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डॉ. कुँवर बेचैन के बारे में

डॉ. कुँवर बेचैन का जन्म 1 जुलाई 1942 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ। पिता नारायणदास सक्सेना और माता गंगादेवी ने उनका नाम कुंअर बहादुर रखा। बचपन से ही गीतों-गजलों की यात्रा शुरू कर देने वाले कुंवर जी ने अपने नाम के साथ 'बेचैन' तखल्लुस (उपनाम) जोड़ लिया था। लेकिन उनका बचपन बड़े संघर्षों में बीता कुंवर बेचैन जी हिंदी के प्रमुख कवि हैं. ये अपनी कविता, गजलों व गीतों के जरिये सालो से लोगों के बीच एक खाश रिश्ता बनाते आये हैं. इन्होने आधुनिक ग़ज़लों के माध्यम से आम आदमी के दैनिक जीवन का वर्णन किया है. कवि कुंवर बेचैन जी गजल लिखने वालें रचनाकारों में से एक प्रमुख गजलकार और संगीतकार हैं. लगभग 50 वर्षों से देश – विदेश के सैंकड़ों कवि सम्मेलनों में अपनी छवि बनाने वाले कवि कुंवर बेचैन जी बचपन में 2 वर्ष की आयु में ही इनके माता – पिता का साया इनके ऊपर से उठ गया था. इस घटना के बाद इनका पालन – पोषण बहिन – बहनोई के यहाँ पूरा हुआ. जब ये 9 वर्ष के हुए थे तब इनकी बहिन का भी सन 1979 ई. में निधन हो गया था. इनका प्रारम्भिक जीवन विपदाओं से भरा हुआ था. इनके जीवन में काफी उतार-चढ़ाव रहें. इन्होने शिक्षा में एम. काम., एम. ए., पीएच. डी. ग्रहण की. इनकी शिक्षा चंदोसी, मुरादाबाद उत्तर – प्रदेश में ही रहकर संपन्न हुई. | 1995 से 2001 तक एम .एम एच. पोस्टगैजुएक्ट कालेज गाजियाबाद में हिंदी विभाग में अध्यापन किया और बाद में हिंदी विभागाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुए. वर्तमान में कुंवर बेचैन जी एक स्वतंत्र लेखक के रूप में हम सभी के बीच उपस्थित हैं. कुंवर बेचैन जी को कविता लिखने का शौक बचपन से ही था पर इनके गाँव में बिजली की सुविधा नहीं थी. इसलिए ये स्ट्रीट लाईट की धीमी रौशनी में खड़े होकर कवितायेँ लिखा करते थे.| कुंवर जी को देश-विदेश की लगभग 250 संस्थाओं ने सम्मानित किया है. उत्त

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डॉ. कुँवर बेचैन की पुस्तकें

डॉ. कुँवर बेचैन जी  की प्रसिद्ध कविताएँ

डॉ. कुँवर बेचैन जी की प्रसिद्ध कविताएँ

डॉ. कुँअर बेचैन निस्संदेह वर्तमान दौर के सर्वश्रेष्ठ कवि और शायरों में से एक हैं. प्रेम और संवेदना के बारीक धागों से बुनी गई उनकी रचनायें किसी का भी मन मोह सकतीं हैं. काव्य-पाठ की उनकी शैली भी उन्हें लोकप्रिय बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण रही है. दोनो

4 पाठक
91 रचनाएँ

निःशुल्क

डॉ. कुँवर बेचैन जी  की प्रसिद्ध कविताएँ

डॉ. कुँवर बेचैन जी की प्रसिद्ध कविताएँ

डॉ. कुँअर बेचैन निस्संदेह वर्तमान दौर के सर्वश्रेष्ठ कवि और शायरों में से एक हैं. प्रेम और संवेदना के बारीक धागों से बुनी गई उनकी रचनायें किसी का भी मन मोह सकतीं हैं. काव्य-पाठ की उनकी शैली भी उन्हें लोकप्रिय बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण रही है. दोनो

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डॉ. कुँवर बेचैन जी की  ग़ज़लें

डॉ. कुँवर बेचैन जी की ग़ज़लें

हिंदी ग़ज़ल और गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डाॅ.कुंवर बेचैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ। डाॅ.कुंवर बेचैन साहब ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। मसलन कवितायें भी लिखीं, ग़ज़ल, गीत और उपन्यास भी लिखे। डाॅ. कुंवर बेचैन की

3 पाठक
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डॉ. कुँवर बेचैन जी की  ग़ज़लें

डॉ. कुँवर बेचैन जी की ग़ज़लें

हिंदी ग़ज़ल और गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डाॅ.कुंवर बेचैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ। डाॅ.कुंवर बेचैन साहब ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। मसलन कवितायें भी लिखीं, ग़ज़ल, गीत और उपन्यास भी लिखे। डाॅ. कुंवर बेचैन की

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डॉ. कुँवर बेचैन के लेख

कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआ

19 अगस्त 2022
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कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआ  तेरी तरफ़ नहीं है उजाला तो क्या हुआ  चारों तरफ़ हवाओं में उस की महक तो है  मुरझा रही है साँस की माला तो क्या हुआ  बदले में तुझ को दे तो गए भूक और प्यास  मु

वो मिरी रातें मिरी आँखों में आ कर ले गई

19 अगस्त 2022
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वो मिरी रातें मिरी आँखों में आ कर ले गई  याद तेरी चोर थी नींदें चुरा कर ले गई  ज़िंदगी की डाइरी में एक ही तो गीत था  कोई मीठी धुन उसे भी गुनगुना कर ले गई  सर्दियों की गुनगुनी सी धूप के एहसास त

दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना

19 अगस्त 2022
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दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना  जैसे बहते हुए पानी पे हो पानी लिखना  कोई उलझन ही रही होगी जो वो भूल गया  मेरे हिस्से में कोई शाम सुहानी लिखना  आते जाते हुए मौसम से अलग रह के ज़रा 

इस तरह मिल कि मुलाक़ात अधूरी न रहे

19 अगस्त 2022
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इस तरह मिल कि मुलाक़ात अधूरी न रहे  ज़िंदगी देख कोई बात अधूरी न रहे  बादलों की तरह आए हो तो खुल कर बरसो  देखो इस बार की बरसात अधूरी न रहे  मेरा हर अश्क चला आया बराती बन कर  जिस से ये दर्द की

साँचे में हम ने और के ढलने नहीं दिया

19 अगस्त 2022
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साँचे में हम ने और के ढलने नहीं दिया  दिल मोम का था फिर भी पिघलने नहीं दिया  हाथों की ओट दे के जला लीं हथेलियाँ  ऐ शम्अ' तुझ को हम ने मचलने नहीं दिया  दुनिया ने बहुत चाहा कि दिल जानवर बने  मै

कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआ

19 अगस्त 2022
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कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआ  तेरी तरफ़ नहीं है उजाला तो क्या हुआ  चारों तरफ़ हवाओं में उस की महक तो है  मुरझा रही है साँस की माला तो क्या हुआ  बदले में तुझ को दे तो गए भूक और प्यास  मु

साँसों की टूटी सरगम में इक मीठा स्वर याद रहा

19 अगस्त 2022
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साँसों की टूटी सरगम में इक मीठा स्वर याद रहा  यूँ तो सब कुछ भूल गया मैं पर तेरा घर याद रहा  यूँ भी कोई मिलना है जो मिलने की घड़ियों में भी  मिलने से पहले इस ज़ालिम दुनिया का डर याद रहा  वर्ना

ख़ुद को नज़र के सामने ला कर ग़ज़ल कहो

19 अगस्त 2022
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ख़ुद को नज़र के सामने ला कर ग़ज़ल कहो  इस दिल में कोई दर्द बिठा कर ग़ज़ल कहो  अब तक तो मय-कदों पे ही तुम ने ग़ज़ल कही  होंटों से अब ये जाम हटा कर ग़ज़ल कहो  महफ़िल में आज शम्अ' जलाने के दिन गए

बढ़ रही है दिल की धड़कन आँधियों धीरे चलो

19 अगस्त 2022
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बढ़ रही है दिल की धड़कन आँधियों धीरे चलो  फिर कोई टूटे न दर्पन आँधियों धीरे चलो  ये चमन सारा का सारा आज-कल ख़तरे में है  हर तरफ़ है आग दुश्मन आँधियों धीरे चलो  एक युग के बा'द बादल का नया आँचल

आँखों से जब ये ख़्वाब सुनहरे उतर गए

19 अगस्त 2022
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आँखों से जब ये ख़्वाब सुनहरे उतर गए  हम दिल में अपने और भी गहरे उतर गए  साँपों ने मन की बीन को काटा है इस तरह  थे उस के पास जितने भी लहरे उतर गए  लाए हैं वो ही आग के मोती बटोर कर  जो आँसुओं क

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