या ये जताया गया है कि मुझमे क़ाबिलियत नहीं है और कई बार परिस्थिति बिल्कुल मेरे विरोध में रही है और मैंने भी हार मान लिया लेकिन ऊपर वाले की मेहरबानी से जिनकी वजह से मुझे ऐसा सोचना पड़ा है या जिन्होंने मेरे साथ छल किया है उन्हें मुह की खानी पड़ी है 🙏
कुछ ऐसी एक घटना बताने जा रही हूँ मैं.....
1999 मे जब करगिल युद्ध हुआ था तब राज्य स्तर पर एक निबंध प्रतियोगिता किया गया था मैं उस समय चौथी कक्षा में थी। मेरे स्कूल में सभी क्लास के बच्चों के पास एक नोटिस आया कि चौथी कक्षा से 10 वीं कक्षा के बच्चों के लिए निबंध प्रतियोगिता हो रहा है, जो बच्चे निबंध मे भाग लेना चाहते हैं वो नाम क्लास और स्कूल के नाम के साथ अपना निबंध अपने क्लास टीचर को सौप दे। सबका निबंध पहले प्रिन्सिपल के द्वारा चयनित होगा उसके बाद चयनित विद्यार्थियों का निबंध हेड कौन्सिल जाएगा उसके बाद राज्य में जितने स्कूल कॉलेज हैं उनके प्रतिभागियों से तुलना करने के बाद ही आगे की ओर बढ़ाया जाएगा।अंत तक जिसका चयन होगा उसे डिफेंस ऑफिसर द्वारा सम्मानित किया जाएगा। निबंध जमा करने की एक तारीख तय थी जिस तारीख तक सभी को निबंध लिखकर दे देना था। निबंध जमा करने की जिस दिन आखिरी तारीख थी दुर्भाग्य से मैं उसी दिन बीमार हो गयी और 5 दिन के छुट्टी के बाद जब स्कूल आयी तो पता चला कि प्रिसिंपल सर द्वारा पूरे स्कूल से 20 बच्चों को चुन लिया गया है और उनका निबंध हेड council भेज दिया गया है। उसमे मेरी मित्र का भी नाम शामिल था।
जब मैंने अपना निबंध अपने टीचर को देने की बात दोस्तों से की तो क्लास में सभी मेरा मज़ाक बनाने लगे, और मेरी मित्र भी मुझे बोलने लगी कि क्या फायदा अब निबंध देकर, तुम्हारा निबंध तो प्रिसिंपल सर के पास भी नहीं जाएगा आगे का तो बात ही छोड़ो।और उल्टा तुम्हें डांट भी मिलेगा ।सब की बाते मुझे हतोत्साहित कर तो रही थी फिर भी मैंने हिम्मत करके अपना निबंध हमारे हिन्दी के सर थे उनको दे दिया। वो सर बहुत ही सीधे थे और किसी बच्चों को कभी डांटतै नहीं थे इसलिये मैंने निबंध क्लास टीचर को ना देकर अपने हिन्दी के टीचर को दे दिया।** जब मैंने अपना निबंध अपने टीचर को देने की बात दोस्तों से की तो क्लास में सभी मेरा मज़ाक बनाने लगे, और मेरी मित्र भी मुझे बोलने लगी कि क्या फायदा अब निबंध देकर, तुम्हारा निबंध तो प्रिसिंपल सर के पास भी नहीं जाएगा आगे का तो बात ही छोड़ो।और उल्टा तुम्हें डांट भी मिलेगा ।सब की बाते मुझे हतोत्साहित कर तो रही थी फिर भी मैंने हिम्मत करके अपना निबंध हमारे हिन्दी के सर थे उनको दे दिया। वो सर बहुत ही सीधे थे और किसी बच्चों को कभी डांटतै नहीं थे इसलिये मैंने निबंध क्लास टीचर को ना देकर अपने हिन्दी के टीचर को दे दिया।**
जब सर को मैंने निबंध दिया तो उन्होंने भी कहा कि शिल्पा अब बहुत देर हो गई है सारे बच्चों का निबंध हेड counciil चला गया है और बच्चों का selection भी हो गया है।
तुम अगली बार किसी प्रतियोगिता मे भाग लेना। उनकी ये बात सुनकर मैं समझ चुकी थी कि मैं खेल में हिस्सा लेने से पहले हार चुकी हूं।मैंने अपनी हार स्वीकार कर ली थी**
**लेकिन जब सर ने मेरा निबंध पढ़ा तो उन्होंने मुझे शाबाशी दी और कहा इतने छोटे उम्र मे तुमने जितना अच्छा लिखा है ऐसा तो बड़े क्लास के बच्चों ने भी नहीं लिखा है तुम्हें तो ये निबंध पहले ही दे देना चाहिए था। उस समय पूरे क्लास में मेरा वट बढ़ गया। सर की बाते सुनकर क्लास मे मुझे सबने कहा कि सर तुम्हारा मन रखने के लिए ऐसा बोले होंगे।**
**मैंने निबंध में एक दो स्लोगन लिखा था जिसे शायद मेरे हिन्दी टीचर ने सीनियर क्लास में पढ़ कर मेरे नाम की तालियां बाजवाई थी क्यूंकि लंच समय में कुछ सीनियर दीदी मेरा नाम लेकर मुझे खोजते हुए मेरे पास आयी और बोली तुम ही हो शिल्पा मैंने बोला हाँ तो वो मुझसे निबंध और सैनिक के बारे में बहुत सवाल जवाब करने लगी मैं डर से उनके सामने हक्की बक्की और सहमी सी खड़ी ही रही क्यूँकी उन दिनों वो दीदी लोग का पूरे स्कूल मे राज था। उन्होंने मुझसे बोला तुम अभी बच्ची हो तुमको अभी खेल कूद मे ध्यान देना चाहिए।ये सब लेख वेख पर ध्यान देने के लिए अभी बहुत उम्र बाकी है तुम्हारी। उन्हों ने ऐसा क्यूँ कहा था मेरे समझ मे वो बाते आजतक नहीं आयी 😰..**
**एक सप्ताह के बाद prayer assembly मे, prayer खत्म होने के बाद अचानक एक announcement हुआ प्रिन्सिपल सर द्वारा - उनके शब्द थे - *करगिल युद्ध पर राज्य स्तरीय पर सरकार द्वारा जो निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है उस प्रतियोगिता में हमारे स्कूल से एकमात्र विद्यार्थि का चयन हुआ है जिसका नाम है शिल्पा साहा जो चौथी कक्षा की छात्रा है। और हम सबके लिए ये गर्व की बात है कि हमारे स्कूल की छात्रा का पूरे झारखंड के कॉलेज और स्कूल मिलाकर 11 वा स्थान आया है। 😊*
**सभी स्तब्ध थे कि ऐसा कैसे हो गया है जिसका नाम सिलेक्शन लिस्ट में भी नहीं था उसका सिलेक्शन कब और कैसे हो गया, औरों की बात छोड़िए मैं खुद समंजस मे थी **
**मुझे बीच कैम्पस में बुलाया गया
मैं अपने लाइन से निकल कर बीच campus में गयी तो वहाँ मुझे स्कूल के सभी टीचर बधाई देने लगे।**
**प्रिन्सिपल सर ने मेरे नाम पर पूरे स्कूल में तालियां बजावाई।**
**तालियों की गूंज आज तक मेरे कानो मे गूंजती है वो मेरे जिंदगी का पहला सम्मान वाला दिन था**
**इसके बाद मुझे 15 अगस्त में डिफेंस ऑफिसर के द्वारा मेडल और certicate भी मिला। जो मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी और आज भी है।**
**इस घटना के बाद एक और किस्सा जुड़ गया मेरे साथ वो ये कि मैं अब बड़े क्लास की दीदी लोगों को खटकने लगी थी और जिन दोस्तों का चयन हो चुका था मुझसे पहले उनका मेरे प्रति थोड़ा रोष भाव मुझे कई दिनों तक झेलना पड़ा।**
**लेकिन वो पल मेरे जिंदगी के लिए यादगार पल बन गए जिन्हें याद करके मुझे आजभी बहुत गर्व महसूस होता है।**