सिरहाने ख्वाब की रोशनाई है
सोचता हूँ लिखूं
कोरे पन्नों की रूह अफ़ज़ाई है
सोचता हूँ लिखूं
कंटीली धुंध में लब्ज़ों की गरमाई है
सोचता हूँ लिखूं .
आँखें सैलाब की पसंद हैं
लिखूं तो कैसे लिखूं
हथेलियाँ इबादत की ख्वाहिशमंद हैं
लिखूं तो कैसे लिखूं
शायरी तक़दीर को नापसंद हैं
कमबख्त लिक्खूँ तो क्या लिखूं .